न्यूज डेस्क, अमर उजाला, दमोह Published by: दमोह ब्यूरो Updated Tue, 10 Sep 2024 10: 16 AM IST
तेंदूखेड़ा ब्लाक में संचालित शासकीय स्कूलों की बात करें तो आज भी बड़ी सख्या में ऐसे स्कूल हैं जहां शिक्षक नहीं है, जबकि कई स्कूल एक या दो शिक्षकों के भरोसे चल रहे हैं। प्रथमिक और माध्यमिक स्कूल के साथ हाईस्कूल और हायर सेकंडरी स्कूलों में भी शिक्षकों की कमी है। स्कूलों में शिक्षकों की कमी से छात्र परेशान।
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दमोह जिले के शासकीय स्कूलों में सितंबर महीने से तिमाही परीक्षा शुरू होने वाली है, लेकिन हालत यह हैं कि स्कूल खुलने के तीन महीने बीतने के बाद भी कई ब्लाकों के शासकीय स्कूलों में अभी तक ठीक से पढ़ाई ही शुरू नहीं हो पाई है। शिक्षकों की कमी के चलते स्कूलों में कई विषयों की किताबें अभी तक नहीं खुली हैं। जिससे छात्र भी चिंतित हैं कि वह परीक्षा में क्या लिखेंगे।
जिले के तेंदूखेड़ा ब्लाक के शासकीय स्कूलों का तो कुछ यही हाल है। यहां पढ़ाई का आधार अभी भी शून्य है। प्राइवेट स्कूलों में 20 प्रतिशत तक पढ़ाई हो चुकी है, जबकि शासकीय स्कूलों में पांच प्रतिशत भी नहीं हुई है। शासकीय स्कूलों में पढ़ाई के पिछड़ने के तीन बड़े कारण हैं, पहला शिक्षकों की कमी, दूसरा शिक्षकों का मनमाने तरीके से स्कूल आना और तीसरा तीन महीने बाद भी अतिथियों की नियुक्ति न होना।
कई स्कूल हैं शिक्षक विहीन
तेंदूखेड़ा ब्लाक में संचालित शासकीय स्कूलों की बात करें तो आज भी बड़ी सख्या में ऐसे स्कूल हैं जहां शिक्षक नहीं है, जबकि कई स्कूल एक या दो शिक्षकों के भरोसे चल रहे हैं। प्रथमिक और माध्यमिक स्कूल के साथ हाईस्कूल और हायर सेकंडरी स्कूलों में भी शिक्षकों की कमी है। पूर्व में अतिथि शिक्षकों के भरोसे यह स्कूल संचालित होते थे, लेकिन इस वर्ष अभी तक अतिथि शिक्षक भी स्कूलों में नियुक्त नहीं किए गए हैं। स्कूल के छात्र, छात्राओं का कहना है कि सुबह से स्कूल आते हैं, लेकिन अधिकांश समय कक्षाओं में खाली बैठे रहते हैं। स्कूलों में शिक्षक ही नहीं हैं तो पढ़ाई कैसे होगी।
समनापुर स्कूल में तीन शिक्षक
सामनापुर में संचालित हाई स्कूल में पढ़ाई करने वाले छात्रों ने बताया कि उनके स्कूल की पढ़ाई पूरी तरह ठप है। त्रिमासिक परीक्षा इसी महीने से शुरू होनी है, लेकिन स्कूल में तो पढ़ाई ही नहीं हुई। कुल तीन शिक्षक हैं जिनमें दो नियमित और एक अतिथि शिक्षक हैं। प्राचार्य के लिए शासकीय कार्य होता है, जो दो शिक्षक हैं वह एक या दो विषय ही पढ़ाते हैं। कुछ विषय तो ऐसे हैं जिनकी पुस्तकों का पाठ्यक्रम ही शुरू नहीं हुआ है। ऐसे में स्कूली बच्चों की सबसे बड़ी चिंता है कि हम लोग परीक्षा के दौरान क्या लिखेंगे।
तेंदूखेड़ा ब्लाक में 12वीं तक एक निजी स्कूल भी है। जहां, स्कूल खुलने के पहले दिन से ही सभी विषय की पढ़ाई होने लगी है। आज की स्थिति में प्राइवेट स्कूलों में 15 प्रतिशत विषयों की पढ़ाई हो चुकी है, जबकि तेंदूखेड़ा ब्लाक में कई शासकीय स्कूल ऐसे हैं जहां कई विषयों की पढ़ाई अभी शुरू ही नहीं हुई है। शासकीय स्कूलों में पढ़ाई को लेकर तेंदूखेड़ा बीईओ नीतेश पांडे का कहना है कि शिक्षकों का अभाव है। अतिथि शिक्षकों की भर्ती प्रकिया ऊपर से ही रुकी है, लेकिन शासन के निर्देश हैं तो परीक्षा तो आयोजित करनी पड़ेगी।
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