ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अमर शर्मा Updated Sat, 07 Sep 2024 08: 53 PM IST
घरेलू ऑटो सेक्टर में मजबूत बढ़ोतरी की उम्मीद है, खासकर दोपहिया (2W) और ट्रैक्टर सेगमेंट में। जेफरीज की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 24-27 (अनुमानित) के दौरान, इन दोनों सेगमेंट के क्रमशः 14 प्रतिशत और 10 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) के साथ व्यापक उद्योग से आगे निकलने की उम्मीद है।
यह यात्री वाहनों (पीवी) में 7 प्रतिशत और ट्रकों में 4 प्रतिशत की अपेक्षाकृत धीमी बढ़ोतरी दर के उलट है।
भारत की टू-व्हीलर मांग, जो कोविड-19 महामारी और बढ़ती नियामक लागत के प्रभाव के कारण FY21-23 के दौरान यात्री वाहनों से पिछड़ गई थी, अब फिर से पटरी पर लौट रही है।
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FY24 में, टू-व्हीलर थोक बिक्री साल दर साल (YoY) 14 प्रतिशत बढ़ी, जो पीवी में देखी गई 8 प्रतिशत बढ़ोतरी से बेहतर है। इस उछाल के बावजूद, टू-व्हीलर के लिए FY24 की बिक्री अभी भी FY19 के चरम से 13 प्रतिशत कम हैं। जबकि पीवी की बिक्री 25 प्रतिशत ज्यादा हैं।
भविष्य की ओर देखते हुए, अनुमान है कि टू-व्हीलर वित्त वर्ष 24-27 के दौरान उद्योग में अग्रणी 14 प्रतिशत CAGR देगा। जबकि पीवी के लिए यह 7 प्रतिशत और ट्रकों के लिए 4 प्रतिशत है।
ऑटो सेक्टर में ट्रैक्टर एक सेगमेंट है जो बढ़िया प्रदर्शन की उम्मीद जगाते हैं, जब उद्योग में मजबूत चक्रीय सुधार की उम्मीद है। मजबूत ग्रामीण मांग और अनुकूल कृषि परिस्थितियों के समर्थन से ट्रैक्टर वॉल्यूम के FY25 में 6 प्रतिशत बढ़ने और उसके बाद FY26-27 में 12 प्रतिशत सीएजीआर बढ़ने का अनुमान है।
इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) क्रांति धीरे-धीरे भारतीय दोपहिया बाजार में अपना रास्ता बना रही है। जिसमें FY21 में टू-व्हीलर बिक्री में ईवी का हिस्सा सिर्फ 0.4 प्रतिशत से बढ़कर CY23 की पहली तिमाही तक 5 प्रतिशत हो गया।
सरकारी सब्सिडी और नए लॉन्च ने इस वृद्धि को बढ़ावा दिया है। लेकिन हाल ही में इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर (E2W) के लिए प्रोत्साहन में कमी ने इस रफ्तार को धीमा कर दिया है। जिससे पिछले दो वर्षों में E2W की हिस्सेदारी 4-7 प्रतिशत सीमा में बनी हुई है।
हालांकि, ईवी बाजार में लगातार बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। जिसमें टू-व्हीलर बिक्री में ईवी का हिस्सा FY25 में 7 प्रतिशत, FY26 में 10 प्रतिशत और FY27 में 13 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है।
यात्री वाहन सेगमेंट में, ईवी अपनाने की रफ्तार धीमी रही है। जिसमें कुल बिक्री में ईवी की हिस्सेदारी सिर्फ लगभग 2 प्रतिशत है।
FY21-23 के दौरान कमजोर मांग और धातु की कीमतों में तेज बढ़ोतरी के कारण ऑटो सेक्टर को मार्जिन दबाव का सामना करना पड़ा। स्टील, एल्यूमीनियम और कीमती धातु की कीमतें मध्य 2020 से अप्रैल 2022 के बीच बढ़ गईं, जिससे ऑटो मूल उपकरण निर्माताओं (OEMs) पर दबाव पड़ा।
हालांकि, धातु की कीमतों में नरमी आई है, और कीमतों में आगे भी बढ़ोतरी संभव है। लेकिन इसकी तीव्रता पिछली तेजी के बराबर होने की संभावना नहीं है।
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