न्यूज डेस्क, अमर उजाला, उमरिया Published by: अंकिता विश्वकर्मा Updated Thu, 16 Mar 2023 11: 36 AM IST
सार
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बांधवगढ़ के जंगल में 10 साल से ज्यादा उम्र के बाघों की संख्या 15 से ज्यादा है। ताला रेंज में 10 साल से ज्यादा उम्र के सबसे ज्यादा बाघ हैं। वहीं मानपुर, खितौली, मगधी, पतौर, पनपथा में भी दस साल से ज्यादा उम्र के बाघ देखने को मिलते हैं। फाइल फोटो – फोटो : सोशल मीडिया
विस्तार बूढ़े और जवानों के बीच जिस तरह से इंसानी समाज में वैचारिक द्वंद चलता रहता है, ठीक उसी तरह जंगल में जवान ताकतवर बाघ बूढ़े कमजोर बाघों के लिए खतरा बन जाते हैं। जवान और ताकतवर बाघ अपनी सत्ता स्थापित करने के लिए बूढ़े बाघों को ललकारते हैं। इस दौरान अगर दोनों के बीच संघर्ष होता है तो जवान बाघ बूढ़े बाघों पर भारी पड़ जाते हैं। यही कारण है कि बूढ़े बाघ अपनी अवस्था के अनुकूल व्यवहार करते हुए जंगल से किनारा करने लगते हैं। हाल ही में मानपुर के सेहरा बीट से बेदखल होकर एक बूढ़ा बाघ नौगंवा होते हुए उर्दना पहुंच गया है।
बांधवगढ़ में 15 से ज्यादा बूढ़े बाघ
बांधवगढ़ के जंगल में 10 साल से ज्यादा उम्र के बाघों की संख्या 15 से ज्यादा है। ताला रेंज में 10 साल से ज्यादा उम्र के सबसे ज्यादा बाघ हैं। वहीं मानपुर, खितौली, मगधी, पतौर, पनपथा में भी दस साल से ज्यादा उम्र के बाघ देखने को मिलते हैं। इनमें से कई बाघ तो 12 साल से भी ज्यादा उम्र के हैं। बाघों की उम्र 12 से 15 साल तक होती है, हालांकि कई ऐसे अपवाद भी हैं, जिसमें बाघों ने अपनी उम्र 18 साल भी पार की है। बांधवगढ़ में बाघों की संख्या 130 से ज्यादा है, जिसमें दो साल से छह साल तक के बाघों की संख्या सबसे ज्यादा है। हालांकि छह महीने से दो साल के शावकों की संख्या भी यहां अच्छी-खासी है।
सिर्फ बाघों में संघर्ष
जंगल के अंदर संघर्ष बाघों के बीच ही ज्यादा होता है। बाघिन से बाघ का संघर्ष तब होता हैं जब बाघिन के साथ उसके शावक होते हैं और बाघिन बाघ को अपने पास नहीं आने देती। इस इस स्थिति में बाघ शावकों पर हमला करने का प्रयास करता है और बाघिन बीच में आ जाती है। एक बाघ के साथ एक से ज्यादा बाघिन हो तो कोई झगड़ा नहीं होता, लेकिन जैसे ही दूसरा बाघ आता है। संघर्ष शुरू हो जाता है। अलग क्षेत्रों के जवान और बूढ़े बाघों के बीच ज्यादा संघर्ष होता है।
गर्मी में खुल जाता है जंगल
जंगल में पशु संग्राम का ज्यादा खतरा गर्मी के मौसम में होता है। दरअसल गर्मी के मौसम में पानी की कमी के कारण बाघ अपना क्षेत्र छोड़ने लगते हैं और पानी की तलाश में खुले जंगल में निकल जाते हैं। जहां भी दूसरे बाघ से उनका सामना होता है वहीं संघर्ष शुरू हो जाता है। इसी तरह जल स्रोत पर कब्जे के लिए भी बाघों के बीच फाइटिंग होने लगती हैं। जंगल खुल जाता है और दूर-दूर तक का नाजारा साफ नजर इनका कहना है।
एसडीओ सुधीर मिश्रा का कहना है कि जंगल में आमना-सामना होने पर बाघों के बीच फाइटिंग हो जाती है। इस तरह की फाइटिंग में कमजोर बाघ प्रभावित हो जाते हैं। बाघों के बीच फाइटिंग न हो इसके लिए जंगल में गश्त की जाने लगी है।
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