कमरे में बंद कोबाल्ट मशीन – फोटो : अमर उजाला
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मध्य प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल हमीदिया में कैंसर मरीजों की सिकाई के लिए एक मशीन तक नहीं खरीद पा रहे हैं। जबकि हॉस्पिटल में वर्ल्ड क्लास स्वास्थय सुविधाएं देने की बात की जा रही है। 2019 से देश की सबसे पुरानी कोबाल्ट मशीन जिससे कैंसर मरीजों की सिकाई होती थी वह बंद पड़ी है करीब 4 साल का समय बीत गया है। अधिकारियों और कॉलेज प्रबंधन के बीच इसे लेकर बैठक पर बैठक की जा चुकी है लेकिन अभी तक एक मशीन नहीं खरीद पाए हैं। हालत यह है कि मशीन नहीं होने से रेडियोलॉजी विभाग में पीजी कोर्स को बंद करना पड़ा है। कैंसर मरीजों को निजी अस्पतालों का सहारा लेना पड़ रहा है। हाल ही में लोक स्वास्थ्य एवं कल्याण मंत्री डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल ने बैठक लेकर अधिकारियों से कैंसर से संबंधित मशीने खरीदने की बात कही है, लेकिन इस तरह की बातें पहले भी कई मंत्री कर चुके हैं,लेकिन उन पर अमल नहीं हुआ। अब देखना यह होगा कि क्या इस बार मशीन खरीदी जाती है या अभी भी मरीज को इंतजार करना पड़ेगा।
लीनियर एक्सीलेटर का प्रस्ताव कई सालों से पेंडिंग
हमीदिया में लीनियर एक्सीलेटर खरीदने का प्रस्ताव कई सालों से ठंडे बस्ते में है। पांच साल पहले केन्द्र सरकार ने हमीदिया अस्पताल को 24 करोड़ रुपए दिए थे। इसमें लीनियर एक्सीलेटर लगाने का भी प्रस्ताव था। करीब छह करोड़ रुपए इस मशीन की लागत है। विभाग ने खरीदी के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा था, लेकिन अब तक मशीन की खरीदी नहीं हुई। अब एक बार फिर से मशीन खरीदने की चर्चा जोरों पर है नए स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला इसे लेकर अधिकारियों से चर्चा भी की है और जल्द मशीन खरीदने के निर्देश दिए हैं।
कोबाल्ट मशीन चार साल से बंद
हमीदिया अस्पताल में कैंसर की सिकाई के लिए कोबाल्ट मशीन पिछले 4 साल से बंद है। ब्रेकीथैरेपी को बार-बार सुधार के काम चलाया जा रहा था लेकिन एक साल से ब्रेकीथैरेपी भी पूरी तरह बंद हो गई है। मेंटेनेंस करने वाली कंपनियों ने अब इन मशीनों का मेंटेनेंस करने से मना कर दिया है। अब हमीदिया अस्पताल में कैंसर के मरीजों की यहां न तो जांच की व्यवस्था है और न ही सिकाई के लिए मशीनें हैं। अस्पताल में जो मशीनें हैं वह बंद पड़ी हैं। हमीदिया अस्पताल के रेडियोलॉजी विभाग में हर दिन 40-50 मरीज इलाज और जांच के लिए पहुंचते हैं। इनमें से एक या दो मरीजों को सिकाई की जरूरत होती है।
गामा कैमरा भी चार साल से बंद
हमीदिया में गामा कैमरा में सीटी स्कैन की सुविधा भी है, लेकिन चार साल से बंद है। जानकारी के मुताबिक, यह 30 से 35 लाख रुपए में ठीक हो सकता है। लेकिन प्रबंधन इसे ठीक नहीं कराना चाहता। क्योंकि, अस्पताल में पीपीपी मोड पर सीटी स्कैन मशीन चल रही है। इसके लिए कंपनी को गरीब मरीज के लिए प्रतिमाह 40 से 50 लाख रुपए दिए जा रहे हैं। वहीं, सामान्य मरीजों से भी जांच के लिए 900 से 4 हजार ले रहे हैं।
जल्द आएगी मशीन टेंडर प्रक्रिया पूरी
गांधी मेडिकल कॉलेज जीएमसी की डीन डॉ. कविता सिंह ने बताया कि लिनियर एक्सीलरेटर मशीन की खरीदी जल्द की जाएगी इसके लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। मशीन लगाने की जगह भी निर्धारित कर दी गई है, उसका भी काम जल्द शुरू किया जाएगा। 6 महीने के भीतर मशीन लग जाएगी। मशीन लगने के बाद पीजी कोर्स फिर से शुरू किया जाएगा। कैंसर मरीजों की सिकाई भी शुरू हो जाएगी।
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