यूनियन कार्बाइट के कचरे से इंदौर के तालाब मेें फैलेगा प्रदूषण। – फोटो : अमर उजाला
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40 साल पहले जिस यूनियन कार्बाइट फैक्टी के कारण भोपाल गैस त्रासदी हुई। उसका विषैला कचरा इंदौर से 40 किलोमीटर दूर पीथमपुर के आशापुर गांव मेें जलाने की तैयारी की जा रही हैै। केंद्र सरकार ने इसके लिए 126 करोड़ रुपये कचरे का निपटान करने वाली कंपनी क देने का फैसला लिया हैै, लेकिन पीथमपुर जैसी इंडस्ट्रीयल सिटी में कचरा जलाने का विरोध जोर पकड़ने लगा है।
इस कचरे के यहां निपटान से पीथमपुर ही नहीं इंदौर के तालाब के पानी पर भी खतरा मंडरानेे लगेगा। तारापुर गांव की नदी की पानी गंभीर नदी से मिलता है। गंभीर नदी पर इंदौर में यशवंत सागर तालाब बांध बनाया गया है। इस तालाब से हर दिन 30 एमएलडी पानी आठ लोग लोगों के घरों तक पहुंचाया जाता है।
40 टन कचरे के असर का अध्ययन नहीं
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने वर्ष 2008 में 40 टन कचरा पीथमपुर में लैंडफील किया,लेकिन उससे होने वाले असर का कोई अध्ययन नहीं किया गया। कचरा दफनाने के बाद गांव की नदी का पानी काला हो गया।
अभी भी वह पानी तालाब में मिलकर उसे दूषित कर रहा है, लेकिन जब 337 टन कचरे का निपटान यहां होगा तो पानी और हवा के प्रदूषण का खतरा ज्यादा बढ़ जाएगा। धार विधायक नीना वर्मा ने कहा कि पहले हमने यूपीए सरकार को पीथमपुर के आसपास बसे शहर महू, इंदौर का हवाला दिया था। तत्कालीन पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने इस पक्ष पर ध्यान दिया था।
इस कारण 16 साल से मामला ठंडे बस्त में था।कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता अभय दुबे ने कहा कि 16 साल पहले हमारे विरोध के कारण यूनियन कार्बाइट का बचा कचरा पीथमपुर नहीं आया था। जो कचरा पहले दफनाया गया है। उससे भी इंदौर का सबसे बड़ा तालाब दूषित हो रहा है। इसका कांग्रेस पुरजोर तरीके से विरोध करेगी।
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