कुक्षी में इस तरह नदी के पार कर शव श्मसान घाट पहुंचाया गया। - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us वर्षा काल में जहां हमारे प्रदेश सहित देश भर में अनेक जगह पर बारिश का सितम देखने को मिल रहा है। लोग जान जोखिम में डालकर जीने को मजबूर हैं। इस दौर में शासन-प्रशासन के दावों की भी पोल खुल रही है। साथ ही उन जनप्रतिनिधियों पर भी सवाल उठ रहे हैं जो वर्षों से क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हुए वहां विकास की बातें और दावे करते रहे हैं। ऐसा ही ताजा मामला धार जिले के कुक्षी के ग्राम कापसी में देखने को मिला। ग्राम कापसी के एक प्रतिष्ठित व्यक्ति की मृत्यु के बाद उनकी शव यात्रा को क्षेत्र में स्थित तेज गति से बहती उरी बाघिनि नदी में से ले जाना पड़ा। इस पूरे घटनाक्रम के दौरान शव यात्रा में शामिल क्षेत्रीय विधायक सुरेंद्र सिंह बघेल नदी पार करने के पहले ही अन्य आयोजन में भाग लेने के नाम पर वापस रवाना हो गए। प्राप्त जानकारी के अनुसार कुक्षी क्षेत्र के ग्राम कापसी के रहने वाले समाजसेवी मोती कोतवाल का बीते दिनों निधन हो गया। इसके बाद गत दिवस उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई। इसमें बड़ी संख्या में ग्रामीणों के साथ ही क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों सहित कुक्षी से तीन बार के कांग्रेसी विधायक सुरेंद्र सिंह बघेल ने भी भाग लिया। इस दौरान उक्त शव यात्रा ग्राम कापसी से होते हुए रास्ते मे पड़ने वाली उरी बाघिनि नदी पार श्मशान घाट के लिए निकली। जहां नदी में बारिश की वजह से जल स्तर बड़ा हुआ था। उसके बाद भी शव यात्रा में शामिल लोगों के कदम नहीं रुके और तेज गति में बह रही उरी बांधनी नदी की तेज धाराओं में जान जोखिम में डालते हुए निकले। वहीं शव यात्रा के दौरान विधायक सुरेंद्र सिंह बघेल ग्राम कापसी से नदी तक पहुंचने के बाद वहां से अन्यत्र आयोजन में भाग लेने का कह कर रवाना हो गए। हमने विधायक सुरेंद्र सिंह बघेल से इस मामले पर संपर्क भी करना चाहा परन्तु उनसे बात नहीं हो पाई। ग्राम कापसी के उनके प्रतिनिधि शंकर लाल भायल ने बताया कि 2013 से ही विधायक सहित ग्रामीणों द्वारा उक्त उरी बाघिनि नदी पर लगभग 5 करोड़ के लागत के पुल बनाने की मांग कई विभागों से की गई। आज तक प्रयास जारी हैं, पर अभी तक उन्हें सफलता नहीं मिली। ग्राम कापसी से उक्त मार्ग उरी बाघिनी नदी पार करते हुए बाग रोड तक निकलता है जिसका उपयोग किसानों द्वारा अपने खेतों तक जाने सहित बाग नगर जाने में किया जाता है। परंतु प्रशासन की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया जाता है।

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कुक्षी में इस तरह नदी के पार कर शव श्मसान घाट पहुंचाया गया। – फोटो : अमर उजाला

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वर्षा काल में जहां हमारे प्रदेश सहित देश भर में अनेक जगह पर बारिश का सितम देखने को मिल रहा है। लोग जान जोखिम में डालकर जीने को मजबूर हैं। इस दौर में शासन-प्रशासन के दावों की भी पोल खुल रही है। साथ ही उन जनप्रतिनिधियों पर भी सवाल उठ रहे हैं जो वर्षों से क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हुए वहां विकास की बातें और दावे करते रहे हैं। ऐसा ही ताजा मामला धार जिले के कुक्षी के ग्राम कापसी में देखने को मिला। ग्राम कापसी के एक प्रतिष्ठित व्यक्ति की मृत्यु के बाद उनकी शव यात्रा को क्षेत्र में स्थित तेज गति से बहती उरी बाघिनि नदी में से ले जाना पड़ा। इस पूरे घटनाक्रम के दौरान शव यात्रा में शामिल क्षेत्रीय विधायक सुरेंद्र सिंह बघेल नदी पार करने के पहले ही अन्य आयोजन में भाग लेने के नाम पर वापस रवाना हो गए।

प्राप्त जानकारी के अनुसार कुक्षी क्षेत्र के ग्राम कापसी के रहने वाले समाजसेवी मोती कोतवाल का बीते दिनों निधन हो गया। इसके बाद गत दिवस उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई। इसमें बड़ी संख्या में ग्रामीणों के साथ ही क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों सहित कुक्षी से तीन बार के कांग्रेसी विधायक सुरेंद्र सिंह बघेल ने भी भाग लिया। इस दौरान उक्त शव यात्रा ग्राम कापसी से होते हुए रास्ते मे पड़ने वाली उरी बाघिनि नदी पार श्मशान घाट के लिए निकली। जहां नदी में बारिश की वजह से जल स्तर बड़ा हुआ था। उसके बाद भी शव यात्रा में शामिल लोगों के कदम नहीं रुके और तेज गति में बह रही उरी बांधनी नदी की तेज धाराओं में जान जोखिम में डालते हुए निकले। वहीं शव यात्रा के दौरान विधायक सुरेंद्र सिंह बघेल ग्राम कापसी से नदी तक पहुंचने के बाद वहां से अन्यत्र आयोजन में भाग लेने का कह कर रवाना हो गए। हमने विधायक सुरेंद्र सिंह बघेल से इस मामले पर संपर्क भी करना चाहा परन्तु उनसे बात नहीं हो पाई।

ग्राम कापसी के उनके प्रतिनिधि शंकर लाल भायल ने बताया कि 2013 से ही विधायक सहित ग्रामीणों द्वारा उक्त उरी बाघिनि नदी पर लगभग 5 करोड़ के लागत के पुल बनाने की मांग कई विभागों से की गई। आज तक प्रयास जारी हैं, पर अभी तक उन्हें सफलता नहीं मिली। ग्राम कापसी से उक्त मार्ग उरी बाघिनी नदी पार करते हुए बाग रोड तक निकलता है जिसका उपयोग किसानों द्वारा अपने खेतों तक जाने सहित बाग नगर जाने में किया जाता है। परंतु प्रशासन की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया जाता है।

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