indore:-केंद्रीय-मंत्री-ठाकुर-ने-कहा-पीथमपुर-प्रदेश-का-बड़ा-औद्योगिक-क्षेत्र,-यहां-नहीं-जले-विषैला-कचरा
मंत्री सावित्री ठाकुर भी विषैला कचरा पीथमपुर में जलाने के पक्ष में नहीं। - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us इंदौर से 40 किलोमीटर दूर स्थित धार जिले के औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर के तारापुर गांव में यूनियन कार्बाइड का कचरा जलाने और दफनाने का विरोध शुरू हो गया है। धार से सांसद और केंद्रीय महिला व बाल विकास मंत्री सावित्री ठाकुर भी कचरे का निपटान पीथमपुर में करने के पक्ष में नहीं हैं। उन्होंने कहा है कि यूनियन कार्बाइड का विषैला कचरा पीथमपुर में नहीं जलाया जाना चाहिए।  ठाकुर का कहना है कि पीथमपुर प्रदेश का सबसे बड़ा इंडस्ट्रीयल एरिया है। रोजगार की तलाश में यहां दूसरे प्रदेशों से यहां हजारों लोग आकर बसे है। यहां विषैले कचरे का निपटान नहीं होना चाहिए। इससे काफी नुकसान होगा।  मंत्री ठाकुर ने कहा कि 16 साल पहले पीथमपुर के तारापुर गांव में यूनियन कार्बाइड का 40 टन कचरा दबाया गया। उस कारण भू जल प्रदूषित हो गया। यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे का निपटान क्षेत्र के किसी वीरान हिस्से में करना चाहिए, जहां दूर-दूर तक आबादी क्षेत्र न हो। कंपनी के पास भी संसाधन कम स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि कचरा निपटान के लिए गठित कमेटी ने जिस पीथमपुर वेस्ट मैनेजमेंट प्रायवेट लिमिटेड कंपनी को विषैले कचरे के निपटान की  जिम्मेदारी दी थी। वह भी विवादों में है। पहले उसका नाम रामकी कंपनी था। बाद में नाम बदल दिया गया।  चाय पत्ती फैक्टरी की बात कही थी जब फैक्टरी खुली थी तो ग्राम सभा में ठहराव प्रस्ताव के दौरान गलत जानकारी ग्रामीणों को दी गई थी। तब कहा गया था कि चाय पत्ती की फैक्टरी खुल रही है। कंपनी के पास संसाधन भी कम है। ग्रामीण हीरालाल असोलिया ने कहा कि रामकी परिसर की बाउंड्रीवाॅल की ऊंचाई कम है। रात को अन्य कारखानों का दूषित कचरा यहां जलाया जाता है। तब आबादी क्षेत्र में प्रदूषित हवा फैल जाती है। सांस के मरीज व बुर्जुगों को काफी परेशानी होती है। कंपनी के पास पीथमपुर का ट्रेंचिंग ग्राउंड भी बन गया है। इससे भी क्षेत्र प्रदूषित होने लगा है।

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मंत्री सावित्री ठाकुर भी विषैला कचरा पीथमपुर में जलाने के पक्ष में नहीं। – फोटो : अमर उजाला

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इंदौर से 40 किलोमीटर दूर स्थित धार जिले के औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर के तारापुर गांव में यूनियन कार्बाइड का कचरा जलाने और दफनाने का विरोध शुरू हो गया है। धार से सांसद और केंद्रीय महिला व बाल विकास मंत्री सावित्री ठाकुर भी कचरे का निपटान पीथमपुर में करने के पक्ष में नहीं हैं। उन्होंने कहा है कि यूनियन कार्बाइड का विषैला कचरा पीथमपुर में नहीं जलाया जाना चाहिए। 

ठाकुर का कहना है कि पीथमपुर प्रदेश का सबसे बड़ा इंडस्ट्रीयल एरिया है। रोजगार की तलाश में यहां दूसरे प्रदेशों से यहां हजारों लोग आकर बसे है। यहां विषैले कचरे का निपटान नहीं होना चाहिए। इससे काफी नुकसान होगा। 

मंत्री ठाकुर ने कहा कि 16 साल पहले पीथमपुर के तारापुर गांव में यूनियन कार्बाइड का 40 टन कचरा दबाया गया। उस कारण भू जल प्रदूषित हो गया। यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे का निपटान क्षेत्र के किसी वीरान हिस्से में करना चाहिए, जहां दूर-दूर तक आबादी क्षेत्र न हो।

कंपनी के पास भी संसाधन कम
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि कचरा निपटान के लिए गठित कमेटी ने जिस पीथमपुर वेस्ट मैनेजमेंट प्रायवेट लिमिटेड कंपनी को विषैले कचरे के निपटान की  जिम्मेदारी दी थी। वह भी विवादों में है। पहले उसका नाम रामकी कंपनी था। बाद में नाम बदल दिया गया। 

चाय पत्ती फैक्टरी की बात कही थी
जब फैक्टरी खुली थी तो ग्राम सभा में ठहराव प्रस्ताव के दौरान गलत जानकारी ग्रामीणों को दी गई थी। तब कहा गया था कि चाय पत्ती की फैक्टरी खुल रही है। कंपनी के पास संसाधन भी कम है।
ग्रामीण हीरालाल असोलिया ने कहा कि रामकी परिसर की बाउंड्रीवाॅल की ऊंचाई कम है। रात को अन्य कारखानों का दूषित कचरा यहां जलाया जाता है। तब आबादी क्षेत्र में प्रदूषित हवा फैल जाती है। सांस के मरीज व बुर्जुगों को काफी परेशानी होती है। कंपनी के पास पीथमपुर का ट्रेंचिंग ग्राउंड भी बन गया है। इससे भी क्षेत्र प्रदूषित होने लगा है।

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