bhopal-news:-वक्फ-बोर्ड-ने-किया-तलब,-करेंगे-जांच;-किसके-आदेश-पर-हटाई-जीनत-उल-मसाजिद-से-जालियां
वक्फ बोर्ड ने किया तलब - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us मप्र वक्फ बोर्ड अध्यक्ष डॉ सनव्वर पटेल ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि प्रदेश की वक्फ संपत्तियों को सहेजने, संधारण, सुरक्षा के सतत प्रयास किए जा रहे हैं। जीनत उल मसाजिद मामले में शिकायत मिली है, जिसको लेकर संबंधित शाखा को जांच के लिए निर्देशित कर दिया गया है। गौरतलब है कि शहर की कदीमी मस्जिदों में शुमार जीनत उल मसाजिद से जालियां हटाने का मामला अमर उजाला ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था। जिसके बाद हलचल शुरू हुई और मामला यथास्थिति बनाने की तरफ बढ़ रहा है। क्या है मामला  पुराना शहर स्थित पुरातन मस्जिद जीनत उल मसाजिद से की उन जालियों को मस्जिद उखाड़ फेंका गया, जिनको शाहजहां बेगम ने ख्वातीन (औरतों) के परदे के इंतजाम के लिए लगाया था। जिससे की ईमाम की आवाज औरतों तक पहुंच जाए और बेपर्दगी भी न हो। नियमानुसार किसी प्राचीन इमारत में किसी तरह के बदलाव का अधिकार औकाफ ए शाही को नहीं है। उसे शाही औकाफ को इस काम के लिए मप्र वक्फ बोर्ड से विधिवत अनुमति ली जाना चाहिए थी। गलतियों का आदी शाही औकाफ मप्र वक्फ बोर्ड के अधीन काम करने वाला शाही औकाफ लगातार मनमानी कर रहा है। वर्ष 2017 के बाद से अब उसने बोर्ड को आय व्यय का ब्यौरा नहीं सौंपा है। पिछले दिनों बड़ा बाग स्थित शाही कब्रिस्तान की किरायादारी भी उसने कर दी है। अब जीनत उल मस्जिद में किए जा रहे बदलाव को लेकर वह शहर में चर्चा और लोगों के गुस्से की वजह बना हुआ है।

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वक्फ बोर्ड ने किया तलब – फोटो : अमर उजाला

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मप्र वक्फ बोर्ड अध्यक्ष डॉ सनव्वर पटेल ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि प्रदेश की वक्फ संपत्तियों को सहेजने, संधारण, सुरक्षा के सतत प्रयास किए जा रहे हैं। जीनत उल मसाजिद मामले में शिकायत मिली है, जिसको लेकर संबंधित शाखा को जांच के लिए निर्देशित कर दिया गया है। गौरतलब है कि शहर की कदीमी मस्जिदों में शुमार जीनत उल मसाजिद से जालियां हटाने का मामला अमर उजाला ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था। जिसके बाद हलचल शुरू हुई और मामला यथास्थिति बनाने की तरफ बढ़ रहा है।

क्या है मामला 
पुराना शहर स्थित पुरातन मस्जिद जीनत उल मसाजिद से की उन जालियों को मस्जिद उखाड़ फेंका गया, जिनको शाहजहां बेगम ने ख्वातीन (औरतों) के परदे के इंतजाम के लिए लगाया था। जिससे की ईमाम की आवाज औरतों तक पहुंच जाए और बेपर्दगी भी न हो। नियमानुसार किसी प्राचीन इमारत में किसी तरह के बदलाव का अधिकार औकाफ ए शाही को नहीं है। उसे शाही औकाफ को इस काम के लिए मप्र वक्फ बोर्ड से विधिवत अनुमति ली जाना चाहिए थी।

गलतियों का आदी शाही औकाफ
मप्र वक्फ बोर्ड के अधीन काम करने वाला शाही औकाफ लगातार मनमानी कर रहा है। वर्ष 2017 के बाद से अब उसने बोर्ड को आय व्यय का ब्यौरा नहीं सौंपा है। पिछले दिनों बड़ा बाग स्थित शाही कब्रिस्तान की किरायादारी भी उसने कर दी है। अब जीनत उल मस्जिद में किए जा रहे बदलाव को लेकर वह शहर में चर्चा और लोगों के गुस्से की वजह बना हुआ है।

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