टीकमगढ़ के विकास में महती भूमिका निभा गए डॉ. राजेंद्र मिश्रा – फोटो : अमर उजाला
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क्या आप कभी सोच सकते हैं कि सरकारी नौकरी करते हुए एक शिक्षक आपके जिले को वो सौगातें दिला सकता है जिसे यहां के जनप्रतिनिधि नहीं कर सके। जी हां हम बात कर रहे हैं टीकमगढ़ के शिक्षक डॉ राजेंद्र मिश्रा की, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं। जिन्होंने अपने अथक प्रयासों से टीकमगढ़ जिले को ऐसी तीन सौगातें दीं जिन्हें सदियों तक लोग याद करेंगे। जिसके चलते उन्हें राज्यपाल और राष्ट्रपति सम्मान से भी सम्मानित किया गया।
शहर को दिलाई रेलवे आरक्षण की सुविधा
शिक्षक दिवस पर इस महान शख्सियत को याद किया जाना चाहिए। डॉ राजेंद्र मिश्रा को वर्ष 2001 में उत्कृष्ट अध्यापन के लिए राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित किया गया था और वे प्रदेश के सबसे कम उम्र के शिक्षक थे, जिन्हें राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित किया गया था। यहीं से समाज के लिए कुछ करने की ठान ली थी। वर्ष 2001 में तत्कालीन सांसद और केंद्रीय रेल मंत्री को पत्र लिखना शुरू किया और एक वर्ष की मेहनत से 12000 पत्रों के बाद टीकमगढ़ शहर को रेलवे आरक्षण सुविधा मिली थी।
ब्लड बैंक के लिए संघर्ष
टीकमगढ़ के शिक्षक डॉ. राजेंद्र मिश्रा ने इसके बाद जिला अस्पताल में ब्लड बैंक के लिए टीकमगढ़ शहर में एक हस्ताक्षर मुहिम चलाई, क्योंकि ब्लड बैंक के अभाव में टीकमगढ़ जिला चिकित्सालय में लगातार मौते हो रही थीं। एक लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर कराकर तत्कालीन सांसद सत्यव्रत चतुर्वेदी को सौंपा। उनके प्रयास रंग लाए और 2002 में जिला अस्पताल में ब्लड बैंक की शुरुआत की गई।
तब के सीएम शिवराज भी हंस पड़े
डॉ. मिश्रा ने टीकमगढ़ जिले के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल कुंडेश्वर धाम को पर्यटक स्थल बनाने के लिए एक वर्ष के दौरान अनूठा ज्ञापन सौंपा। 20 हजार 253 पेज पर 60 हजार 251 लोगों के हस्ताक्षर कराकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को सौंपा। इसके बाद कुंडेश्वर धाम को पर्यटक स्थल घोषित कर दिया गया था। जब शिवराज सिंह को इतना मोटा दस्तावेज सौंपा गया तो वे देखकर हंसने लगे थे, लेकिन उन्होंने इसे गंभीरता से लिया और शिक्षक राजेंद्र मिश्रा की तारीफ की और कुंडेश्वर धाम को पर्यटक स्थल घोषित कर दिया गया।
समाज के लिए अपना तन-मन न्योछावर करने वाले डॉक्टर राजेंद्र मिश्रा को कोविड ने सभी से छीन लिया था। टीकमगढ़ की वरिष्ठ समाजसेवी मनोज बाबू चौबे कहते हैं कि निश्चित ही शिक्षक राजेंद्र मिश्रा के किए गए कार्यों को हम क्या आने वाली पीढ़ियां भी नहीं भूल सकतीं। क्योंकि जिस समय इस टीकमगढ़ शहर को ब्लड बैंक और रेलवे काउंटर की जरूरत थी, उस समय उन्होंने प्रयास किया और स्वीकृति दिलाई। इसके साथ ही उनके ही प्रयास से टीकमगढ़ जिले का कुंडेश्वर धाम जिले से निकलकर आज बुंदेलखंड के पटल पर छाया हुआ है, जहां पर हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं। वह आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके किए गए कार्य हमें कुछ करने की प्रेरणा देते हैं।
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