विस्तार गत नौ मई को भोपाल, छिंदवाड़ा और तेलंगाना के हैदराबाद से पकड़े गए अंतर्राष्ट्रीय कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन हिज्ब उत तहरीर (एचयूटी) के संदिग्ध आतंकियों से मप्र एटीएस लगातार पूछताछ कर रही है। तेलंगाना में पकड़े गए पांचों संदिग्धों से भी भोपाल लाकर पूछताछ की जा रही है क्योंकि वहां से जो मास्टरमाइंड पकड़ा गया है, वह मूलत: भोपाल का रहने वाला है। वह हिंदू से धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम बना है। उससे एनआईए के अधिकारी भी पूछताछ कर चुके हैं। पूछताछ में खुलासा हुआ कि भोपाल का यासिर और हैदराबाद का सलीम ही भारत में एचयूटी के मास्टरमाइंड हैं। ये दोनों कई देशों की यात्रा कर चुके हैं।
मप्र एटीएस के अधिकारी अलग-अलग संदिग्ध आतंकियों से पूछताछ कर रहे हैं, जिससे बड़े खुलासे हो रहे हैं। जब इनसे पूछताछ की गई तो खुलासा हुआ कि दोनों ने पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान सहित अन्य पड़ोसी देशों की यात्राएं की हैं। उन्होंने विदेशी आतंकी ट्रेनिंग कैंपों में प्रशिक्षण भी प्राप्त किया है। दोनों मास्टरमाइंड कई बार विदेश यात्राएं कर चुके हैं। विदेशी कैंपों से प्रशिक्षण लेकर भोपाल और रायसेन से सटे जंगलों में एचयूटी के संदिग्ध आतंकियों के लिए प्रशिक्षण शिविर आयोजित करते थे।
कट्टरता सीखने गए विदेश यात्राएं
मप्र एटीएस की पूछताछ में खुलासा हुआ कि भोपाल निवासी यासिर खन और हैदराबाद निवासी मोहम्मद सलीम ने ही विदेशी आतंकी शिविर में प्रशिक्षण लेने के लिए विदेश यात्राएं की हैं। दोनों भारत में एचयूटी के मास्टरमाइंड हैं। दोनों ही कट्टरता पसंद लोगों को अपने संगठन से जोड़ने का काम कर रहे थे। भोपाल उन्हें सुरक्षित स्थान लगा, इसलिए अधिकांश गतिविधियां यहीं से संचालित होती थीं। रायसेन के जंगलों में बाकायदा ट्रेनिंग सेंटर बनाया था। यहां पर गोलियां से निशाना लगाना सिखाया जाता था।
विदेशी आका भी देते थे निर्देश
एटीएस की पूछताछ में यह भी खुलासा हुआ है कि भारत में किस तरह स्लीपर सेल की तर्ज पर अपना नेटवर्क खड़ा करना है। हिंदू धर्म को छोड़कर मुस्लिम धर्म अपनाने वाले लोगों में हिंदू धर्म की नफरत को भांपकर ही धर्मांतरण करने वाले लोगों से संपर्क कर उन्हें अपने प्रतिबंधित कट्टरपंथी संगठन से जोड़ने में जुटे थे। बताया जाता है कि विदेश में बैठे एचयूटी संगठन के सरगना भोपाल के यासिर और हैदराबाद के मोहम्मद सलीम खान को ऑनलाइन या डार्क वेब के एप्लीकेशन से बात कर उन्हें निर्देश भी देते रहते थे। इसके साथ ही आगे की क्या रणनीति होनी चाहिए, क्या करना है ये सब भी विदेशी आका ही तय कर इन्हें बताते थे।
Comments