budget-2024-25-analysis:-कल्याण-एवं-विकास-कार्यक्रमों-पर-जोर,-बेहतर-होता-आर्थिक-प्रबंधन
डॉ अश्विनी महाजन राष्ट्रीय सह-संयोजक, स्वदेशी जागरण मंच : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत बजट चूंकि अंतरिम बजट है, तो इसमें बड़ी घोषणाओं की अपेक्षा नहीं थी. सरकार की जो दीर्घकालिक दृष्टि है, उसकी अभिव्यक्ति तो पूर्ण बजट में ही होगी, जो लोकसभा चुनाव के बाद संभवत: जुलाई में प्रस्तुत किया जायेगा. अंतरिम बजट सरकार के लिए एक अवसर था कि वह अपनी उपलब्धियों और दस साल के लेखा-जोखा के बारे में लोगों को बता सके. यह कार्य वित्त मंत्री ने इस अंतरिम बजट में किया है. बहुआयामीय गरीबी को दूर करने के लिए को कल्याणकारी योजनाएं हैं, जैसे- प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना आदि, उनके बारे में सरकार ने अब तक के कामकाज को देश के सामने रखा है. भविष्य में भी इन योजनाओं के विस्तार के बारे में बताया गया है. मसलन, लखपति दीदी कार्यक्रम के अंतर्गत निर्धारित लक्ष्य को दो करोड़ से बढ़ाकर तीन करोड़ करने की घोषणा हुई है. यह महत्वपूर्ण है कि अंतरिम बजट में केंद्र सरकार का यह आत्मविश्वास परिलक्षित हुआ है कि उसे चुनाव में मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए लोकलुभावन घोषणाएं करने की आवश्यकता नहीं है. वैसे यह सरकार इस प्रवृत्ति के लिए जानी भी नहीं जाती है. पिछले बजट में वित्तीय घाटा के सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) के अनुपात में 5.9 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया था. ऐसा माना जा रहा था कि चूंकि इस वर्ष नॉमिनल जीडीपी के कम रहेगी, इसलिए वित्तीय घाटा अनुमान से भी अधिक हो सकता है. लेकिन हुआ यह कि यह घाटा 5.8 प्रतिशत रहने की आशा बजट में की गयी है. इससे इंगित होता है कि सरकार ने वित्तीय विवेक का उपयोग करते हुए घाटे को कम रखने का प्रयास किया है. उसका कारण यह है कि सरकार के पास राजस्व पर्याप्त मात्रा में आ रहा है. देश में जो आर्थिक गतिविधियां तेज हुई हैं, उसके कारण वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी), व्यक्तिगत आयकर, कॉर्पोरेट आयकर आदि में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है. सरकार का अनुमान था कि राजस्व वृद्धि की दर 10.7 प्रतिशत रहेगी, लेकिन यह वृद्धि दर 15 प्रतिशत रही है. इस बढ़ोतरी के कारण खर्च बढ़ने के बावजूद वित्तीय घाटा कम रहा है. अगले वित्त वर्ष के लिए सरकार का अनुमान है कि यह घाटा 5.1 प्रतिशत रहेगा. विपक्ष का आरोप था कि सरकार कर्ज का बोझ बढ़ा रही है. अंतरिम बजट में कर्ज की सीमा 14.1 लाख करोड़ रुपये रखी गयी है. जो कुल उधार है, वह 11 लाख करोड़ रुपये से कुछ अधिक है. इसका अर्थ यह है कि इस वर्ष सरकार पिछले साल से भी कम कर्ज लेगी. होता यह है कि हर साल कर्ज बढ़ता रहता है. इस बार अभूतपूर्व है कि यह जीडीपी के अनुपात में कम हो रहा है. कर्ज में कमी से महंगाई की आशंका भी कम होती है. वित्तीय घाटा और महंगाई एक-दूसरे के साथ जुड़े हुए होते हैं. इस पर भी सरकार ने समुचित ध्यान रखा है. कुल मिलाकर, जो वित्तीय प्रबंधन है, अर्थव्यवस्था का प्रबंधन है, उस दृष्टि से यह जो अंतरिम बजट है, उसे कोई भी, विपक्ष भी, नहीं कह सकता है कि यह एक लोकलुभावन बजट है, जो चुनावी लाभ की दृष्टि से लाया गया है. विकास के संदर्भ में हम जो बातें करते हैं, उनमें इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत महत्वपूर्ण है. इस क्षेत्र में खर्च में 11.1 प्रतिशत बढ़ोतरी की घोषणा की गयी है और 11.11 लाख करोड़ रुपये खर्च करने का उल्लेख किया गया है. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अब तक तीन करोड़ घर बनाये गये हैं. इस योजना में दो करोड़ और घर बनाये जाने हैं. इससे अर्थव्यवस्था में मांग का सृजन होगा. पूंजीगत व्यय बढ़ाने की बात भी वित्त मंत्री ने अपने संभाषण में की है. इस संदर्भ में भी वित्तीय विवेक के साथ-साथ विकास को गति देने की आकांक्षा दिखाई देती है तथा फ्रीबीज देने या लोकलुभावन बातें यहां भी नहीं की गयी हैं. अंतरिम बजट 2024 के माध्यम से सरकार ने मुफ्त बिजली देने वालों के लिए एक नयी दिशा देने का भी प्रयास किया है. कई सरकारें मुफ्त बिजली देने की तरह-तरह योजनाएं चला रही हैं. इस संबंध में यह सोचने की आवश्यकता है कि इस तरह की फ्रीबीज को बांटने के लिए धन कहां से आयेगा. तो, यह प्रस्तावित किया गया है कि मुफ्त बिजली उन लोगों को दी जानी चाहिए, जो अपने घरों पर सोलर पैनल लगायें. इस प्रकार वे बिजली भी पैदा करेंगे और मुफ्त में बिजली भी हासिल करेंगे. ऐसे प्रयास से देश में स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन भी बढ़ेगा और लोगों को निःशुल्क बिजली भी मिलने लगेगी. हालांकि बजट प्रस्ताव में स्पष्ट नहीं है, पर अगर सरकार को सौर ऊर्जा के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए अनुदान भी देती है, तो वह लाभकारी है क्योंकि उसका फायदा 25-30 साल तक मुफ्त बिजली के रूप में मिलता रहेगा. ऐसी सब्सिडी दरअसल भविष्य के लिए एक निवेश साबित होगी. यह एक नयी दिशा है. यह उम्मीद करना चाहिए कि इस पर समुचित चर्चा भी होगी और इसे अमल में लाने का पूरा प्रयास भी किया जायेगा. मुझे लगता है कि लोकसभा चुनाव के बाद नयी सरकार के गठन के बाद जो पूर्ण बजट आयेगा, उसमें अभी तक सरकार की जो योजनाएं चल रही हैं, चाहे वे कल्याणकारी कार्यक्रम हों (पीएम आवास योजना, उज्ज्वला योजना, स्वच्छता से जुड़ी पहलें, बिजली योजना आदि) इंफ्रास्ट्रक्चर विस्तार का काम हो या फिर विभिन्न विकास योजनाएं हों, वे आगे भी चलती रहेंगी और उन्हें आगे बढ़ाया जायेगा. उस बजट में कुछ बदलावों के साथ आत्मनिर्भर भारत अभियान को गति देने के ठोस प्रयास किये जायेंगे. इंफ्रास्ट्रक्चर विकास समूचे विकास का प्रमुख आधार होता है और इस संबंध में इस सरकार ने जो उपलब्धियां हासिल की हैं, उसकी हर ओर प्रशंसा हुई है. तो मुझे लगता है कि उस दिशा में काम जारी रहेगा. अंतरिम बजट से यही संकेत मिलते हैं. (ये लेखक के निजी विचार हैं.) बजट में विकसित भारत के लिए रोडमैप पेश किया गया है. इस बजट में देश को वर्ष 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने और वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने की झलक साफ तौर पर देखी जा सकती है.अजय सिंह, अध्यक्ष, एसोचैम ऑफशोर विंड एनर्जी के लिए बजट में वायबिलिटी गैप फंडिंग की घोषणा स्वागत योग्य है. सीइइडब्ल्यू के अनुसार, भारत को 2070 तक अपने नेट-जीरो लक्ष्य को पाने के लिए 10 ट्रिलियन डॉलर निवेश की जरूरत है.गगन सिद्धु, निदेशक, सीइइडब्ल्यू-सीइएफ Nirmala SitharamanBudget 2024Published Date Fri, Feb 2, 2024, 1: 33 PM IST

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डॉ अश्विनी महाजन राष्ट्रीय सह-संयोजक, स्वदेशी जागरण मंच :

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत बजट चूंकि अंतरिम बजट है, तो इसमें बड़ी घोषणाओं की अपेक्षा नहीं थी. सरकार की जो दीर्घकालिक दृष्टि है, उसकी अभिव्यक्ति तो पूर्ण बजट में ही होगी, जो लोकसभा चुनाव के बाद संभवत: जुलाई में प्रस्तुत किया जायेगा. अंतरिम बजट सरकार के लिए एक अवसर था कि वह अपनी उपलब्धियों और दस साल के लेखा-जोखा के बारे में लोगों को बता सके. यह कार्य वित्त मंत्री ने इस अंतरिम बजट में किया है. बहुआयामीय गरीबी को दूर करने के लिए को कल्याणकारी योजनाएं हैं, जैसे- प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना आदि, उनके बारे में सरकार ने अब तक के कामकाज को देश के सामने रखा है. भविष्य में भी इन योजनाओं के विस्तार के बारे में बताया गया है. मसलन, लखपति दीदी कार्यक्रम के अंतर्गत निर्धारित लक्ष्य को दो करोड़ से बढ़ाकर तीन करोड़ करने की घोषणा हुई है. यह महत्वपूर्ण है कि अंतरिम बजट में केंद्र सरकार का यह आत्मविश्वास परिलक्षित हुआ है कि उसे चुनाव में मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए लोकलुभावन घोषणाएं करने की आवश्यकता नहीं है. वैसे यह सरकार इस प्रवृत्ति के लिए जानी भी नहीं जाती है.

पिछले बजट में वित्तीय घाटा के सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) के अनुपात में 5.9 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया था. ऐसा माना जा रहा था कि चूंकि इस वर्ष नॉमिनल जीडीपी के कम रहेगी, इसलिए वित्तीय घाटा अनुमान से भी अधिक हो सकता है. लेकिन हुआ यह कि यह घाटा 5.8 प्रतिशत रहने की आशा बजट में की गयी है. इससे इंगित होता है कि सरकार ने वित्तीय विवेक का उपयोग करते हुए घाटे को कम रखने का प्रयास किया है. उसका कारण यह है कि सरकार के पास राजस्व पर्याप्त मात्रा में आ रहा है. देश में जो आर्थिक गतिविधियां तेज हुई हैं, उसके कारण वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी), व्यक्तिगत आयकर, कॉर्पोरेट आयकर आदि में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है. सरकार का अनुमान था कि राजस्व वृद्धि की दर 10.7 प्रतिशत रहेगी, लेकिन यह वृद्धि दर 15 प्रतिशत रही है. इस बढ़ोतरी के कारण खर्च बढ़ने के बावजूद वित्तीय घाटा कम रहा है. अगले वित्त वर्ष के लिए सरकार का अनुमान है कि यह घाटा 5.1 प्रतिशत रहेगा. विपक्ष का आरोप था कि सरकार कर्ज का बोझ बढ़ा रही है. अंतरिम बजट में कर्ज की सीमा 14.1 लाख करोड़ रुपये रखी गयी है. जो कुल उधार है, वह 11 लाख करोड़ रुपये से कुछ अधिक है. इसका अर्थ यह है कि इस वर्ष सरकार पिछले साल से भी कम कर्ज लेगी. होता यह है कि हर साल कर्ज बढ़ता रहता है. इस बार अभूतपूर्व है कि यह जीडीपी के अनुपात में कम हो रहा है.

कर्ज में कमी से महंगाई की आशंका भी कम होती है. वित्तीय घाटा और महंगाई एक-दूसरे के साथ जुड़े हुए होते हैं. इस पर भी सरकार ने समुचित ध्यान रखा है. कुल मिलाकर, जो वित्तीय प्रबंधन है, अर्थव्यवस्था का प्रबंधन है, उस दृष्टि से यह जो अंतरिम बजट है, उसे कोई भी, विपक्ष भी, नहीं कह सकता है कि यह एक लोकलुभावन बजट है, जो चुनावी लाभ की दृष्टि से लाया गया है. विकास के संदर्भ में हम जो बातें करते हैं, उनमें इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत महत्वपूर्ण है. इस क्षेत्र में खर्च में 11.1 प्रतिशत बढ़ोतरी की घोषणा की गयी है और 11.11 लाख करोड़ रुपये खर्च करने का उल्लेख किया गया है. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अब तक तीन करोड़ घर बनाये गये हैं. इस योजना में दो करोड़ और घर बनाये जाने हैं. इससे अर्थव्यवस्था में मांग का सृजन होगा. पूंजीगत व्यय बढ़ाने की बात भी वित्त मंत्री ने अपने संभाषण में की है. इस संदर्भ में भी वित्तीय विवेक के साथ-साथ विकास को गति देने की आकांक्षा दिखाई देती है तथा फ्रीबीज देने या लोकलुभावन बातें यहां भी नहीं की गयी हैं.

अंतरिम बजट 2024 के माध्यम से सरकार ने मुफ्त बिजली देने वालों के लिए एक नयी दिशा देने का भी प्रयास किया है. कई सरकारें मुफ्त बिजली देने की तरह-तरह योजनाएं चला रही हैं. इस संबंध में यह सोचने की आवश्यकता है कि इस तरह की फ्रीबीज को बांटने के लिए धन कहां से आयेगा. तो, यह प्रस्तावित किया गया है कि मुफ्त बिजली उन लोगों को दी जानी चाहिए, जो अपने घरों पर सोलर पैनल लगायें. इस प्रकार वे बिजली भी पैदा करेंगे और मुफ्त में बिजली भी हासिल करेंगे. ऐसे प्रयास से देश में स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन भी बढ़ेगा और लोगों को निःशुल्क बिजली भी मिलने लगेगी. हालांकि बजट प्रस्ताव में स्पष्ट नहीं है, पर अगर सरकार को सौर ऊर्जा के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए अनुदान भी देती है, तो वह लाभकारी है क्योंकि उसका फायदा 25-30 साल तक मुफ्त बिजली के रूप में मिलता रहेगा. ऐसी सब्सिडी दरअसल भविष्य के लिए एक निवेश साबित होगी. यह एक नयी दिशा है. यह उम्मीद करना चाहिए कि इस पर समुचित चर्चा भी होगी और इसे अमल में लाने का पूरा प्रयास भी किया जायेगा.

मुझे लगता है कि लोकसभा चुनाव के बाद नयी सरकार के गठन के बाद जो पूर्ण बजट आयेगा, उसमें अभी तक सरकार की जो योजनाएं चल रही हैं, चाहे वे कल्याणकारी कार्यक्रम हों (पीएम आवास योजना, उज्ज्वला योजना, स्वच्छता से जुड़ी पहलें, बिजली योजना आदि) इंफ्रास्ट्रक्चर विस्तार का काम हो या फिर विभिन्न विकास योजनाएं हों, वे आगे भी चलती रहेंगी और उन्हें आगे बढ़ाया जायेगा. उस बजट में कुछ बदलावों के साथ आत्मनिर्भर भारत अभियान को गति देने के ठोस प्रयास किये जायेंगे. इंफ्रास्ट्रक्चर विकास समूचे विकास का प्रमुख आधार होता है और इस संबंध में इस सरकार ने जो उपलब्धियां हासिल की हैं, उसकी हर ओर प्रशंसा हुई है. तो मुझे लगता है कि उस दिशा में काम जारी रहेगा. अंतरिम बजट से यही संकेत मिलते हैं.

(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

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Nirmala SitharamanBudget 2024Published Date

Fri, Feb 2, 2024, 1: 33 PM IST