न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: लोकेंद्र सिंह चंपावत Updated Mon, 31 Jul 2023 08: 17 PM IST
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संसद में पिछले हफ्ते केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सनसनीखेज आंकड़े पेश किए हैं। आंकड़ों के मुताबिक, दो सालों में देश की 13 लाख से ज्यादा लड़कियां और महिलाएं लापता हैं। देश में सबसे ज्यादा गुमशुदगी के केस मध्यप्रदेश से हैं। संसद में आंकड़े पेश किए गए (प्रतीकात्मक तस्वीर) – फोटो : social media
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संसद में गृहमंत्रालय के द्वारा पेश किए गए आंकड़े डराने वाले हैं। आंकड़ों के मुताबिक, देशभर में 2019 से 2021 के बीच 18 साल से ऊपर की 10,61,648 महिलाएं और 2,51,430 लड़कियां लापता हो गईं। मध्यप्रदेश में 2019 से 2021 के बीच 1,60,180 महिलाएं और 38,234 लड़कियां लापता हो गईं, जो कि देश में पहले नंबर पर है।
2019 से 2021 के बीच देश में 13.13 लाख से अधिक लड़कियां और महिलाएं लापता हो गईं। इनमें से ज्यादातर मध्यप्रदेश से थीं। इस मामले में दूसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल है। दरअसल, पिछले दिनों हफ्ते संसद में पेश किए केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, देशभर में 2019 से 2021 के बीच 18 साल से ऊपर की 10,61,648 महिलाएं और 2,51,430 लड़कियां लापता हो गईं।
राष्ट्रीय अपराध रिकॅार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने यह आंकड़े संकलित किए हैं। संसद में दिए गए आंकड़ों के मुताबिक, मध्यप्रदेश में 2019 से 2021 के बीच 1,60,180 महिलाएं और 38,234 लड़कियां लापता हो गईं। वहीं, पश्चिम बंगाल से 1,56,905 महिलाएं और 36,606 लड़कियां लापता हो गईं। महाराष्ट्र में इस अवधि में 1,78,400 महिलाएं और 13,033 लड़कियां लापता दर्ज की गईं।
वहीं, ओडिशा में, 70,222 महिलाएं और 16,649 लड़कियां लापता हो गईं है, जबकि केंद्र शासित प्रदेशों में, दिल्ली में लड़कियों और महिलाओं के लापता होने की संख्या सबसे अधिक दर्ज की गईं है। राजधानी दिल्ली में, 2019 और 2021 के बीच 61,054 महिलाएं और 22,919 लड़कियां लापता हो गई हैं। जबकि जम्मू कश्मीर में 8,617 महिलाएं और 1,148 लड़कियां लापता हो गई हैं।
केंद्र सरकार ने संसद को बताया कि उसने देश भर में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई पहल की हैं। उनमें यौन अपराधों के खिलाफ प्रभावी रोकथाम के लिए आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 शामिल है। इसके अलावा संविधान के आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018 को 12 साल से कम उम्र की लड़कियों के बलात्कार के लिए मौत की सजा सहित और भी कठोर दंड प्रावधानों को निर्धारित करने के लिए अधिनियमित किया गया है।
वैश्विक डिजिटल के दौर में स्मार्ट पुलिसिंग और सुरक्षा प्रबंधन में सहायता के लिए प्रौद्योगिकी के पहले चरण में आठ शहरों- दिल्ली, कोलकाता, लखनऊ, अहमदाबाद, मुंबई, बेंगलुरु, और चेन्नई में सुरक्षित शहर परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। इससे इन अपराधों और होने वाली घटनाओं में कमी आएगी।
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