teachers-day:-शिक्षक-की-विदाई-पर-रोया-पूरा-गांव,-बच्चों-ने-कहा-सर-हमें-छोड़कर-नहीं-जाओ
भिंड में शिक्षक को विदाई देते बच्चे बिलख-बिलख कर रो रहे थे। - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us शासकीय स्कूल के शिक्षकों की कार्य में लापरवाही तो अपने बहुत अच्छी होगी, लेकिन शिक्षक दिवस पर आज आपको एक ऐसी तस्वीर दिखाते हैं जिससे आपका दिल भी भर आएगा। बता दें कि लहार तहसील के रूरई शासकीय स्कूल में पदस्थ अध्यापक अरुण त्रिपाठी का आज विदाई सम्मान समारोह रखा गया था। इसमें छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक आए थे और चौंकाने वाली बात ये रही कि सभी खूब रोए भी। क्या बच्चे, क्या बच्ची, क्या बूढ़े सभी अपने गांव के शिक्षक की विदाई क़ो देखकर सभी भावुक हुए। गांव वालों ने बताया कि अरुण त्रिपाठी जब यहां आए थे तब स्कूल की हालत बहुत ही खराब थी, लेकिन अरुण त्रिपाठी ने आते ही स्कूल की शिक्षा व्यवस्था को इतना दुरुस्त कर दिया था कि यहां का रिजल्ट अव्वल रहा। यहां पर बच्चे मन लगाकर पढ़ाई करते थे। घर-घर जाकर बच्चों को लाते थे। किसी भी बच्चे को स्कूल में कोई परेशानी होती थी तो अपने बच्चों के समान उसकी परेशानी दूर करते थे। बेहतरीन शिक्षा के साथ-साथ अपने बच्चों को खूब प्रेम करते थे। गांव वालों से भी उनका व्यवहार बहुत अच्छा है। यही वजह है कि उनके लिए आज पूरा गांव रोया। अपनी शिक्षक से लिपट लिपट कर बच्चे रोये। उन्हें जाने नहीं दे रह थे कि आप जाओ नहीं। ऐसा दृश्य जिसने भी देखा उसकी आंखें भी नम हो गईं। बता दें कि शासकीय अध्यापक अरुण त्रिपाठी का ट्रांसफर असवार में हो गया है। आज उनको नाम आंखों से पूरे गांव ने विदाई दी। शिक्षक दिवस के मौके पर ढोल नगाड़े बजाकर उन्हें विदा किया गया। 

You can share this post!

Related News

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

भिंड में शिक्षक को विदाई देते बच्चे बिलख-बिलख कर रो रहे थे। – फोटो : अमर उजाला

विस्तार Follow Us

शासकीय स्कूल के शिक्षकों की कार्य में लापरवाही तो अपने बहुत अच्छी होगी, लेकिन शिक्षक दिवस पर आज आपको एक ऐसी तस्वीर दिखाते हैं जिससे आपका दिल भी भर आएगा। बता दें कि लहार तहसील के रूरई शासकीय स्कूल में पदस्थ अध्यापक अरुण त्रिपाठी का आज विदाई सम्मान समारोह रखा गया था। इसमें छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक आए थे और चौंकाने वाली बात ये रही कि सभी खूब रोए भी। क्या बच्चे, क्या बच्ची, क्या बूढ़े सभी अपने गांव के शिक्षक की विदाई क़ो देखकर सभी भावुक हुए।

गांव वालों ने बताया कि अरुण त्रिपाठी जब यहां आए थे तब स्कूल की हालत बहुत ही खराब थी, लेकिन अरुण त्रिपाठी ने आते ही स्कूल की शिक्षा व्यवस्था को इतना दुरुस्त कर दिया था कि यहां का रिजल्ट अव्वल रहा। यहां पर बच्चे मन लगाकर पढ़ाई करते थे। घर-घर जाकर बच्चों को लाते थे। किसी भी बच्चे को स्कूल में कोई परेशानी होती थी तो अपने बच्चों के समान उसकी परेशानी दूर करते थे। बेहतरीन शिक्षा के साथ-साथ अपने बच्चों को खूब प्रेम करते थे।

गांव वालों से भी उनका व्यवहार बहुत अच्छा है। यही वजह है कि उनके लिए आज पूरा गांव रोया। अपनी शिक्षक से लिपट लिपट कर बच्चे रोये। उन्हें जाने नहीं दे रह थे कि आप जाओ नहीं। ऐसा दृश्य जिसने भी देखा उसकी आंखें भी नम हो गईं। बता दें कि शासकीय अध्यापक अरुण त्रिपाठी का ट्रांसफर असवार में हो गया है। आज उनको नाम आंखों से पूरे गांव ने विदाई दी। शिक्षक दिवस के मौके पर ढोल नगाड़े बजाकर उन्हें विदा किया गया। 

Posted in MP