mp-high-court:-मॉडल-आंसर-शीट-के-अनुसार-नहीं-दिए-अंक,-छात्रा-की-याचिका-पर-हाईकोर्ट-ने-नोटिस-जारी-कर-मांगा-जवाब
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट, जबलपुर - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us कक्षा दसवीं में कम अंक दिए जाने को एक छात्रा ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में चुनौती दी है। इसमें आरोप है कि सही उत्तर देने के बावजूद भी उसे कम अंक दिए गए हैं। जस्टिस विशाल धगट की एकलपीठ ने मामले में स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव, माध्यमिक शिक्षा मंडल के सचिव, जिला शिक्षा अधिकारी सतना व शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सतना के प्राचार्य को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। यह मामला सतना निवासी छात्रा दिशा पांडे की ओर से उसके पिता दिलीप पांडे ने दायर की है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि दिशा ने साल 2024 में माशिमं द्वारा आयोजित की गई दसवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा दी थी। इस परीक्षा में संस्कृत विषय में छात्रा को 76 अंक दिए गए थे। उसने मंडल से अपनी उत्तर पुस्तिका की प्रति मांगी और पुनर्गणना के लिए भी आवेदन किया। माशिमं ने छात्रा की उत्तर पुस्तिका की पुनर्गणना कर उसके दो अंक बढ़ा दिए। छात्रा ने पुनरू आवेदन देकर कहा कि मॉडल आंसर शीट में बोर्ड द्वारा जिन्हें सही उत्तर माना है, उसने हुबहू वही उत्तर लिखे हैं। माशिमं ने उत्तर पुस्तिका का पुनर्मूल्यांकन करने से इनकार कर दिया। बोर्ड के इसी फैसले हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। मामले को गंभीरता से लेते हुए न्यायालय ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता विशाल बघेल ने पैरवी की।

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मध्यप्रदेश हाईकोर्ट, जबलपुर – फोटो : अमर उजाला

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कक्षा दसवीं में कम अंक दिए जाने को एक छात्रा ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में चुनौती दी है। इसमें आरोप है कि सही उत्तर देने के बावजूद भी उसे कम अंक दिए गए हैं। जस्टिस विशाल धगट की एकलपीठ ने मामले में स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव, माध्यमिक शिक्षा मंडल के सचिव, जिला शिक्षा अधिकारी सतना व शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सतना के प्राचार्य को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं।

यह मामला सतना निवासी छात्रा दिशा पांडे की ओर से उसके पिता दिलीप पांडे ने दायर की है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि दिशा ने साल 2024 में माशिमं द्वारा आयोजित की गई दसवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा दी थी। इस परीक्षा में संस्कृत विषय में छात्रा को 76 अंक दिए गए थे। उसने मंडल से अपनी उत्तर पुस्तिका की प्रति मांगी और पुनर्गणना के लिए भी आवेदन किया।

माशिमं ने छात्रा की उत्तर पुस्तिका की पुनर्गणना कर उसके दो अंक बढ़ा दिए। छात्रा ने पुनरू आवेदन देकर कहा कि मॉडल आंसर शीट में बोर्ड द्वारा जिन्हें सही उत्तर माना है, उसने हुबहू वही उत्तर लिखे हैं। माशिमं ने उत्तर पुस्तिका का पुनर्मूल्यांकन करने से इनकार कर दिया। बोर्ड के इसी फैसले हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। मामले को गंभीरता से लेते हुए न्यायालय ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता विशाल बघेल ने पैरवी की।

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