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हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा तथा जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने प्रदेश सरकार को निर्देशित किया है कि गत तीस सालों को कितने जंगली हाथियों को पकड़ा गया, उसका ब्यौरा पेश करें। युगलपीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई 28 अगस्त को निर्धारित की गई है।
याचिकाकर्ता रायपुर निवासी नितिन सिंघवी की तरफ से दायर याचिका में कहा गया कि छत्तीसगढ़ से जंगली हाथियों का झुंड मध्य प्रदेश के जंगलों में जाता है। इस दौरान हाथियों के झुंड भोजन की तलाश में किसानों की फसल बर्बाद कर देता है। लोगों के घरों को तोड़ते हैं। कई घटना में जंगली हाथियों ने लोगों पर हमला कर उन्हें घायल कर दिया है और उनकी जान भी ली है।
याचिका में कहा गया है कि प्रिंसिपल चीफ कंजरवेटर फॉरेस्ट वाइल्ड लाइफ के आदेश पर ही हाथियों को पकड़ा जा सकता है। जंगली हाथी संरक्षित वन्य प्राणियों की प्रथम सूची में आता है। जंगली हाथियों को पकड़ने के बाद उन्हें टाइगर रिजर्व भेज दिया जाता है। टाइगर रिजर्व में उन्हें ट्रेनिंग देकर सुरक्षा में लगा देता है। ट्रेनिंग के दौरान जंगली हाथियों को कई तरह की यातना दी जाती है। याचिका में कहा गया है कि केन्द्रीय पर्यावरण विभाग की गाइड लाइन के अनुसार जंगली हाथियों को पकड़कर उनका उपयोग किया जाना अंतिम विकल्प माना गया है। इसके विपरीत मध्य प्रदेश में इसे पहले विकल्प के रूप में उपयोग किया जाता है। जंगली हाथियों के पुनर्वास के लिए कोई योजना नहीं बनाई गई है। याचिका की सुनवाई के दौरान पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ तथा कान्हा नेशनल पार्क के फील्ड डायरेक्टर वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से न्यायालय के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए। युगलपीठ ने उनके जवाब से असंतुष्ट होकर उक्त आदेश जारी किए। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने पैरवी की।
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