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स्टे वाले घरों को भी प्रशासन ने तोड़ दिया था। - फोटो : अमर उजाला, डिजिटल, इंदौर विस्तार Follow Us न्याय नगर की कृष्णबाग कॉलोनी में रहवासियों के निर्माण तोड़ने पर सुप्रीम कोर्ट ने स्टे दे दिया है। प्रशासन ने पिछले दिनों हाईकोर्ट के स्टे के बावजूद कई लोगों के घर तोड़ दिए थे। इसके बाद हाईकोर्ट ने भी इस मामले में एसडीएम, तहसीलदार को नोटिस भी जारी किए हैं।  प्रशासन द्वारा कई मकानों पर रिमूवल की कार्रवाई की गई थी, लेकिन पूरे मामले में पीड़ित पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें सभी रहवासियों को राहत मिल गई है। अब न्याय नगर की कृष्णबाग कॉलोनी में प्रशासन के द्वारा कोई कार्रवाई नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए स्टे के बाद सभी रहवासियों ने राहत की सांस ली है। जिला प्रशासन ने 26 जुलाई को यहां पर 15 मकानों पर अवैध निर्माण हटाने की कार्रवाई की थी। इनमें से कई मकान ऐसे थे, जिन पर स्टे था। इसके बावजूद उन्हें तोड़ दिया गया था।  क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट ने रहवासियों को राहत देते हुए रिमूवल की कार्रवाई पर तीन महीने का स्टे दे दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस दौरान किसी भी प्रकार की तोड़फोड़ नहीं होगी। मंगलवार दोपहर बाद केस में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के एडवोकेट पद्मनाभ सक्सेना ने बताया कि सहकारिता विभाग की परमिशन से न्याय नगर संस्था ने श्रीराम बिल्डर को जमीन बेची थी। वह परमिशन सहकारिता विभाग ने वापस ले ली थी। इसी से संबंधित पिटिशन हाई कोर्ट में पेंडिंग है। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को कहा है कि वह तीन महीने में फैसला करें और अभी यथा स्थिति बनी रहने दें। अवमानना की प्रोसिडिंग पर जोर नहीं दिया जाए। क्या है मामला यहां की जमीन पर श्री राम बिल्डर्स ने अपना दावा लगा रखा है। इसके साथ अहिल्या संस्था और रहवासियों ने भी अपना दावा लगाया हुआ है। सभी के अलग अलग मामले कोर्ट में चल रहे हैं। यहां पर अधिकांश जमीनों पर लोगों ने मकान बना लिए हैं और वे लगभग 20 साल से यहां पर रह रहे हैं। अब प्रशासन ने यहां पर पिछले दिन 15 घरों को हाईकोर्ट के आदेश पर तोड़ दिया था। इस मामले में अब सुप्रीम कोर्ट ने स्टे दे दिया है। 

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स्टे वाले घरों को भी प्रशासन ने तोड़ दिया था। – फोटो : अमर उजाला, डिजिटल, इंदौर

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न्याय नगर की कृष्णबाग कॉलोनी में रहवासियों के निर्माण तोड़ने पर सुप्रीम कोर्ट ने स्टे दे दिया है। प्रशासन ने पिछले दिनों हाईकोर्ट के स्टे के बावजूद कई लोगों के घर तोड़ दिए थे। इसके बाद हाईकोर्ट ने भी इस मामले में एसडीएम, तहसीलदार को नोटिस भी जारी किए हैं। 

प्रशासन द्वारा कई मकानों पर रिमूवल की कार्रवाई की गई थी, लेकिन पूरे मामले में पीड़ित पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें सभी रहवासियों को राहत मिल गई है। अब न्याय नगर की कृष्णबाग कॉलोनी में प्रशासन के द्वारा कोई कार्रवाई नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए स्टे के बाद सभी रहवासियों ने राहत की सांस ली है। जिला प्रशासन ने 26 जुलाई को यहां पर 15 मकानों पर अवैध निर्माण हटाने की कार्रवाई की थी। इनमें से कई मकान ऐसे थे, जिन पर स्टे था। इसके बावजूद उन्हें तोड़ दिया गया था। 

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने
सुप्रीम कोर्ट ने रहवासियों को राहत देते हुए रिमूवल की कार्रवाई पर तीन महीने का स्टे दे दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस दौरान किसी भी प्रकार की तोड़फोड़ नहीं होगी। मंगलवार दोपहर बाद केस में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के एडवोकेट पद्मनाभ सक्सेना ने बताया कि सहकारिता विभाग की परमिशन से न्याय नगर संस्था ने श्रीराम बिल्डर को जमीन बेची थी। वह परमिशन सहकारिता विभाग ने वापस ले ली थी। इसी से संबंधित पिटिशन हाई कोर्ट में पेंडिंग है। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को कहा है कि वह तीन महीने में फैसला करें और अभी यथा स्थिति बनी रहने दें। अवमानना की प्रोसिडिंग पर जोर नहीं दिया जाए।

क्या है मामला
यहां की जमीन पर श्री राम बिल्डर्स ने अपना दावा लगा रखा है। इसके साथ अहिल्या संस्था और रहवासियों ने भी अपना दावा लगाया हुआ है। सभी के अलग अलग मामले कोर्ट में चल रहे हैं। यहां पर अधिकांश जमीनों पर लोगों ने मकान बना लिए हैं और वे लगभग 20 साल से यहां पर रह रहे हैं। अब प्रशासन ने यहां पर पिछले दिन 15 घरों को हाईकोर्ट के आदेश पर तोड़ दिया था। इस मामले में अब सुप्रीम कोर्ट ने स्टे दे दिया है। 

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