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विषैले कचरे का विरोध। - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us भोपाल की यूनियन कार्बाइट कंपनी का 337 टन कचरा पीथमपुर मेें जलाए जाने का विरोध इंदौर में हुआ। सैकड़ों लोगों ने रीगल तिराहा से संभागायुक्त कार्यालय तक रैली निकाली और नारेबाजी कर विरोध दर्ज कराया। प्रदर्शनकारी भोपाल का कचरा इंदौर में नहीं चलने देंगे। पीथमपुर में नहीं फैलाने देंगे जहर जैसे नारे लगाए गए। अफसरों को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन देकर भारतीय मानवअधिकार परिषद के कार्यकर्ता बोल रहे थे कि जिस कचरेे को चार राज्यों ने जलाने से इनकार कर दिया। उस कचरे को 126 करोड़ के लालच में कंपनी जलाने को तैयार हो गई है, जबकि फैक्ट्री के पास तारापुर गांव है। जहां दो हजार परिवार रहते है। इस प्रदर्शन मेें पीथमपुर के रहवासी भी शामिल हुए थे। पीथमपुर मेें भी लगातार इसे लेकर रैली, प्रदर्शन, हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा हैै। परिषद के पदाधिकारी संजय अरोरा ने कहा कि पीथमपुर प्रदेश का सबसे बड़ा इंडस्ट्रीयल क्षेत्र में है। रोजगार की तलाश में यहां अन्य प्रदेशों के लोग आकर रहने लगे है। यदि विषैलेे कचरे का दुष्प्रभाव फैला तो पलायन शुरू हो जाएगा।यहां विषैले कचरे का निपटना नहीं होना चाहिए। हम आपको बता दे कि 16 साल पहले पीथमपुर के तारापुर गांव में 40 टन कचरा दबाया जा चुका है। इससे तारापुर गांव का भू जल प्रदूषित हो गया हैै। नदी का पानी काला हो चुका है और मवेशी पानी पीने के कारण बीमार हो जाते है। अब पीथमपुर की कंपनी को 126 करोड़ रुपये कचरे के निपटान के लिए दिए जाएंगे। 

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विषैले कचरे का विरोध। – फोटो : अमर उजाला

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भोपाल की यूनियन कार्बाइट कंपनी का 337 टन कचरा पीथमपुर मेें जलाए जाने का विरोध इंदौर में हुआ। सैकड़ों लोगों ने रीगल तिराहा से संभागायुक्त कार्यालय तक रैली निकाली और नारेबाजी कर विरोध दर्ज कराया। प्रदर्शनकारी भोपाल का कचरा इंदौर में नहीं चलने देंगे।

पीथमपुर में नहीं फैलाने देंगे जहर जैसे नारे लगाए गए। अफसरों को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन देकर भारतीय मानवअधिकार परिषद के कार्यकर्ता बोल रहे थे कि जिस कचरेे को चार राज्यों ने जलाने से इनकार कर दिया।

उस कचरे को 126 करोड़ के लालच में कंपनी जलाने को तैयार हो गई है, जबकि फैक्ट्री के पास तारापुर गांव है। जहां दो हजार परिवार रहते है। इस प्रदर्शन मेें पीथमपुर के रहवासी भी शामिल हुए थे।

पीथमपुर मेें भी लगातार इसे लेकर रैली, प्रदर्शन, हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा हैै। परिषद के पदाधिकारी संजय अरोरा ने कहा कि पीथमपुर प्रदेश का सबसे बड़ा इंडस्ट्रीयल क्षेत्र में है। रोजगार की तलाश में यहां अन्य प्रदेशों के लोग आकर रहने लगे है।

यदि विषैलेे कचरे का दुष्प्रभाव फैला तो पलायन शुरू हो जाएगा।यहां विषैले कचरे का निपटना नहीं होना चाहिए। हम आपको बता दे कि 16 साल पहले पीथमपुर के तारापुर गांव में 40 टन कचरा दबाया जा चुका है। इससे तारापुर गांव का भू जल प्रदूषित हो गया हैै।

नदी का पानी काला हो चुका है और मवेशी पानी पीने के कारण बीमार हो जाते है। अब पीथमपुर की कंपनी को 126 करोड़ रुपये कचरे के निपटान के लिए दिए जाएंगे। 

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