न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: संदीप तिवारी Updated Thu, 12 Sep 2024 08: 04 PM IST
एम्स में पसलियों के कैंसर से जूझ रहे 8 साल के बच्चे की जटिल सर्जरी की गई है। एम्स के डॉक्टरों ने चेस्ट वॉल रिकंस्ट्रक्शन तकनीक का उपयोग कर नई चेस्ट वॉल बनाई। जिससे बच्चे की जान बचाई जा सकी। एम्स भोपाल – फोटो : अमर उजाला
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राजधानी भोपाल स्थित एम्म में पसलियों के कैंसर से जूझ रहे 8 साल के बच्चे की जटिल सर्जरी की गई है। बच्चे को कीमोथेरेपी के बाद भी आराम नहीं मिल रहा था। पसलियों में फैला कैंसर बढ़ता जा रहा था। इसको देखते हुए सर्जरी करने का फैसला लिया गया। इसमें सबसे बड़ी समस्या कैंसर निकालने के बाद पसलियों में होने वाला घाव था। जिसे भरने के लिए एम्स के डॉक्टरों ने चेस्ट वॉल रिकंस्ट्रक्शन तकनीक का उपयोग कर नई चेस्ट वॉल बनाई। जिससे बच्चे की जान बचाई जा सकी।
इस तकनीक का बाल चिकित्सा में पहली बार हुआ प्रोयग
एम्स के चिकित्सकों का कहना है कि यह अनोखी चेस्ट वॉल रिकंस्ट्रक्शन तकनीक, जो बाल चिकित्सा चेस्ट वॉल रिकंस्ट्रक्शन के लिए दुनिया में पहली बार अपनाई गई है। इसे हाल ही में प्रतिष्ठित “जर्नल ऑफ इंडियन एसोसिएशन ऑफ पीडियाट्रिक सर्जन्स” में प्रकाशित किया गया है।सर्जरी के लिए एम्स भोपाल की बाल चिकित्सा सर्जरी टीम ने प्लास्टिक सर्जरी विभाग के साथ परामर्श किया। जिसके बाद यह निर्णय लिया गया कि बच्चे की जांघ से टिश्यू (टेंसर फैशिया लाटा) का उपयोग करके इस घाव को भरा जाए। यह इसलिए जरूरी था क्योंकि मरीज के अपने टिश्यू का उपयोग करना सबसे अच्छा माना जाता है।
ट्यूमर हटाने के बाद छाती में हो गया था 10 सेमी का घाव
बाल चिकित्सा सर्जरी विभाग द्वारा ट्यूमर को सर्जरी के माध्यम से पूरी तरह से हटा दिया गया। ट्यूमर हटाने के बाद, छाती की दीवार में 10 सेमी से अधिक का एक बड़ा घाव रह गया था। इस घाव को भरने का कार्य प्लास्टिक सर्जरी विभाग ने बच्चे की जांघ से टिश्यू का उपयोग कर पूरा किया। एनेस्थीसिया विभाग ने इस चुनौतीपूर्ण मामले को कुशलतापूर्वक संभाला, जिससे पूरे ऑपरेशन के दौरान बच्चे की सुरक्षा सुनिश्चित की गई। साथ ही दर्द का अहसास नहीं होने दिया गया। सर्जरी से पहले बच्चे की स्थिति इतनी खराब थी कि उस वेंटिलेटर पर रखा गया था। सफल सर्जरी का नतीजा यह रहा कि सिर्फ 12 घंटे बाद ही बच्चे को वेंटिलेटर से हटा दिया गया। यही नहीं सर्जरी के 6 दिन बाद उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
सफलता के बाद दूसरे केसों में भी प्रयोग
इस सफल परिणाम के बाद इस नई तकनीक का उपयोग एक और समान मामले में किया गया। दोनों मरीज एक साल बाद भी स्वस्थ हैं। सर्जरी करने वाली टीम में बाल चिकित्सा सर्जरी विभाग से अतिरिक्त प्रोफेसर, डॉ. रियाज़ अहमद, सहायक प्रोफेसर, डॉ. सुरेश के.प्लास्टिक सर्जरी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर, डॉ. गौरव चतुर्वेदी और एनेस्थीसिया विभाग से अतिरिक्त प्रोफेसर, डॉ. सुनैना तेजपाल कर्ण शामिल थी। यह उपलब्धि एम्स भोपाल के डॉक्टरों की नवाचारी क्षमताओं और सहयोगात्मक प्रयासों को उजागर करती है, जो बाल चिकित्सा सर्जरी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक और सीईओ, प्रो. अजय सिंह ने टीम के प्रयासों की सराहना की और इस सफल सर्जरी के लिए सर्जरी टीम को बधाई दी।
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