छात्रावास में भरा पानी – फोटो : अमर उजाला
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यह तस्वीरें मध्यप्रदेश के सरकारी तंत्र के उन दावों पर सवालिया निशान खड़ी कर रही हैं, जिसमें शिक्षा के नाम पर बच्चों को तमाम सुविधाएं और सुरक्षा देने की बात कही जाती है। इस तस्वीर में नजर आ रहा है कि किस तरह बारिश के पानी में डूबे बालक आश्रम के बच्चों को अपने कंधों पर बैठाकर देवदूत बनकर एक जनप्रतिनिधि अपने बेटे के साथ जहां बाहर निकल रहा है। वहीं, इस छात्रावास के जिम्मेदार अधीक्षक गायब हैं। वहीं, जब क्षेत्रीय जिम्मेदार अधिकारी को आधी रात में फोन पर इन बच्चों को लेकर जनप्रतिनिधि मदद मांगते हैं तो अधिकारी नींद में बात करते केवल आश्वासन देकर मामले को रफा-दफा कर देते हैं।
दरअसल, यह पूरा वाक्या धार जिले के कुक्षी विधानसभा के डही क्षेत्र का है। जहां डही के ग्राम बड़वान्या में बीती रात हुई तेज बारिश के चलते वहां के शासकीय अनुसूचित जनजाति बालक आश्रम में सड़क पुलिया निर्माण के चलते अचानक घुटने के ऊपर तक पानी भर गया, जिससे वहां मौजूद करीब 42 छात्रों की जिंदगी खतरे में पड़ गई और उन्हें डूबने का डर सताने लगा और चीख पुकार मच गई। इस पूरे घटनाक्रम के दौरान इस बालक आश्रम के अधीक्षक नागर सिंह अलावा छात्रावास में मौजूद ही नहीं थे और वे अपने घर पर आराम फरमा रहे थे। केवल दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के हवाले उक्त छात्रावास और 42 छात्र थे। जहां वे कर्मचारी भी कुछ समझ नहीं पा रहे थे कि कैसे इस आपदा से बचा जाए।
ऐसे में छात्रावास से करीब 100 मीटर की दूरी पर रहने वाले क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि भाजपा नेता राजू शर्मा को रात को करीब 2: 30 बजे महसूस हुआ कि अत्यधिक बारिश में सड़क निर्माण के दौरान छात्रावास के सामने बन रही पुलिया से छात्रावास में पानी घुस सकता है और बच्चों के जीवन पर खतरा हो सकता है। ऐसे में उन्होंने आनन-फानन में अपने बेटे बंटी शर्मा को साथ ले अपने घर से 100 मीटर दूरी पर स्थित छात्रावास निजी वाहन से पहुंचे और पानी से घिरे छात्रावास में अंधेरे में बेटे के साथ छात्रावास के कमरों में भरे पानी के बीच से बच्चों को अपने कंधों पर बैठाकर घुटनों के ऊपर तक बह रहे पानी के बीच से जैसे-तैसे छात्रावास के बाहर निकाला और बच्चों को सुरक्षित रूप से अपने वाहन में बैठाकर खुद के घर ले गए।
इस दौरान राजू शर्मा ने क्षेत्र के बीईओ प्रमोद कुमार माथुर से मोबाइल के माध्यम से संपर्क भी किया, जिसमें पहले तो प्रमोद माथुर ने उनका फोन काट दिया और दूसरी बार फिर कॉल करने पर उन्होंने फोन उठाकर जवाब दिया कि बच्चों के लिए व्यवस्था करवा दी गई है और लापरवाही से बात सुनी अनसुनी कर दी। ऐसे में करीब 42 की संख्या में छात्रों की जिंदगी को दांव पर लगाने वाले इन अधिकारियों के रवैया को लेकर अब सवाल उठ रहे हैं। साथ ही आधी रात में छात्रावास के में फंसे बच्चों की परवाह करते हुए मौके पर पहुंचकर भाजपा के नेता राजू शर्मा और उनके बेटे बंटी शर्मा ने जो मानवीय कर्तव्य को निभाया और डरे सहमे बच्चों को अपने घर पर आश्रय देकर सुबह खाना खिलाकर उनके परिजनों को बुलवाकर उनके घर भिजवाया, उनकी क्षेत्र में जमकर प्रशंसा हो रही है।
लोग नेताओं जनप्रतिनिधियों को राजू शर्मा से सीख लेने की चर्चा भी करते सुन जा रहे हैं। सुबह करीब 11 बजे क्षेत्रीय बीइओ प्रमोद कुमार माथुर घटना के बाद बच्चों की खैर खबर पूछने पहुंचे पर घटनाक्रम के बाद से अब तक प्राप्त जानकारी के अनुसार, अधीक्षक नागर सिंह अलावा अभी तक छात्रावास में नहीं पहुंचे हैं। ऐसे में अब शासन-प्रशासन और जिला मुख्यालय पर बैठे अधिकारियों पर भी सवाल उठता है कि जब सरकारी तंत्र जिले में तेज बारिश की भविष्यवाणी कर सकता है तो छात्रावासों में सरकारी संस्थानों में पढ़ने वाले बच्चों की सुरक्षा को लेकर उनकी चिंता कौन पालेगा और हॉस्टल संभालने वाले जिम्मेदार अधीक्षकों और जवाबदार अधिकारियों को पहले से इस तरह की आपदा को लेकर सतर्कता की कोई जिम्मेदारी है भी या नहीं। इसकी जवाब देही भी तय होना जरूरी है। इस घटना में अगर समय पर देवदूत बन कर उक्त भाजपा नेता नहीं पहुंचते तो कोई गंभीर हादसा हो सकता था।
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