बीएमएचआरसी में संगोष्ठी – फोटो : अमर उजाला
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भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के पास रिसर्च प्रोजेक्ट्स के लिए पर्याप्त मात्रा में फ़ंड मौजूद है, जरूरत है तो केवल उच्च गुणवत्ता वाले प्रोजेक्ट्स की। शोधकर्ता अपने प्रोजेक्ट्स की गुणवत्ता की ओर ध्यान देकर इन फंड्स के लिए अप्लाई कर इन्हें हासिल कर सकते हैं।‘ आईसीएमआर में डिलिवरी रिसर्च डिविजन की प्रमुख और साइंटिस्ट डॉ आशु ग्रोवर ने गुरुवार को यह बात कही। वे भोपाल मेमोरियल अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र (बीएमएचआरसी) में ‘क्लिनिक रिसर्च के महत्व’ पर आयोजित एक शोध संगोष्ठी को संबोधित कर रही थीं। बीएमएचआरसी की रिसर्च सेल ने इस संगोष्ठी का आयोजन किया था। इस संगोष्ठी में एम्स, भोपाल के डीन रिसर्च डॉ रेहान उल हक ने ‘चिकित्सकों को रिसर्च क्यों करना चाहिए’ विषय पर संबोधन दिया। बीएमएचआरसी की प्रभारी निदेशक डॉ मनीषा श्रीवास्तव ने भी कार्यशाला में उपस्थित डॉक्टर्स, नर्स व अन्य स्टाफ के समक्ष चिकित्सा विज्ञान को आगे बढ़ाने और मरीजों की देखभाल में सुधार के लिए नैदानिक अनुसंधान का महत्व विषय पर अपनी बात रखी।
स्मॉल ग्रांट के तहत 2 करोड़ रुपये तक का फंड
डॉ आशु ग्रोवर ने कहा कि आईसीएमआर चाहता है कि देश में अधिक से अधिक लोग रिसर्च करें, ताकि भारत में होने वाला रिसर्च भी विकसित देशों में होने वाले रिसर्च के मुकाबले खड़ा हो सके। इस उद्देश्य को पाने के लिए अब फंड कोई समस्या नहीं है। परिषद शोधकर्ताओं को उनके रिसर्च प्रोजेक्ट्स के लिए स्मॉल ग्रांट के तहत 2 करोड़ रुपये तक का फंड देता है। रिसर्च के लिए और अधिक फंड प्राप्त करने के लिए आईसीएमआर काफी प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि शोधकर्ताओं को भी अपने रिसर्च प्रोजेक्ट्स को और बेहतर बनाने के नित्य प्रयास करना चाहिए जिससे उनके रिसर्च प्रपोज़ल अच्छे हैं सकें। इसके लिए उन्होंने अच्छे रिसर्च जर्नल्स पढ़ने की सलाह भी दी। उन्होंने कहा कि अच्छे रिसर्च के लिए हमारे पास डेटा और पेशंट की संख्या की कोई कमी नहीं है। शिक्षा के स्तर पर भी कोई कमी नहीं है। कमी है तो सिर्फ रिसर्च एनवायरनमेंट की। हमें अपने संस्थानों में रिसर्च के लिए एक अच्छा माहौल बनाना होगा।
अपने रुचि के विषय पर ही करें रिसर्च : डॉ रेहान उल हक
एम्स, भोपाल में डीन (रिसर्च) डॉ रेहान उल हक ने कहा कि रिसर्च करने के लिए एक अच्छा विषय तय करें। यह विषय नया हो, महत्वपूर्ण हो और आपकी रुचि का हो। साथ ही आपको उसके बारे में अच्छी समझ हो। विषय तय होने के बाद रिसर्च क्वेश्चन तय करें। रिसर्च क्वेश्चन तय करने से पहले उसके बारे में भलीभांति विचार कर लें। हमेशा एथिकल रिसर्च करें। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि सिर्फ रिसर्च करना ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि अपने रिसर्च प्रोजेक्ट को अच्छे मेडिकल जर्नल में प्रकाशित करवाना भी जरूरी है। जब आपका प्रोजेक्ट किसी प्रतिष्ठित जर्नल में प्रकाशित होगा तो इससे न केवल आपको पहचान मिलेगी अपितु साक्ष्य-आधारित उपचार को भी बढ़ावा मिलेगा। आपको अपना शोधपत्र प्रकाशित करते वक्त उचित जर्नल का ध्यान रखना भी आवश्यक है। अपनी थीसिस का शोधपत्र लिखते समय कुछ जरूरी बातों की जानकारी भी उन्होंने दी जैसे इंट्रोडक्शन में रिसर्च गैप की जानकारी अवश्य दें आप क्या करने जा रहे हैं साफ तौर पर लिखें। मेथड्स लिखते समयसर्च उचित गाइडलाइंस का ध्यान रखें और परिणाम लिखते समय में आउटकम्स पर अधिक ध्यान दें।
रिसर्च पर भी फोकस कर रहा है बीएमएचआरसी : डॉ मनीषा श्रीवास्तव
बीएमएचआरसी की प्रभारी निदेशक डॉ मनीषा श्रीवास्तव ने कहा कि बीएमएचआरसी मरीजों को अच्छा उपचार देने के साथ-साथ रिसर्च पर भी फोकस कर रहा है। रिसर्च करने के लिए हमारे पास कई विषय और संसाधन मौजूद हैं। उन्होंने अस्पताल के सभी चिकित्सकों को संबोधित करते हुए कहा कि वे पेशंट केयर के साथ-साथ रिसर्च पर भी ध्यान दें। रिसर्च का विषय तय करने से पहले यह जरूर सोच लें कि इससे मरीजों को किस तरह लाभ होगा।
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