न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: अर्पित याज्ञनिक Updated Sun, 04 Aug 2024 06: 19 PM IST
कांग्रेस के पूर्व विधायक विपिन वानखेड़े और अन्य नेताओं के खिलाफ अदालत के फैसले पर कांग्रेस ने सत्तारूढ़ पार्टी को घोर कलियुग करार दिया है। कांग्रेस ने इन फैसलों को राजनीतिक दुश्मनी का परिणाम बताते हुए जनता की भलाई के केंद्र बिंदु पर स्वस्थ सियासी जंग की मांग की है। मप्र कांग्रेस कमेटी मीडिया विभाग अध्यक्ष केके मिश्रा। – फोटो : अमर उजाला
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कांग्रेस के पूर्व विधायक और अन्य नेताओं के खिलाफ आए अदालत के फैसले पर कांग्रेस मुखर है। सत्तारूढ़ पार्टी का दमन करार देते हुए कांग्रेस इन हालात को घोर कलयुग बता रही है। सियासी प्रक्रियाओं को लेकर राजनीतिक दुश्मनी निकालना सियासत के संविधान के खिलाफ बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि सत्ता और विपक्ष के बीच एक स्वस्थ जंग होनी चाहिए, जिसका केंद्र बिंदु महज जनता की भलाई हो।
मप्र कांग्रेस कमेटी मीडिया विभाग अध्यक्ष केके मिश्रा ने सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर पोस्ट शेयर की है, जिसमें उन्होंने पूर्व विधायक वानखेड़े और अन्य कांग्रेस नेताओं के खिलाफ आए फैसले पर ऐतराज जताया है। मिश्रा ने लिखा है कि शनिवार को राजधानी भोपाल की एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट ने विपिन वानखेड़े (पूर्व विधायक, NSUI के तत्कालीन अध्यक्ष, प्रवक्ता विवेक त्रिपाठी, मौजूदा NSUI प्रदेश अध्यक्ष आशुतोष चौकसे सहित दो अन्य छात्र नेता आकाश चौहान, धनजी गिरी को 2-2 साल की सजा,11-11 हजार जुर्माने की सजा सुनाई है। उन्होंने लिखा है कि भारतीय न्याय पालिका के प्रति हमारा समुचित आदर-सम्मान है क्योंकि फैसले हमेशा पुलिस अनुसंधान, गवाहों और अन्य गुण दोषों के आधार पर दिए जाते हैं।
मांग बन गई गुनाह
कांग्रेस नेता ने अपनी पोस्ट में लिखा है कि इन पर आरोप था कि 8 साल पूर्व इन छात्र नेताओं ने समूचे विश्व में देश और मप्र को लज्जित करने वाले “व्यापमं महाघोटाले की जांच की मांग करते हुए राज्य के मुखिया (जिन पर भी इस मामले की आंच आई थी) के सरकारी आवास का घेराव-प्रदर्शन किया था। मिश्रा ने कहा है कि इसके पूर्व मुझको भी इसी महाघोटाले को सार्वजनिक करने के आरोप में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मानहानि के आरोप में 2 साल की सजा, 25 हजार जुर्माने का दंश सहना पड़ा। हालांकि देश की शीर्ष अदालत से मैं बरी हुआ, जुर्माना राशि भी वापस हुई। उस दौर में मैं पार्टी का मुख्य प्रवक्ता था। मिश्रा ने सवाल किया है कि क्या इस मौजूदा दौर में हम लोगों द्वारा एक विपक्षी दल के ज़वाबदारों के रूप में प्रामाणिक घपलों, घोटालों और भ्रष्टाचार को अहिंसक तरीक़ों से उठाना लोकतांत्रिक जुर्म है?
गठजोड़ सभी का
मिश्रा ने कहा कि इस महाघोटाले को लेकर आज भी विभिन्न न्यायालयों द्वारा दोषी छात्र-छात्राओं, साल्वरों, दलालों को अपेक्षित सजा सुनाई जा रही है। यह भी सच है कि ऐसे महाघोटाले बिना किसी “गठजोड़” के असंभव है, जिसमें उक्त उल्लेखित लोगों के साथ सरकार, राजनेता, अफ़सर भी शामिल होते ही हैं। उन्होंने कहा कि इस महाघोटाले में भी प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल के विरुद्ध उच्च न्यायालय के निर्देश पर FIR हुई, मंत्री जेल गए, तत्कालीन CM सहित व्यापमं की चेयरमैन रंजना चौधरी (IAS) के साथ कई IAS-IPS के भी नाम आए। हालांकि किसी भी जांच एजेन्सी, पुलिस, SIT और CBI ने इनसे किसी भी प्रकार की कोई पूछताछ करना मुनासिब नहीं समझा।
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