न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: संदीप तिवारी Updated Sat, 31 Aug 2024 03: 49 PM IST
राजधानी भोपाल के हमीदिया अस्पातल में अब सामान्य व्यकित भी किडनी ट्रांसप्लांट करवा सकते हैं। अस्पताल की एक सफाई कर्मी मां ने अपने बेटे को किडनी दे कर उसकी जान बचाई है। सर्जरी के पहले मां बेटे। – फोटो : अमर उजाला
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मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के हमीदिया अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट करना बहुत ही आसान हो गया है। हमीदिया अस्पताल में सफाई का काम करने वाली अनीता अपने 20 वर्षीय बच्चे को किडनी देकर उसकी जान बचाई है।दरअसल काफी समय से युवक किडनी की परेशानी से जूझ रहा था हाइपरटेंशन के उपचार के दौरान उसे किडनी में परेशानी की जानकारी मिली थी। लगातार इलाज के बाद भी किडनी ठीक नहीं हुई। करीब एक साल पहले उसे डायलिसिस पर शिफ्ट करना पड़ा था। हालांकि डायलिसिस के बावजूद उसकी परेशानी बढ़ती जा रही थी। ऐसे में डॉक्टरों ने उसे किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी थी। लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति सही नहीं होने की वजह से ट्रांसप्लांट कराना संभव नहीं लग रहा था।
डॉक्टर ने दिखाई रूचि, और मां ने साहस
मरीज की माली हालत ठीक नहीं होने से किडनी ट्रांसप्लांट करना मुश्किल लग रहा था। क्योंकि निजी अस्पतालों में किडनी ट्रांसप्लांट करने में 10 लख रुपए तक खर्च आता है। युवक की मां ने हमीदिया अस्पताल के चिकित्सकों को अपनी परेशानी बताई तो चिकित्सकों ने कहा कि आप हिम्मत रखिए हम आपका फ्री में ट्रांसप्लांट करेंगे। और महिला ने साहस का परिचय देते हुए अपनी किडनी बच्चों को देने का निर्णय लिया। इसके बाद डॉक्टर ने नि:शुल्क आयुष्मान योजना से सफल ट्रांसप्लांट किया। अब मां और बेटे दोनों पूरी तरह स्वस्थ हैं जल्द ही उन्हें छुट्टी दी जाएगी।
लेप्रोस्कोपिक नेफ्रेक्टॉमी विधि से हुई सर्जरी
हमीदिया अस्पताल में यह किडनी ट्रांसप्लांट लेप्रोस्कोपिक नेफ्रेक्टॉमी विधि (की होल सर्जरी) से किया गया। डॉक्टरों के मुताबिक, इस विधि में डोनर को अपेक्षाकृत कम तकलीफ होती है और एक दिन में ही उसे डिस्चार्ज भी किया जा सकता है। इस ट्रांसप्लांट में मां ने अपनी किडनी दान कर बेटे को नया जीवन दिया। हमीदिया अस्पताल के यूरोसर्जन डॉ. अमित जैन ने बताया कि युवक के किडनी ट्रांसप्लांट के लिए जब परिजनों की जांच की गई, तो उसकी मां अनीता का ब्लड ग्रुप उससे मैच हो गया। मां ने भी अपनी किडनी बेटे को देने की इच्छा जताई थी। कई तरह की जांच के बाद किडनी ट्रांसप्लांट की तैयारियां की गईं।
ओपन सर्जरी से अच्छी रहती है कि होल सर्जरी
डॉ. अमित जैन ने बताया कि की होल सर्जरी से किडनी निकालना डॉक्टरों के लिए थोड़ा कठिन होता है, लेकिन इसमें मरीज को आराम रहता है। ओपन सर्जरी में डोनर को करीब 25 सेंटीमीटर लंबा कट लगाना पड़ता है। वहीं की होल सर्जरी में महज पांच सेमी का चीरा लगाकर डोनर की किडनी निकाली गई। डॉक्टर जैन ने बताया कि हमें दिया अस्पताल की नई बिल्डिंग में यह पहला किडनी ट्रांसप्लांट है। हमीदिया अस्पताल में अभी तक आठ लोगों का किडनी ट्रांसप्लांट किया जा चुका है। डॉक्टरों की टीम ने यह ट्रांसप्लांट किया उनमें में किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ. हिमांशु शर्मा के साथ किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ. आरआर बर्डे, प्रत्यारोपण सर्जन डॉ. सौरभ जैन, डॉ. अमित जैन, डॉ. समीर व्यास, डॉ. नरेन्द्र कुर्मी, निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ. बृजेश कौशल, डॉ. श्वेता श्रीवास्तव आदि शामिल थे।
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