जबलपुर में स्कूल फीस मामले में जिन संचालकों पर कार्रवाई की गई थी, उन्हें सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी है। Supreme Court – फोटो : PTI
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फर्जी आईएसबीएन पुस्तक और अनियमित फीस वृद्धि के मामले में जेल में बंद 11 स्कूल प्रबंधन समिति के सदस्य और प्राचार्य को सर्वोच्च न्यायालय से राहत मिली है।जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एनके सिंह की युगलपीठ ने इन आरोपियों को जमानत देने का आदेश दिया है। ये आरोपी पिछले ढाई महीने से अधिक समय से जेल में थे।
मई माह के अंतिम सप्ताह में जबलपुर के नौ थानों के अंतर्गत आने वाले स्कूलों के प्रबंधक समिति के सदस्यों, प्राचार्यों, पुस्तक विक्रेताओं और प्रकाशकों के खिलाफ कुल 11 मामले दर्ज किए गए थे। इन मामलों में कुल 51 लोगों को आरोपी बनाया गया था। हाईकोर्ट से दो बार जमानत याचिका खारिज होने के बाद, स्कूल प्रबंधन समिति के सदस्यों और प्राचार्यों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। याचिकाकर्ताओं की ओर से यह तर्क दिया गया कि वे स्कूल प्रबंधन समिति के सदस्य और प्राचार्य के पद पर कार्यरत थे और इस पूरे मामले में उन्हें कोई व्यक्तिगत आर्थिक लाभ नहीं हुआ है। मध्य प्रदेश निजी विद्यालय अधिनियम 2017 के तहत अधिक फीस वृद्धि के मामलों में केवल जुर्माने का प्रावधान है, आपराधिक मामले दर्ज कराने का नहीं। आरोपियों के ढाई महीने से अधिक समय से जेल में बंद होने के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट की युगलपीठ ने उनकी जमानत याचिका मंजूर कर ली। याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा, वरुण तन्खा और हर्षित बारी ने पैरवी की।
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