damoh-news:-92-वर्षीय-वृद्ध-के-निधन-पर-निभाई-अनूठी-परंपरा,-बैंड-बाजे,-ढोल-नगाड़ों-की-धुन-पर-निकली-अंतिम-यात्रा
अंतिम यात्रा में बजाए जा रहे बैंड बाजे विस्तार Follow Us दमोह जिले के हटा तहसील के मडियादो गांव में शुक्रवार को एक अनोखी शव यात्रा निकाली गई। यहां 92 वर्षीय वृद्ध जगरानी साहू के निधन पर परिजनों ने बैंड बाजा और ढोल नगाड़े की धुन पर अंतिम यात्रा निकाली। बारात की तरह निकली अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या के लोगों ने भाग लिया। जिसे देख लोग हैरान हो गए। इसलिए निकाली अनोखी शव यात्रा हटा निवासी जगरानी साहू का 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके पैत्रिक ग्राम मड़ियादो में शुक्रवार को अंतिम संस्कार के पूर्व किसी बारात जैसे माहौल में शवयात्रा निकाली गई। बैंड-बाजों और ढोल-नगाड़ों की संगीतमय धुनों के साथ वृद्ध महिला की अंतिम यात्रा निकाली गई। इसमें साहू समाज के अलावा अन्य वर्ग के लोग भी शामिल हुए। मड़ियादो के मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार की क्रिया संपन्न हुई और उपस्थित सभी लोगों ने दो मिनिट का मौन धारण कर मृत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की। यहां के साहू परिवार में यह परंपरा है कि जब किसी का निधन होता है तो मृत्यु को शोक नहीं बल्कि महोत्सव के रूप में मनाते हैं। यही कारण है कि जगरानी साहू को भी कुछ इसी अंदाज में विदाई दी गई। पिछले वर्ष जब जगरानी साहू की सास का निधन हुआ था तब भी बारात की तरह अंतिम यात्रा निकालकर उन्हें भी अंतिम विदाई दी गई थी। परिजन हरिशंकर साहू ने बताया कि यह परंपरा उनके परिवार में कई वर्षों से चली आ रही है। आज भी इस परंपरा का निर्वाह किया गया है। मनुष्य का जन्म लाखों योनियों में भटकने के बाद प्रभु की कृपा से मिलता है। इसलिए जन्म के साथ मृत्यु को भी महोत्सव के रूप में मनाना चाहिए। जो मनुष्य इस देह को त्याग कर चला गया है वह दोबारा संसार में आने वाला नहीं है। इसलिए जितनी खुशी उसके जन्म होने पर मनाई जाती है, उसकी विदाई भी उसी तरह होनी चाहिए।

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अंतिम यात्रा में बजाए जा रहे बैंड बाजे

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दमोह जिले के हटा तहसील के मडियादो गांव में शुक्रवार को एक अनोखी शव यात्रा निकाली गई। यहां 92 वर्षीय वृद्ध जगरानी साहू के निधन पर परिजनों ने बैंड बाजा और ढोल नगाड़े की धुन पर अंतिम यात्रा निकाली। बारात की तरह निकली अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या के लोगों ने भाग लिया। जिसे देख लोग हैरान हो गए।

इसलिए निकाली अनोखी शव यात्रा
हटा निवासी जगरानी साहू का 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके पैत्रिक ग्राम मड़ियादो में शुक्रवार को अंतिम संस्कार के पूर्व किसी बारात जैसे माहौल में शवयात्रा निकाली गई। बैंड-बाजों और ढोल-नगाड़ों की संगीतमय धुनों के साथ वृद्ध महिला की अंतिम यात्रा निकाली गई। इसमें साहू समाज के अलावा अन्य वर्ग के लोग भी शामिल हुए। मड़ियादो के मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार की क्रिया संपन्न हुई और उपस्थित सभी लोगों ने दो मिनिट का मौन धारण कर मृत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की।

यहां के साहू परिवार में यह परंपरा है कि जब किसी का निधन होता है तो मृत्यु को शोक नहीं बल्कि महोत्सव के रूप में मनाते हैं। यही कारण है कि जगरानी साहू को भी कुछ इसी अंदाज में विदाई दी गई। पिछले वर्ष जब जगरानी साहू की सास का निधन हुआ था तब भी बारात की तरह अंतिम यात्रा निकालकर उन्हें भी अंतिम विदाई दी गई थी। परिजन हरिशंकर साहू ने बताया कि यह परंपरा उनके परिवार में कई वर्षों से चली आ रही है। आज भी इस परंपरा का निर्वाह किया गया है।

मनुष्य का जन्म लाखों योनियों में भटकने के बाद प्रभु की कृपा से मिलता है। इसलिए जन्म के साथ मृत्यु को भी महोत्सव के रूप में मनाना चाहिए। जो मनुष्य इस देह को त्याग कर चला गया है वह दोबारा संसार में आने वाला नहीं है। इसलिए जितनी खुशी उसके जन्म होने पर मनाई जाती है, उसकी विदाई भी उसी तरह होनी चाहिए।

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