तालीम घर - फोटो : सोशल मीडिया विस्तार Follow Us मध्यप्रदेश के कई जिलो में संसाधनों के अभाव में मदरसा स्कूल बंद हो चुके या बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं। मुस्लिम समाज की पहचान के रूप में जाने वाली मदरसा/उर्दू भाषा के प्रति शासन के उदासीन रवैए पर आधुनिक मदरसा कल्याण संघ के कफील अहमद ने चिंता जताई है।  उन्होंने कहा कि मदरसा शिक्षकों को गत पांच वर्षों से मानदेय/वेतन नहीं मिला है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा के बाद भी मदरसा कटॅजेन्सी 25000 से 50,000 रु. करने पर अमल नहीं हो पा रहा है। भोपाल समेत प्रदेश के कई जिलों में मदरसा योजना/उर्दू शिक्षकों के अभाव में योजना बंद होने जा रही है। चिट्ठी पत्री बेअसर आधुनिक मदरसा कल्याण संघ के कफील अहमद ने जिला कलेक्टर से लेकर स्कूल शिक्षा के प्रमुख सचिव एवं अन्य को पत्र दिए। लेकिन इसके बाद भी प्रशासन नहीं जागा। उन्होंने मदरसा/स्कूलों में संसाधन उपलब्ध कराने की मांग कि विगत कुछ साल से मदरसा शिक्षकों को वेतन नहीं मिला है। ऐसे गंभीर मामले में प्रशासन अधिकारी रटा-रटाया जवाब देकर अपने कर्तव्य से पल्ला झाड़ लेते हैं। बिगड़ रहे हालत मदरसों में बच्चों की उपस्थित होने के बाद भी पठन-पाठन भी बेहतर ढंग से नहीं हो पा रहा है। कफील अहमद ने बताया कि एक तरफ प्रदेश सरकार शिक्षा के नाम पर बड़ी रकम खर्च शहर से लेकर गांव तक विद्यालय भवन का निर्माण करा रहे हैं, वही मदरसा स्कूल के शिक्षकों एवं विद्यार्थियों पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। 

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मध्यप्रदेश के कई जिलो में संसाधनों के अभाव में मदरसा स्कूल बंद हो चुके या बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं। मुस्लिम समाज की पहचान के रूप में जाने वाली मदरसा/उर्दू भाषा के प्रति शासन के उदासीन रवैए पर आधुनिक मदरसा कल्याण संघ के कफील अहमद ने चिंता जताई है। 

उन्होंने कहा कि मदरसा शिक्षकों को गत पांच वर्षों से मानदेय/वेतन नहीं मिला है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा के बाद भी मदरसा कटॅजेन्सी 25000 से 50,000 रु. करने पर अमल नहीं हो पा रहा है। भोपाल समेत प्रदेश के कई जिलों में मदरसा योजना/उर्दू शिक्षकों के अभाव में योजना बंद होने जा रही है।

चिट्ठी पत्री बेअसर
आधुनिक मदरसा कल्याण संघ के कफील अहमद ने जिला कलेक्टर से लेकर स्कूल शिक्षा के प्रमुख सचिव एवं अन्य को पत्र दिए। लेकिन इसके बाद भी प्रशासन नहीं जागा। उन्होंने मदरसा/स्कूलों में संसाधन उपलब्ध कराने की मांग कि विगत कुछ साल से मदरसा शिक्षकों को वेतन नहीं मिला है। ऐसे गंभीर मामले में प्रशासन अधिकारी रटा-रटाया जवाब देकर अपने कर्तव्य से पल्ला झाड़ लेते हैं।

बिगड़ रहे हालत
मदरसों में बच्चों की उपस्थित होने के बाद भी पठन-पाठन भी बेहतर ढंग से नहीं हो पा रहा है। कफील अहमद ने बताया कि एक तरफ प्रदेश सरकार शिक्षा के नाम पर बड़ी रकम खर्च शहर से लेकर गांव तक विद्यालय भवन का निर्माण करा रहे हैं, वही मदरसा स्कूल के शिक्षकों एवं विद्यार्थियों पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। 

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