रांची : चंपत राय, जिन्होंने अपना पूरा जीवन रामलला को समर्पित कर दिया. पिछले चार दशक से ज्यादा समय से वह राम मंदिर के सामाजिक-धार्मिक आंदोलन से जुड़े रहे हैं. इसकी कानूनी लड़ाई में अहम और अग्रणी भूमिका में रहे. वर्तमान में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महासचिव और विहिप के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. अयोध्या में रामलला का अलौकिक और भव्य मंदिर इनकी ही देख-रेख में बन रहा है. फिजिक्स के प्रोफेसर रहे चंपत राय ने आपातकाल का विरोध करते हुए नौकरी छोड़ दी थी. श्रीराम के प्रति उनके समर्पण, सेवा और मंदिर निर्माण का ऐसा जुनून था कि चंपत राय को भगवान राम का पटवारी कहा जाता है. चंपत राय राजधानी के तपोवन में राम मंदिर के शिलान्यास समारोह में शामिल होने पहुंचे थे. ‘प्रभात खबर’ के ब्यूरो प्रमुख आनंद मोहन ने राम मंदिर निर्माण और इससे जुड़े विभिन्न पहलुओं पर उनसे चर्चा की. सवाल : राम मंदिर का निर्माण राष्ट्र को क्या संदेश देता है? जवाब : जो 15 अगस्त, 26 जनवरी का संदेश है, वही रामलला के मंदिर निर्माण का संदेश है. अयोध्या में एक मंदिर था, जिसे एक विदेशी आक्रमणकारी ने तोड़ दिया. 500 वर्षों के अपमान का परिमार्जन है यह. यह उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना 15 अगस्त 1947 महत्वपूर्ण है. राष्ट्रीय गौरव के उत्थान का संदेश देता है. यह मंदिर राष्ट्र निर्माण का प्रतिक है. सवाल : राम मंदिर अपने पूर्ण और भव्य रूप में कब तक आ जायेगा? जवाब : मंदिर निर्माण का काम चल रहा है. पूरे कॉम्प्लेक्स का निर्माण होना है. सप्त ऋषियों, तुलसी दास, राम दरबार का निर्माण हो रहा है. अलग-अलग सुविधा केंद्र बन रहे हैं. मंदिर निर्माण का काम 2024 तक पूरा हो जायेगा, वहीं दिसंबर 2025 तक पूरा कॉम्प्लेक्स बन कर तैयार होगा. इस मंदिर के परिसर की हरियाली प्राथमिकता है. अभी 600 से ज्यादा पेड़ लगाये गये हैं. 70 एकड़ के परिसर में 50 एकड़ को हरा-भरा बनाया जायेगा. मंदिर परिसर की सुंदरता-स्वच्छता का विशेष ध्यान दिया जा रहा है. सवाल : सुरक्षा के इंतजाम कैसे होंगे? जवाब : राम मंदिर में आधुनिक तकनीक व सुविधाओं का ख्याल रखा गया है. सुरक्षा को लेकर बोलना सही नहीं होगा, ये पेपर लीक करने जैसा मामला होगा. इनता जरूर कहूंगा कि देश भर के मंदिरों में जो दुर्घटनाएं हुईं हैं, उसका ध्यान रखा गया है. सवाल : हाल में खबर आयी कि मंदिर में पानी टपक रहा है? जवाब : मंदिर का निर्माण चल रहा है. निर्माण काल में कुछ चीजें होती हैं. इस पर सबका ध्यान है. सवाल : राम मंदिर में रामलला की बाल्य प्रतिमा लगाने की परिकल्पना का आधार क्या रहा? जवाब : 70 साल से रामलला मंदिर निर्माण का मामला कोर्ट में चल रहा था. यह लड़ाई रामलला यानि ‘चाइल्ड राम’ की थी. मुकदमा ट्रस्ट ने नहीं, रामलला ने जीता है. हमारी परिकल्पना का यही आधार था. मंदिर में बालक राम की प्रतिमा लगे. हिंदू धर्म-रीति रिवाज में आठ वर्ष के बच्चे की यज्ञोपवित होता है. बच्चा पांच साल में चलने लगता है, अपने पैरों पर खड़ा हो जाता है. यहां उसी भाव से पांच वर्ष के रामलला को स्थापित किया गया. यहां राम का बाल रूप है, इसलिए माता जानकी साथ में नहीं हैं. सवाल : काशी विश्वनाथ और मथुरा में भी विवाद है. इसको लेकर क्या विचार रखते हैं? जवाब : देवराहा बाबा कहते थे, कायदा बन गया है, तो कायदा बन जायेगा. इतना ही इस पर कहूंगा. Also Read: Jharkhand Tourism: इस प्रसिद्ध मंदिर में भगवान श्री राम ने की थी सूर्य देव की आराधना

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रांची : चंपत राय, जिन्होंने अपना पूरा जीवन रामलला को समर्पित कर दिया. पिछले चार दशक से ज्यादा समय से वह राम मंदिर के सामाजिक-धार्मिक आंदोलन से जुड़े रहे हैं. इसकी कानूनी लड़ाई में अहम और अग्रणी भूमिका में रहे. वर्तमान में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महासचिव और विहिप के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. अयोध्या में रामलला का अलौकिक और भव्य मंदिर इनकी ही देख-रेख में बन रहा है. फिजिक्स के प्रोफेसर रहे चंपत राय ने आपातकाल का विरोध करते हुए नौकरी छोड़ दी थी. श्रीराम के प्रति उनके समर्पण, सेवा और मंदिर निर्माण का ऐसा जुनून था कि चंपत राय को भगवान राम का पटवारी कहा जाता है. चंपत राय राजधानी के तपोवन में राम मंदिर के शिलान्यास समारोह में शामिल होने पहुंचे थे. ‘प्रभात खबर’ के ब्यूरो प्रमुख आनंद मोहन ने राम मंदिर निर्माण और इससे जुड़े विभिन्न पहलुओं पर उनसे चर्चा की.

सवाल : राम मंदिर का निर्माण राष्ट्र को क्या संदेश देता है? जवाब : जो 15 अगस्त, 26 जनवरी का संदेश है, वही रामलला के मंदिर निर्माण का संदेश है. अयोध्या में एक मंदिर था, जिसे एक विदेशी आक्रमणकारी ने तोड़ दिया. 500 वर्षों के अपमान का परिमार्जन है यह. यह उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना 15 अगस्त 1947 महत्वपूर्ण है. राष्ट्रीय गौरव के उत्थान का संदेश देता है. यह मंदिर राष्ट्र निर्माण का प्रतिक है.

सवाल : राम मंदिर अपने पूर्ण और भव्य रूप में कब तक आ जायेगा? जवाब : मंदिर निर्माण का काम चल रहा है. पूरे कॉम्प्लेक्स का निर्माण होना है. सप्त ऋषियों, तुलसी दास, राम दरबार का निर्माण हो रहा है. अलग-अलग सुविधा केंद्र बन रहे हैं. मंदिर निर्माण का काम 2024 तक पूरा हो जायेगा, वहीं दिसंबर 2025 तक पूरा कॉम्प्लेक्स बन कर तैयार होगा. इस मंदिर के परिसर की हरियाली प्राथमिकता है. अभी 600 से ज्यादा पेड़ लगाये गये हैं. 70 एकड़ के परिसर में 50 एकड़ को हरा-भरा बनाया जायेगा. मंदिर परिसर की सुंदरता-स्वच्छता का विशेष ध्यान दिया जा रहा है.

सवाल : सुरक्षा के इंतजाम कैसे होंगे? जवाब : राम मंदिर में आधुनिक तकनीक व सुविधाओं का ख्याल रखा गया है. सुरक्षा को लेकर बोलना सही नहीं होगा, ये पेपर लीक करने जैसा मामला होगा. इनता जरूर कहूंगा कि देश भर के मंदिरों में जो दुर्घटनाएं हुईं हैं, उसका ध्यान रखा गया है.

सवाल : हाल में खबर आयी कि मंदिर में पानी टपक रहा है? जवाब : मंदिर का निर्माण चल रहा है. निर्माण काल में कुछ चीजें होती हैं. इस पर सबका ध्यान है.

सवाल : राम मंदिर में रामलला की बाल्य प्रतिमा लगाने की परिकल्पना का आधार क्या रहा? जवाब : 70 साल से रामलला मंदिर निर्माण का मामला कोर्ट में चल रहा था. यह लड़ाई रामलला यानि ‘चाइल्ड राम’ की थी. मुकदमा ट्रस्ट ने नहीं, रामलला ने जीता है. हमारी परिकल्पना का यही आधार था. मंदिर में बालक राम की प्रतिमा लगे. हिंदू धर्म-रीति रिवाज में आठ वर्ष के बच्चे की यज्ञोपवित होता है. बच्चा पांच साल में चलने लगता है, अपने पैरों पर खड़ा हो जाता है. यहां उसी भाव से पांच वर्ष के रामलला को स्थापित किया गया. यहां राम का बाल रूप है, इसलिए माता जानकी साथ में नहीं हैं.

सवाल : काशी विश्वनाथ और मथुरा में भी विवाद है. इसको लेकर क्या विचार रखते हैं? जवाब : देवराहा बाबा कहते थे, कायदा बन गया है, तो कायदा बन जायेगा. इतना ही इस पर कहूंगा.

Also Read: Jharkhand Tourism: इस प्रसिद्ध मंदिर में भगवान श्री राम ने की थी सूर्य देव की आराधना