फिटर शिव नारायण नामदेव - फोटो : social media विस्तार Follow Us राजधानी भोपाल स्थित पीएचई विभाग के भोपाल खंड में शासन के नियमों को ताक पर रखकर कार्यपालन यंत्री मंजू सिंह के हिसाब से कर्मचारियों को काम दिया जाता है। यहां नल सुधरने और पाइपलाइन का काम करने वाले फिटर को ऑडिटर का चार्ज देकर लाखों के बिल पर हस्ताक्षर करवाए जा रहे हैं, जबकि यहां तीन बाबू ऐसे हैं जिनको कार्यपालन यंत्री ने कोई काम नहीं दिया है, ये तीनों बाबू ऑफिस में खाली बैठ कर वेतन ले रहे हैं। खास बात यह है कि फिटर शिवनारायण नामदेव को पीएचई मेंटेनेंस डिविजन से भोपाल खंड में अटैच कर ऑडिटर का काम कराया जा रहा है। जबकि जीडीए ने कर्मचारियों के अटैच पर रोक लगाया है।  जाने क्या होता है फिटर  और ऑडिटर का काम ऑडिटर का काम- लेखा परीक्षण बिलों की जांच करना, बिलों को पास करना और अनुबंधों के अनुसार कंपनियों का भुगतान करना।   फिटर का काम-  नलों को सुधारना, पाइप लाइनों का काम करना, तकनीकी से संबंधित अन्य कामों को करना। अधिकारी सब कुछ जान कर भी मौन पीएचई विभाग के भोपाल खंड में चल रही घोर लापरवाही के बारे में जब पीएचई विभाग के अधिकारियों से बात करने की कोशिश की गई तो, कोई अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हुए, जबकि अधिकारियों को इसकी पूरी जानकारी है। एक अधिकारी ने तर्क देते हुए कहा कि कर्मचारियों की कमी के कारण ऐसा हो रहा है। जब उन्हें बताया गया कि भोपाल खंड में तीन बाबू खाली बैठे हैं और अटैच फिटर से ऑडिटर का काम करवाया जा रहा है तो उन्होंने कहा पता करवाता हूं। मिली जानकारी के अनुसार भोपाल खंड में पदस्थ कार्यपालन यंत्री मंजू सिंह अधिकारियों द्वारा जारी आदेशों का पालन नहीं कर रही है। यहां पदस्थ बाबुओं को काम देने को लेकर अधिकारियों ने कई लेटर जारी किए हैं, लेकिन कार्यपालन यंत्री किसी की सुनने को तैयार नहीं है।  दो नियमित सब इंजीनियर के रहते कार्यभारित को चार्ज  इधर दो नियमित सब इंजीनियर मनोज मोदी और देवेंद्र सिंह के खंड में रहते हुए भी कार्यभारित संजय सक्सेना "अपात्र " को नियम और प्रावधानों के विपरीत (अनुविभागीय अधिकारी )सहायक यंत्री के अवैध प्रभार में पदस्थ किया गया है। और सक्सेना को द्वितीय श्रेणी अधिकारी के समान लग्जरी वाहन और अन्य सुविधाएं दी जा रही है।  जबकि नियम के अनुसार सहायक यांत्रिक का प्रभार किसी नियमित सब इंजीनियर को दिया जा सकता है। संजय सक्सेना कार्यभारित सब इंजीनियर हैं, इसलिए वे इस पद की पात्रता नहीं रखते हैं।

You can share this post!

Related News

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

फिटर शिव नारायण नामदेव – फोटो : social media

विस्तार Follow Us

राजधानी भोपाल स्थित पीएचई विभाग के भोपाल खंड में शासन के नियमों को ताक पर रखकर कार्यपालन यंत्री मंजू सिंह के हिसाब से कर्मचारियों को काम दिया जाता है। यहां नल सुधरने और पाइपलाइन का काम करने वाले फिटर को ऑडिटर का चार्ज देकर लाखों के बिल पर हस्ताक्षर करवाए जा रहे हैं, जबकि यहां तीन बाबू ऐसे हैं जिनको कार्यपालन यंत्री ने कोई काम नहीं दिया है, ये तीनों बाबू ऑफिस में खाली बैठ कर वेतन ले रहे हैं। खास बात यह है कि फिटर शिवनारायण नामदेव को पीएचई मेंटेनेंस डिविजन से भोपाल खंड में अटैच कर ऑडिटर का काम कराया जा रहा है। जबकि जीडीए ने कर्मचारियों के अटैच पर रोक लगाया है। 

जाने क्या होता है फिटर  और ऑडिटर का काम

ऑडिटर का काम- लेखा परीक्षण बिलों की जांच करना, बिलों को पास करना और अनुबंधों के अनुसार कंपनियों का भुगतान करना।
 
फिटर का काम-  नलों को सुधारना, पाइप लाइनों का काम करना, तकनीकी से संबंधित अन्य कामों को करना।

अधिकारी सब कुछ जान कर भी मौन
पीएचई विभाग के भोपाल खंड में चल रही घोर लापरवाही के बारे में जब पीएचई विभाग के अधिकारियों से बात करने की कोशिश की गई तो, कोई अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हुए, जबकि अधिकारियों को इसकी पूरी जानकारी है। एक अधिकारी ने तर्क देते हुए कहा कि कर्मचारियों की कमी के कारण ऐसा हो रहा है। जब उन्हें बताया गया कि भोपाल खंड में तीन बाबू खाली बैठे हैं और अटैच फिटर से ऑडिटर का काम करवाया जा रहा है तो उन्होंने कहा पता करवाता हूं। मिली जानकारी के अनुसार भोपाल खंड में पदस्थ कार्यपालन यंत्री मंजू सिंह अधिकारियों द्वारा जारी आदेशों का पालन नहीं कर रही है। यहां पदस्थ बाबुओं को काम देने को लेकर अधिकारियों ने कई लेटर जारी किए हैं, लेकिन कार्यपालन यंत्री किसी की सुनने को तैयार नहीं है। 

दो नियमित सब इंजीनियर के रहते कार्यभारित को चार्ज 
इधर दो नियमित सब इंजीनियर मनोज मोदी और देवेंद्र सिंह के खंड में रहते हुए भी कार्यभारित संजय सक्सेना “अपात्र ” को नियम और प्रावधानों के विपरीत (अनुविभागीय अधिकारी )सहायक यंत्री के अवैध प्रभार में पदस्थ किया गया है। और सक्सेना को द्वितीय श्रेणी अधिकारी के समान लग्जरी वाहन और अन्य सुविधाएं दी जा रही है।  जबकि नियम के अनुसार सहायक यांत्रिक का प्रभार किसी नियमित सब इंजीनियर को दिया जा सकता है। संजय सक्सेना कार्यभारित सब इंजीनियर हैं, इसलिए वे इस पद की पात्रता नहीं रखते हैं।

Posted in MP