अश्विन पाटिल (निदेशक, बायोफ्यूल्स जंक्शन) : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत अंतरिम में इस महत्वपूर्ण चुनौती पर ध्यान दिया गया है कि फसल की खूंटी को बड़े पैमाने पर संग्रहित किया जायेगा, जिसमें अच्छी मात्रा में पूंजी लगायी जायेगी. हर साल देश में लगभग 500 मिलियन टन कृषि अवशिष्ट निकलता है. इससे लगभग 50 हजार करोड़ रुपये के अनुमानित मूल्य का एक बड़ा कारोबारी अवसर पैदा होता है. यह दुर्भाग्य की बात है कि इस संसाधान के करीब 200 मिलियन टन हिस्से का उपयोग नहीं हो पाता है, जिसे अक्सर जला दिया जाता है. इस अवशिष्ट के जलाने से पर्यावरण को बहुत नुकसान होता है. इससे इंगित होता है कि इस कृषि अवशिष्ट को जैव ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने की संभावना है, जिसे साकार किया जाना चाहिए.
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