bhopal-gas-tragedy:-केंद्र-सरकार-ने-पेश-किया-जवाब,-कहा-bhmrc-में-नियुक्ति-के-लिए-डॉक्टरों-को-दे-चुके-लेटर
विस्तार Follow Us भोपाल गैस त्रासदी मामले में दायर याचिका पर हाईकोर्ट में बुधवार को सुनवाई की गई। इसमें केंद्र सरकार ने अपना जवाब पेश किया है। इसमें डॉक्टरों की नियुक्ति आदेश और फंड जारी करने की बात कही गई है। कोर्ट ने विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। अगली सुनवाई 17 सितंबर को होगी।  बता दें कि भोपाल गैस त्रासदी मामले केंद्र सरकार की तरफ से पेश किए गए जवाब में बताया गया कि बीएचएमआरसी को उपचार के लिए ट्रस्ट के माध्यम से राशि आवंटित की जाती थी। ट्रस्ट को भंग करने का निर्णय लिया गया है और इस संबंध में सिविल कोर्ट में सुनवाई लंबित है। ट्रस्ट को भंग किए जाने के बाद बीएचएमआरसी को सीधे राशि आवंटित की जाएगी। इसके अलावा बीएचएमआरसी में डॉक्टरों को नियुक्त किया गया है। डॉक्टरों को नियुक्ति पत्र जारी कर दिए गए और वे शीघ्र अपना पदभार ग्रहण कर लेंगे। हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा व जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के आदेश जारी करते हुए अगली सुनवाई 17 सितंबर को निर्धारित की है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने साल 2012 में भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन सहित अन्य की ओर से दायर की गई याचिका की सुनवाई करते हुए भोपाल गैस पीड़ितों के उपचार व पुनर्वास के संबंध में 20 निर्देश जारी किए थे। इन बिंदुओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित कर मॉनिटरिंग कमेटी का गठित की थी। कोर्ट के निर्देश थे कि मॉनिटरिंग कमेटी प्रत्येक तीन माह में अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट के समक्ष पेश करेगी। पेश रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट द्वारा केन्द्र व राज्य सरकार को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे। इससे संबंधित याचिका पर हाईकोर्ट द्वारा सुनवाई की जा रही थी। याचिका के लंबित रहने के दौरान मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं का परिपालन नहीं किए जाने के खिलाफ भी अवमानना याचिका 2015 में दायर की गई थी।   याचिका पर हुई पिछली सुनवाई के दौरान युगलपीठ को बताया गया कि स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ 15 मेडिकल अधिकारियों को भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग में पदस्थ किए जाने के संबंध में राज्य सरकार की तरफ से आदेश जारी किए गए थे। स्वास्थ्य विभाग द्वारा इन अधिकारियों को पदमुक्त नहीं किया गया है। इसके अलावा कैंसर सहित अन्य बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों के लिए फंड भी जारी नहीं किया गया है। युगलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग में प्रतिनियुक्ति किए गए डॉक्टरों को स्वास्थ्य विभाग से पदमुक्त नहीं किए जाने के संबंध में जवाब मांगते हुए त्रासदी में पीड़ित व्यक्ति के लिए फंड जारी करने के निर्देश दिए थे। याचिका पर बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान युगलपीठ को बताया गया कि बीएचएमआरसी को राशि आवंटित करने के लिए ट्रस्ट गठित किया गया था। ट्रस्ट के पास राशि है और उसके भंग करने सिविल कोर्ट में आवेदन किया गया है। जिसकी सुनवाई लंबित है। याचिका की सुनवाई के दौरान मॉनिटरिंग कमेटी की तरफ से अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने पैरवी की।  

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भोपाल गैस त्रासदी मामले में दायर याचिका पर हाईकोर्ट में बुधवार को सुनवाई की गई। इसमें केंद्र सरकार ने अपना जवाब पेश किया है। इसमें डॉक्टरों की नियुक्ति आदेश और फंड जारी करने की बात कही गई है। कोर्ट ने विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। अगली सुनवाई 17 सितंबर को होगी। 

बता दें कि भोपाल गैस त्रासदी मामले केंद्र सरकार की तरफ से पेश किए गए जवाब में बताया गया कि बीएचएमआरसी को उपचार के लिए ट्रस्ट के माध्यम से राशि आवंटित की जाती थी। ट्रस्ट को भंग करने का निर्णय लिया गया है और इस संबंध में सिविल कोर्ट में सुनवाई लंबित है। ट्रस्ट को भंग किए जाने के बाद बीएचएमआरसी को सीधे राशि आवंटित की जाएगी। इसके अलावा बीएचएमआरसी में डॉक्टरों को नियुक्त किया गया है। डॉक्टरों को नियुक्ति पत्र जारी कर दिए गए और वे शीघ्र अपना पदभार ग्रहण कर लेंगे। हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा व जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के आदेश जारी करते हुए अगली सुनवाई 17 सितंबर को निर्धारित की है।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने साल 2012 में भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन सहित अन्य की ओर से दायर की गई याचिका की सुनवाई करते हुए भोपाल गैस पीड़ितों के उपचार व पुनर्वास के संबंध में 20 निर्देश जारी किए थे। इन बिंदुओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित कर मॉनिटरिंग कमेटी का गठित की थी। कोर्ट के निर्देश थे कि मॉनिटरिंग कमेटी प्रत्येक तीन माह में अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट के समक्ष पेश करेगी। पेश रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट द्वारा केन्द्र व राज्य सरकार को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे। इससे संबंधित याचिका पर हाईकोर्ट द्वारा सुनवाई की जा रही थी। याचिका के लंबित रहने के दौरान मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं का परिपालन नहीं किए जाने के खिलाफ भी अवमानना याचिका 2015 में दायर की गई थी।

 
याचिका पर हुई पिछली सुनवाई के दौरान युगलपीठ को बताया गया कि स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ 15 मेडिकल अधिकारियों को भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग में पदस्थ किए जाने के संबंध में राज्य सरकार की तरफ से आदेश जारी किए गए थे। स्वास्थ्य विभाग द्वारा इन अधिकारियों को पदमुक्त नहीं किया गया है। इसके अलावा कैंसर सहित अन्य बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों के लिए फंड भी जारी नहीं किया गया है। युगलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग में प्रतिनियुक्ति किए गए डॉक्टरों को स्वास्थ्य विभाग से पदमुक्त नहीं किए जाने के संबंध में जवाब मांगते हुए त्रासदी में पीड़ित व्यक्ति के लिए फंड जारी करने के निर्देश दिए थे।

याचिका पर बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान युगलपीठ को बताया गया कि बीएचएमआरसी को राशि आवंटित करने के लिए ट्रस्ट गठित किया गया था। ट्रस्ट के पास राशि है और उसके भंग करने सिविल कोर्ट में आवेदन किया गया है। जिसकी सुनवाई लंबित है। याचिका की सुनवाई के दौरान मॉनिटरिंग कमेटी की तरफ से अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने पैरवी की।  

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