न्यूूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: अरविंद कुमार Updated Wed, 11 Sep 2024 04: 06 PM IST
मध्यप्रदेश के संत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव को चुनौती दी है। इलाहबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल हो गई है। यह मामला चुनाव इतिहास में पहला और अनूठा मामला कहा जा सकता है। संत विजय नंदन और पीएम नरेंद्र मोदी – फोटो : अमर उजाला
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देश भर में चुनाव प्रणाली, उम्मीदवारों द्वारा दी गई जानकारी, उनके प्रस्तुत दस्तावेज, मतदान से लेकर मतगणना आदि को लेकर विभिन्न अदालती मामले लहराते रहे हैं। लेकिन यह मामला चुनाव इतिहास में पहला और अनूठा मामला कहा जा सकता है। मप्र के सिवनी से एक याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर की गई है। याचिका के घेरे में उत्तर प्रदेश के निर्वाचन से जुड़े अधिकारियों से लेकर वाराणसी लोकसभा चुनाव क्षेत्र से प्रत्याशी रहे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं।
सूत्रों के मुताबिक, मप्र के सिवनी के युवा संत विजय नंदन ने यह याचिका दायर की है। उन्होंने वाराणसी लोकसभा चुनाव को चुनौती है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर याचिका में उनके द्वारा दाखिल किए गए नामांकन को निरस्त करने को लेकर न्याय की गुहार लगाई है। कोर्ट ने विजय नंदन की याचिका को रजिस्टर्ड कर लिया है।
इसलिए लगी याचिका
लोकसभा सीट वाराणसी उप्र की सबसे चर्चित सीट है। क्योंकि यहां से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारतीय जनता पार्टी से उम्मीदवार रहे हैं। इस सीट पर चुनाव जीतकर ही वे प्रधानमंत्री पद पर पहुंचे हैं। इस चुनाव में पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए मध्यप्रदेश के सिवनी जिला निवासी युवा संत विजय नंदन ने नामांकन दाखिल किया था, जिसे बिना कारण के निरस्त कर दिया गया। इसी को आधार बनाते हुए उन्होंने मुख्य निर्वाचन आयोग सहित जिला निर्वाचन अधिकारी वाराणसी और पीएम नरेंद्र मोदी को वादी बनाया है। देश में यह पहला मौका है, जब नामांकन निरस्त किए जाने को लेकर किसी उम्मीदवार ने निर्वाचन आयोग के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की हो।
न्याय सबका अधिकार : नंदन
याचिकाकर्ता विजय नंदन ने आरोप लगाते हुए कहा कि अन्य प्रत्याशियों को राजनीतिक फायदा पहुंचाने के लिए उनका नामांकन निरस्त किया गया। इस पर उन्हें न्याय मिलना चाहिए, इसलिए उन्होंने याचिका दायर की है।
कौन हैं संत नंदन
संत विजय नंदन सिवनी जिले के युवा उद्यमी के रूप में जाने जाते हैं। उनका बैट्री का बड़ा कारोबार है। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान वे उस समय चर्चा में आए थे, जब उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ बुदनी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया था। उन्हें उम्मीद थी कि कांग्रेस उन्हें शिवराज के खिलाफ टिकट देगी। लेकिन कांग्रेस की तरफ से उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। बाद में उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान संभालने का इरादा किया था।
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