fastag:-भारत-में-फास्टैग-सिस्टम-होगा-खत्म!-सरकार-नए-जमाने-की-टोल-कलेक्शन-तकनीक-‘gnss’-करेगी-लागू
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अमर शर्मा Updated Sat, 31 Aug 2024 10: 04 PM IST फास्टैग के जरिए टोल संग्रह का पारंपरिक तरीका खत्म होने वाला है। क्योंकि सरकार ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) नाम के एक नई युग की टेक्नोलॉजी के जरिए टोल वसूलने के तरीके को बदलने के लिए तैयार हो रही है। Toll Plaza - फोटो : Amar Ujala/Freepik विस्तार Follow Us भारत में ऑटो उद्योग काफी फल-फूल रहा है। इसके साथ ही सड़क पर गाड़ियों की संख्या बढ़ रही। जिसके साथ ही टोल कलेक्शन में भी इजाफा हो रहा है। हालांकि अब ऐसा लग रहा है कि टोल संग्रह का यह पारंपरिक तरीका खत्म होने वाला है। क्योंकि सरकार ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) नाम के एक नई युग की टेक्नोलॉजी के जरिए टोल वसूलने के तरीके को बदलने के लिए तैयार हो रही है। एडवांस्ड टोल कलेक्शन सिस्टम का एलान केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी पहले ही कर चुके हैं। इस समय इसकी टेस्टिंग जारी है। और जल्द ही भारत में पुराने तरीके से होने वाले टोल संग्रह प्रणाली को खत्म किया जा सकता है।  GNSS कैसे काम करता है FASTag (फास्टैग) से उलट, भविष्य का GNSS एक नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम पर आधारित होगा। यह एक सैटेलाइट-आधारित यूनिट के साथ आएगा, जो वाहनों में स्थापित किया जाएगा। यह संबंधित अधिकारियों को टोल हाईवे का इस्तेमाल करना शुरू करने पर कारों को ट्रैक करने की अनुमति देगा। जब वाहन टोल वाली सड़क से बाहर निकलता है, तो सिस्टम टोल सड़क के वास्तविक उपयोग की गणना करेगा। और ऑटोमैटिक तरीके से एक सटीक राशि काट लेगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि यात्री सिर्फ टोल हाईवे पर तय की गई दूरी के लिए ही भुगतान करें।  FASTag की तुलना में GNSS के फायदे आगामी टोल संग्रह प्रणाली ग्राहकों को टोल सड़क के इस्तेमाल के लिए सटीक राशि का भुगतान करने की अनुमति देगी। उपभोक्ता हर फायदा यात्रा पर अच्छी खासी रकम बचा सकेंगे। यह पारंपरिक टोल बूथों को भी खत्म कर देगा। जिससे लंबी कतारों से बड़ी राहत मिलेगी और ड्राइवरों को ज्यादा सुविधाजनक यात्रा अनुभव का फायदा मिलेगा।  कब तक होगा लागू सरकार द्वारा बताया गया है कि इसमें कुछ समय लगेगा। हालांकि, मॉडल का परीक्षण पहले ही दो प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों पर शुरू हो गया है। जिसमें कर्नाटक में बंगलूरू-मैसूर राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-275) और हरियाणा में पानीपत-हिसार राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-709) शामिल हैं।  अधिकारी सभी चुनौतियों और आंकड़ों का विश्लेषण करेंगे और इसे संबंधित मंत्रालय को भेजेंगे। शीर्ष अधिकारी से हरी झंडी मिलने के बाद, नया टोल संग्रह प्रणाली चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। जो भारत के प्रमुख शहरों को जोड़ने वाले शीर्ष राजमार्गों को कवर करेगा।

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ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अमर शर्मा Updated Sat, 31 Aug 2024 10: 04 PM IST

फास्टैग के जरिए टोल संग्रह का पारंपरिक तरीका खत्म होने वाला है। क्योंकि सरकार ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) नाम के एक नई युग की टेक्नोलॉजी के जरिए टोल वसूलने के तरीके को बदलने के लिए तैयार हो रही है। Toll Plaza – फोटो : Amar Ujala/Freepik

विस्तार Follow Us

भारत में ऑटो उद्योग काफी फल-फूल रहा है। इसके साथ ही सड़क पर गाड़ियों की संख्या बढ़ रही। जिसके साथ ही टोल कलेक्शन में भी इजाफा हो रहा है। हालांकि अब ऐसा लग रहा है कि टोल संग्रह का यह पारंपरिक तरीका खत्म होने वाला है। क्योंकि सरकार ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) नाम के एक नई युग की टेक्नोलॉजी के जरिए टोल वसूलने के तरीके को बदलने के लिए तैयार हो रही है।

एडवांस्ड टोल कलेक्शन सिस्टम का एलान केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी पहले ही कर चुके हैं। इस समय इसकी टेस्टिंग जारी है। और जल्द ही भारत में पुराने तरीके से होने वाले टोल संग्रह प्रणाली को खत्म किया जा सकता है। 

GNSS कैसे काम करता है
FASTag (फास्टैग) से उलट, भविष्य का GNSS एक नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम पर आधारित होगा। यह एक सैटेलाइट-आधारित यूनिट के साथ आएगा, जो वाहनों में स्थापित किया जाएगा। यह संबंधित अधिकारियों को टोल हाईवे का इस्तेमाल करना शुरू करने पर कारों को ट्रैक करने की अनुमति देगा।

जब वाहन टोल वाली सड़क से बाहर निकलता है, तो सिस्टम टोल सड़क के वास्तविक उपयोग की गणना करेगा। और ऑटोमैटिक तरीके से एक सटीक राशि काट लेगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि यात्री सिर्फ टोल हाईवे पर तय की गई दूरी के लिए ही भुगतान करें। 

FASTag की तुलना में GNSS के फायदे
आगामी टोल संग्रह प्रणाली ग्राहकों को टोल सड़क के इस्तेमाल के लिए सटीक राशि का भुगतान करने की अनुमति देगी। उपभोक्ता हर फायदा यात्रा पर अच्छी खासी रकम बचा सकेंगे।

यह पारंपरिक टोल बूथों को भी खत्म कर देगा। जिससे लंबी कतारों से बड़ी राहत मिलेगी और ड्राइवरों को ज्यादा सुविधाजनक यात्रा अनुभव का फायदा मिलेगा। 

कब तक होगा लागू
सरकार द्वारा बताया गया है कि इसमें कुछ समय लगेगा। हालांकि, मॉडल का परीक्षण पहले ही दो प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों पर शुरू हो गया है। जिसमें कर्नाटक में बंगलूरू-मैसूर राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-275) और हरियाणा में पानीपत-हिसार राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-709) शामिल हैं। 

अधिकारी सभी चुनौतियों और आंकड़ों का विश्लेषण करेंगे और इसे संबंधित मंत्रालय को भेजेंगे। शीर्ष अधिकारी से हरी झंडी मिलने के बाद, नया टोल संग्रह प्रणाली चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। जो भारत के प्रमुख शहरों को जोड़ने वाले शीर्ष राजमार्गों को कवर करेगा।