न्यूूज डेस्क, अमर उजाला, ग्वालियर Published by: अरविंद कुमार Updated Fri, 13 Sep 2024 05: 01 PM IST
ग्वालियर-चंबल अंचल में बाढ़ का कहर तबाही मचा रखा है। अब तक 17 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, 600 से ज्यादा लोगों का सेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के जांबाज जवानों ने रेस्क्यू किया। रेस्क्यू के लिए खड़े हुए लोग – फोटो : अमर उजाला
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ग्वालियर-चंबल अंचल में दो दिन पानी ने कहर बरपाया है। भारी बारिश और बाढ़ के कारण अब तक 17 लोगों की मौत हो चुकी है और 600 से ज्यादा लोगों को जिला प्रशासन, पुलिस, नगर निगम के अलावा सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ के जांबाज जवानों ने रेस्क्यू कर बचाया है। गुरुवार-शुक्रवार रात दो बजे के बाद उफनती नदियों में पानी अब उतरने लगा है। लोगों ने बताया कि मुरार की बेसली नदी को जो रूप गुरुवार को देखा है, वैसा कभी नहीं देखा।
लोगों का कहना है कि पहली बार लगा कि यह बेसली नदी भी तबाही मचा सकती है। मुरार नदी के बहाव के चलते पारसेन गांव में एक ही परिवार के छह लोग फंस गए थे। प्रशासन की लाख समझाइश के बाद भी उन्होंने गांव खाली नहीं किया। जब वह चारों तरफ से पानी में गिर गए तो एसडीआरएफ की टीम और एसडीओपी बेहट संतोष पटेल ने परिवार को बाहर निकाला। 12 घंटे से फंसे लोगों तक मदद पहुंची तो राहत मिली।
दरमियानी रात तेज बारिश से ओवरफ्लो हुए रमौआ बांध से वेस्ट वियर में पानी छोड़ा गया। लेकिन लगातार बारिश से बढ़ रहे पानी ने कुछ ही देर में मुरार की बेसली नदी को एक रौद्र रूप दे दिया।आधा सैकड़ा से ज्यादा गांव, मोहल्ले समेत 125 घर नदी की चपेट में आ गए। प्रशासन की लाख समझाइश के बाद भी कुछ लोग अपने घरों में ही रुके रहे, जिसका नतीजा यह हुआ कि मुरार नदी ने सभी को संकट में डाल दिया।
दरअसल, बिजोली थाने के पांच गांवों में रातों रात पानी भर गया और जीवन संकट में आ गया। प्रशासन को सूचना मिली तो मौके पर एएसपी शियाज केएम, एसडीओपी बेहट संतोष पटेल और एसडीएम मुरार अशोक चौहान पहुंचे। एसडीआरएफ व सेना की टुकड़ी भेजी गई। एसडीआरएफ की टीम के द्वारा बिलहेटी गांव के बीरबल का पुरा से 12 लोगों को सुरक्षित निकाला गया। तहसीलदार दीपेश धाकड़ को सूचना मिली कि पारसेन गांव के एक किसान परिवार का घर पानी से घिर गया है और उनके पास मोबाइल भी नहीं है। सुबह से कोई संपर्क नहीं हो रहा है। एसडीआरएफ की टीम के प्लाटून कमाण्डर अजय सिंह की टीम के ड्राइवर खान, भानु तोमर, विजय दंडोतिया ने जब नाव को बाजरे के खेत से खींचते हुए किसान के घर के पीछे लगाया तो किसान परिवार की बेटी प्रियंका गुर्जर मुस्कुराने लगी।
स्थानीय लोगों का कहना था कि ऐसा नजारा पहली बार देखा है। बुजुर्गों का कहना था कि बेसली नदी को 60 से 70 साल पहले ऐसा बहते देखा था। लेकिन इतना रौद्र रूप अब जाकर देखा। नदीपार टाल, सिरोल में नदी के बहाव में कई घर के घर डूब गए हैं। यदि कुछ देर और तेज बहाव आता तो न जाने कितनी जिंदगियां बह जातीं। सिरोल पुलिया पर बेसली नदी का पानी सड़कों पर बह रहा था। पॉश इलाका कहे जाने वाले घरों में पानी भर गया था। यहां किसी ने अफवाह फैला दी कि रमौआ बांध टूट गया है, इसलिए इतना पानी आ रहा है तो कुछ परिवारों ने दहशत में पलायन करना शुरू कर दिया।
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