bilateral-relationship:भारत-और-uae-विकास-को-कर-रहे-सुनिश्चित 
Bilateral Relationship: भारत और यूएई के बीच सदियों पुरानी सभ्यतागत एवं सांस्कृतिक साझेदारी का इतिहास रहा है.आजादी के बाद से ही दोनों देशों के बीच people to people connect में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. परिणामस्वरूप, बड़ी संख्या में भारतीय नागरिक यूएई में रहते हैं और वहां की प्रगति में अपना योगदान दे रहे हैं. दोनों देशों के नागरिकों के बीच पारस्परिक समझ तथा साझेदारी और लोगों के बीच संपर्क को और अधिक बढ़ाने की की जरूरत है, जिससे दोनों देश एक दूसरे के नये इनोवेशन, नयी टेक्नॉलॉजी और विकास के अन्य साधनों का और अधिक लाभ उठा पाये. हाल ही में यूएई की सरकार द्वारा स्वामी नारायण मंदिर के निर्माण के लिये सभी चीजें का सुलभ कराना दोनों देशों के मजबूत सांस्कृतिक संबंधों का प्रमाण है. इन संबंधों को और अधिक प्रगाढ़ बनाने के उद्देश्य से भारत यात्रा पर आए संयुक्त अरब अमीरात के संसदीय शिष्टमंडल ने गुरुवार को संसद भवन परिसर में लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला के साथ बैठक की. इस शिष्टमंडल का नेतृत्व रक्षा,आंतरिक और विदेशी मामलों की समिति के प्रमुख डॉ.अली राशिद अल नुआइमी कर रहे हैं.  वेस्ट प्रैक्टिस व इनोवेशन को साझा करेंगे दोनों देश बैठक के दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भारत में  तकनीक, इनोवेशन और निवेश की संभावनाओं पर चर्चा करते हुये कहा कि  कि सामूहिक प्रयासों के कारण आज भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. संसदों के बीच नियमित चर्चा संवाद से दोनों देशों के बीच अच्छी समझ विकसित हुई है. भारत और UAE प्रौद्योगिकी के माध्यम से अपने देशों के विकास और समृद्धि को सुनिश्चित कर रहे हैं. दोनों देश सांस्कृतिक और व्यापारिक आदान-प्रदान की परंपरा को नई ऊंचाइयां प्रदान कर रहे हैं. उन्होंने आशा व्यक्त की कि भारत और यूएई के बीच पर्यटन को और बढ़ावा मिलेगा. बिरला ने सुझाव दिया कि आपसी संवाद से दोनों देशों की संसदें अपनी उपलब्धियों, बेस्ट practices व innovations को आपस में साझा कर सकते हैं. वहीं महामहिम अल नुआइमी ने दोनों देशों के बीच भाईचारे की भावना की सराहना की. उन्होंने कहा कि भारत और यूएई के बीच सदियों पुराने ऐतिहासिक संबंध हैं. पीपल टू पीपल कांटेक्ट है. दोनों देशों को अपने द्विपक्षीय संबंधों को और अधिक आगे ले जाने पर प्रयास करना चाहिए. उन्होंने विकास और समृद्धि की ओर ले जाने वाले व्यापार, प्रौद्योगिकी और सांस्कृतिक संपर्कों के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता के लिए दोनों देशों के दूरदर्शी नेतृत्व की भी सराहना की.   ReplyForward

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Bilateral Relationship: भारत और यूएई के बीच सदियों पुरानी सभ्यतागत एवं सांस्कृतिक साझेदारी का इतिहास रहा है.आजादी के बाद से ही दोनों देशों के बीच people to people connect में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. परिणामस्वरूप, बड़ी संख्या में भारतीय नागरिक यूएई में रहते हैं और वहां की प्रगति में अपना योगदान दे रहे हैं. दोनों देशों के नागरिकों के बीच पारस्परिक समझ तथा साझेदारी और लोगों के बीच संपर्क को और अधिक बढ़ाने की की जरूरत है, जिससे दोनों देश एक दूसरे के नये इनोवेशन, नयी टेक्नॉलॉजी और विकास के अन्य साधनों का और अधिक लाभ उठा पाये. हाल ही में यूएई की सरकार द्वारा स्वामी नारायण मंदिर के निर्माण के लिये सभी चीजें का सुलभ कराना दोनों देशों के मजबूत सांस्कृतिक संबंधों का प्रमाण है. इन संबंधों को और अधिक प्रगाढ़ बनाने के उद्देश्य से भारत यात्रा पर आए संयुक्त अरब अमीरात के संसदीय शिष्टमंडल ने गुरुवार को संसद भवन परिसर में लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला के साथ बैठक की. इस शिष्टमंडल का नेतृत्व रक्षा,आंतरिक और विदेशी मामलों की समिति के प्रमुख डॉ.अली राशिद अल नुआइमी कर रहे हैं. 

वेस्ट प्रैक्टिस व इनोवेशन को साझा करेंगे दोनों देश बैठक के दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भारत में  तकनीक, इनोवेशन और निवेश की संभावनाओं पर चर्चा करते हुये कहा कि  कि सामूहिक प्रयासों के कारण आज भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. संसदों के बीच नियमित चर्चा संवाद से दोनों देशों के बीच अच्छी समझ विकसित हुई है. भारत और UAE प्रौद्योगिकी के माध्यम से अपने देशों के विकास और समृद्धि को सुनिश्चित कर रहे हैं. दोनों देश सांस्कृतिक और व्यापारिक आदान-प्रदान की परंपरा को नई ऊंचाइयां प्रदान कर रहे हैं. उन्होंने आशा व्यक्त की कि भारत और यूएई के बीच पर्यटन को और बढ़ावा मिलेगा. बिरला ने सुझाव दिया कि आपसी संवाद से दोनों देशों की संसदें अपनी उपलब्धियों, बेस्ट practices व innovations को आपस में साझा कर सकते हैं. वहीं महामहिम अल नुआइमी ने दोनों देशों के बीच भाईचारे की भावना की सराहना की. उन्होंने कहा कि भारत और यूएई के बीच सदियों पुराने ऐतिहासिक संबंध हैं. पीपल टू पीपल कांटेक्ट है. दोनों देशों को अपने द्विपक्षीय संबंधों को और अधिक आगे ले जाने पर प्रयास करना चाहिए. उन्होंने विकास और समृद्धि की ओर ले जाने वाले व्यापार, प्रौद्योगिकी और सांस्कृतिक संपर्कों के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता के लिए दोनों देशों के दूरदर्शी नेतृत्व की भी सराहना की.  

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