indore:-नारायण-मूर्ति-ने-ऑटो-में-किया-था-प्रपोज,-बच्चों-को-सादगी-से-पाला,-सुधा-मूर्ति-ने-सुनाए-रोचक-किस्से
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर Published by: अर्जुन रिछारिया Updated Mon, 09 Sep 2024 10: 04 AM IST सादगी, दृढ़ता और सशक्तिकरण की कहानियों से सजी सुधा मूर्ति ने परिवार, महिला उत्थान और सफलता जैसे विषयों पर की बात।  फिक्की के कार्यक्रम में सुधा मूर्ति। - फोटो : अमर उजाला, डिजिटल, इंदौर विस्तार Follow Us महिलाएं सक्षम हैं, लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में उन्हें पर्याप्त अवसर नहीं मिलते। जो सही लगे, उसे करना चाहिए और वास्तविकता को स्वीकार करना चाहिए, न कि उससे भागना चाहिए। यह बातें  विख्यात लेखिका, समाजसेवी और उद्योगपत्नी सुधा मूर्ति ने कही। वे डेली कॉलेज ऑडिटोरियम में अपने विचार साझा कर रहीं थी। फ्लो इंदौर द्वारा आयोजित यह सत्र बेहद खास रहा, जिसमें लगभग 1000 मेहमानों ने भाग लिया, जिनमें करीब 600 फ्लो सदस्यों और 200 डेली कॉलेज के छात्र-छात्राएं शामिल थे। इंदौर के सांसद, शंकर लालवानी की उपस्थिति ने भी इस कार्यक्रम की गरिमा बढ़ा दी। सुधा मूर्ति ने अपनी सादगी, ईमानदारी और हास्य भावना से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके विचारों में न केवल मनोरंजन था, बल्कि जीवन के गहरे सबक भी थे। उन्होंने अपने जीवन के सफर, इंजीनियरिंग कॉलेज में अकेली लड़की होने के अनुभव, लेखिका बनने और पारिवारिक जीवन के संतुलन की बातों को बड़े ही प्रेरणादायक तरीके से साझा किया। उनके अनुभवों और जीवन मूल्यों ने उपस्थित सभी लोगों को गहराई से प्रभावित किया। उन्होंने मुझे ऑटो में प्रपोज किया सत्र का मुख्य आकर्षण महिलाओं के सशक्तिकरण, शिक्षा और सादगी से जुड़े प्रश्नों पर, सुधा मूर्ति ने अपने बच्चों को जिम्मेदारी और सहानुभूति के साथ पालने के किस्से साझा किए और बताया कि कैसे उन्होंने अपने बच्चों में सादगी की अहमियत को प्राथमिकता दी। उनके जीवन के पाठों में, हास्य का भी सुंदर समावेश था। जब उनसे उनके पति, इन्फोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति के विवाह प्रस्ताव के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने हंसते हुए कहा, उन्होंने मुझे ऑटो में प्रपोज किया था क्योंकि उनके पास कार नहीं थी और इस पर पूरा हॉल ठहाकों से गूंज उठा। हालांकि, उन्होंने आगे बताया कि यह उनके पति की ईमानदारी और जीवन में खुशी देने की दृष्टि थी जिसने उन्हें हां कहने के लिए प्रेरित किया। यह सादगी से भरा लेकिन बेहद शक्तिशाली प्रसंग सभी के दिलों में गहरी छाप छोड़ गया। हिंदी का महत्व बताया पूरे सत्र में सुधा मूर्ति ने ईमानदारी, कड़ी मेहनत और अपनी जड़ों से जुड़े रहने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने लेखन के प्रति अपने प्रेम को साझा किया और बताया कि कैसे लेखन उनके लिए भावनाओं की अभिव्यक्ति का साधन है। उनकी सरल भाषा में लिखने की प्रतिबद्धता ने यह सुनिश्चित किया कि उनकी कहानियां सभी के लिए सुलभ हों। उन्होंने हिंदी को एक जुड़ाव वाली भाषा के रूप में अपनाने और अगली पीढ़ी को हिंदी सीखने के लिए प्रेरित करने पर जोर दिया। उन्होंने पालकों को, स्वयं भी हिंदी भाषा के अधिकतम प्रयोग पर बात की। महिला सुरक्षा पर ध्यान देना होगा सबसे विचारोत्तेजक चर्चाओं में से एक, महिलाओं की सुरक्षा पर थी, जिसमें उन्होंने कहा कि अगर उन्हें संसद में वोट देने का अवसर मिले, तो उनका सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा महिलाओं की सुरक्षा होगा। उनके इस विचार को उपस्थित सभी लोगों ने सर्वसम्मति से समर्थन दिया। इस सत्र का आयोजन फ्लो इंदौर की अध्यक्ष, आर्किटेक्ट विभा जैन सेठी के नेतृत्व में किया गया था। उन्होंने एक रोचक किस्सा भी साझा किया कि कैसे सुधा मूर्ति ने इंदौर के प्रसिद्ध चौराहे "चित्रगुप्त चौराहा" के नाम के पीछे के कारण को तुरंत गूगल करके जान लिया। यह उनकी हमेशा कुछ नया सीखने की उत्सुकता और जिज्ञासा को दर्शाता है, जिससे यह साबित होता है कि उम्र कभी सीखने में बाधा नहीं बनती। सुधा मूर्ति ने प्रवास के विषय पर भी बात की और बताया कि कैसे भारत की प्रगति और अर्थव्यवस्था के विकास के साथ अधिक से अधिक लोग विदेश से वापस लौट रहे हैं। समाज के प्रति योगदान और व्यापार के माध्यम से देश के विकास में योगदान देने की उनकी सोच सभी उपस्थित लोगों के लिए मूल्यवान थी। प्रियंका मोक्ष्मार ने मंच संचालन किया और श्वेता अग्रवाल ने धन्यवाद ज्ञापन देते हुए समिति के सदस्यों के प्रयासों और फ्लो इंदौर के सदस्यों की उत्साही प्रतिक्रियाओं की सराहना की। रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर Published by: अर्जुन रिछारिया Updated Mon, 09 Sep 2024 10: 04 AM IST

सादगी, दृढ़ता और सशक्तिकरण की कहानियों से सजी सुधा मूर्ति ने परिवार, महिला उत्थान और सफलता जैसे विषयों पर की बात।  फिक्की के कार्यक्रम में सुधा मूर्ति। – फोटो : अमर उजाला, डिजिटल, इंदौर

विस्तार Follow Us

महिलाएं सक्षम हैं, लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में उन्हें पर्याप्त अवसर नहीं मिलते। जो सही लगे, उसे करना चाहिए और वास्तविकता को स्वीकार करना चाहिए, न कि उससे भागना चाहिए। यह बातें  विख्यात लेखिका, समाजसेवी और उद्योगपत्नी सुधा मूर्ति ने कही। वे डेली कॉलेज ऑडिटोरियम में अपने विचार साझा कर रहीं थी।

फ्लो इंदौर द्वारा आयोजित यह सत्र बेहद खास रहा, जिसमें लगभग 1000 मेहमानों ने भाग लिया, जिनमें करीब 600 फ्लो सदस्यों और 200 डेली कॉलेज के छात्र-छात्राएं शामिल थे। इंदौर के सांसद, शंकर लालवानी की उपस्थिति ने भी इस कार्यक्रम की गरिमा बढ़ा दी।

सुधा मूर्ति ने अपनी सादगी, ईमानदारी और हास्य भावना से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके विचारों में न केवल मनोरंजन था, बल्कि जीवन के गहरे सबक भी थे। उन्होंने अपने जीवन के सफर, इंजीनियरिंग कॉलेज में अकेली लड़की होने के अनुभव, लेखिका बनने और पारिवारिक जीवन के संतुलन की बातों को बड़े ही प्रेरणादायक तरीके से साझा किया। उनके अनुभवों और जीवन मूल्यों ने उपस्थित सभी लोगों को गहराई से प्रभावित किया।

उन्होंने मुझे ऑटो में प्रपोज किया
सत्र का मुख्य आकर्षण महिलाओं के सशक्तिकरण, शिक्षा और सादगी से जुड़े प्रश्नों पर, सुधा मूर्ति ने अपने बच्चों को जिम्मेदारी और सहानुभूति के साथ पालने के किस्से साझा किए और बताया कि कैसे उन्होंने अपने बच्चों में सादगी की अहमियत को प्राथमिकता दी। उनके जीवन के पाठों में, हास्य का भी सुंदर समावेश था। जब उनसे उनके पति, इन्फोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति के विवाह प्रस्ताव के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने हंसते हुए कहा, उन्होंने मुझे ऑटो में प्रपोज किया था क्योंकि उनके पास कार नहीं थी और इस पर पूरा हॉल ठहाकों से गूंज उठा। हालांकि, उन्होंने आगे बताया कि यह उनके पति की ईमानदारी और जीवन में खुशी देने की दृष्टि थी जिसने उन्हें हां कहने के लिए प्रेरित किया। यह सादगी से भरा लेकिन बेहद शक्तिशाली प्रसंग सभी के दिलों में गहरी छाप छोड़ गया।

हिंदी का महत्व बताया
पूरे सत्र में सुधा मूर्ति ने ईमानदारी, कड़ी मेहनत और अपनी जड़ों से जुड़े रहने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने लेखन के प्रति अपने प्रेम को साझा किया और बताया कि कैसे लेखन उनके लिए भावनाओं की अभिव्यक्ति का साधन है। उनकी सरल भाषा में लिखने की प्रतिबद्धता ने यह सुनिश्चित किया कि उनकी कहानियां सभी के लिए सुलभ हों। उन्होंने हिंदी को एक जुड़ाव वाली भाषा के रूप में अपनाने और अगली पीढ़ी को हिंदी सीखने के लिए प्रेरित करने पर जोर दिया। उन्होंने पालकों को, स्वयं भी हिंदी भाषा के अधिकतम प्रयोग पर बात की।

महिला सुरक्षा पर ध्यान देना होगा
सबसे विचारोत्तेजक चर्चाओं में से एक, महिलाओं की सुरक्षा पर थी, जिसमें उन्होंने कहा कि अगर उन्हें संसद में वोट देने का अवसर मिले, तो उनका सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा महिलाओं की सुरक्षा होगा। उनके इस विचार को उपस्थित सभी लोगों ने सर्वसम्मति से समर्थन दिया। इस सत्र का आयोजन फ्लो इंदौर की अध्यक्ष, आर्किटेक्ट विभा जैन सेठी के नेतृत्व में किया गया था। उन्होंने एक रोचक किस्सा भी साझा किया कि कैसे सुधा मूर्ति ने इंदौर के प्रसिद्ध चौराहे “चित्रगुप्त चौराहा” के नाम के पीछे के कारण को तुरंत गूगल करके जान लिया। यह उनकी हमेशा कुछ नया सीखने की उत्सुकता और जिज्ञासा को दर्शाता है, जिससे यह साबित होता है कि उम्र कभी सीखने में बाधा नहीं बनती। सुधा मूर्ति ने प्रवास के विषय पर भी बात की और बताया कि कैसे भारत की प्रगति और अर्थव्यवस्था के विकास के साथ अधिक से अधिक लोग विदेश से वापस लौट रहे हैं। समाज के प्रति योगदान और व्यापार के माध्यम से देश के विकास में योगदान देने की उनकी सोच सभी उपस्थित लोगों के लिए मूल्यवान थी। प्रियंका मोक्ष्मार ने मंच संचालन किया और श्वेता अग्रवाल ने धन्यवाद ज्ञापन देते हुए समिति के सदस्यों के प्रयासों और फ्लो इंदौर के सदस्यों की उत्साही प्रतिक्रियाओं की सराहना की।

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