न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर Published by: अर्जुन रिछारिया Updated Mon, 29 Jul 2024 06: 48 PM IST
इंदौर के आसपास के खतरनाक पर्यटक स्थलों पर कलेक्टर आशीष सिंह ने प्रतिबंध लगा दिया है। अब इस प्रतिबंध का शहर की संस्थाएं विरोध कर रही हैं। इनका कहना है कि सुरक्षा बढ़ाना चाहिए और लोगों को जागरूक भी करना चाहिए पर प्रतिबंध नहीं लगाना चाहिए। इससे पर्यटन खत्म होगा, लोग प्रकृति से दूर होंगे और बड़ी संख्या में ग्रामीण क्षेत्रों को रोजगार खत्म होंगे।
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पर्यटन खत्म होगा और ग्रामीण क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था भी खत्म होगी
पर्यटन स्थल सुरक्षित होने चाहिए पर प्रतिबंध लगाना गलत है। प्रशासन और सरकार ने ये प्राकृतिक स्थल निर्मित नहीं किए हैं। यहां पर हजारों साल से लोग इसी तरह जा रहे हैं। इंदौर की खुशकिस्मती है कि उसे इतने सुंदर प्राकृतिक स्थल मिले हैं। प्रशासन को इन्हें और संवारना चाहिए, पर्यटन का विकास करना चाहिए और इनका लुत्फ उठाना चाहिए। इन सभी जगहों पर डवलप करके ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को पंचायतों को सौंप दें। पर्यटन की योजना बनाएं और रोजगार के मौके बनाएं। होम स्टे, फारेस्ट विजिट जैसी योजनाओं पर काम करना चाहिए। प्रशासन को खुद ट्रैकिंग करवाना चाहिए। यहां पर सामुदायिक भवन बनाएं और शहर के लोगों को रुकवाएं। इस प्रतिबंधन ने पर्यटन और ग्रामीण रोजगार को खत्म कर दिया है। इंदौर में बारिश के बाद चार महीने पंचमढ़ी से अच्छे झरने मिलते हैं। प्रशासन ने लोगों को इस सुंदरता और प्रकृति प्रेम से दूर किया है।
– योगेश त्रिवेदी, यूथ होस्टल एसोसिएशन आफ इंडिया, जिला शाखा, वाइस प्रेसिंडेंट
जनता को प्रकृति से दूर कर रहा प्रशासन
हम युवाओं को प्राकृतिक स्थलों पर ले जाते हैं और उन्हें इन जगहों का महत्व बताते हैं। हम इस प्रतिबंध का पूरी तरह से विरोध करते हैं। सुरक्षा जरूरी है लेकिन पूर्ण प्रतिबंध सही नहीं है। प्रतिबंध से यहां पर रोजगार खत्म होंगे और पर्यटन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा। ग्रामीण लोग तीन महीने में ही सालभर की रोजी रोटी कमाते हैं। हमने उनका रोजगार ही खत्म कर दिया। बच्चों, युवाओं को प्रकृति से जोड़ेंगे तभी वह उसका महत्व समझेंगे। यदि किसी को प्राकृतिक स्थलों पर गलत काम करना है तो वह कहीं भी जाकर कर सकता है। कुछ लोगों के लिए आप पूरे शहर के सजा नहीं दे सकते। मैंने पूरा देश घूमा है और इस तरह का प्रतिबंध कभी नहीं सुना है।
– ज्ञानदीप श्रीवास्तव, एडमिन, राइड्स ऑफ राइडर्स
लोगों को भी जागरूक होना चाहिए
पर्यटक स्थलों पर प्रतिबंध का निर्णय सही नहीं है लेकिन लोगों को भी जागरूक होना पड़ेगा। लोग लापरवाही करते हैं और हादसों में जानें जाती हैं। इससे पर्यटक स्थल भी बदनाम होते हैं। खूनी पातालपानी जैसे नाम पड़ जाते हैं। हालांकि बैन लगाना बिल्कुल गलत है। लोग जंगलों, खेतों, नदियों में जाएंगे नहीं तो जुड़ेंगे कैसे। प्रशासन के पास संसाधन नहीं है इसलिए उन्होंने सीधे प्रतिबंध लगा दिया। जिम्मेदार खुद इन स्थानों को डवलप नहीं कर पा रहे हैं। मप्र सरकार टूरिज्म पर ध्यान ही नहीं देती है। इंदौर के आसपास सौ किमी में 100 टूरिस्ट स्पाट हैं जिन्हें डवलप करना चाहिए। इससे पंचायत को टैक्स मिलेगा, लाखों रोजगार आएंगे। इंदौर के जो लोग इन जगहों पर जाते हैं वे वहां के बच्चों को कपड़े देते हैं। गरीबों की मदद करते हैं। हम खुद कई बार बच्चों के लिए किताबें लेकर गए। शहर के लोग इन पर्यटक स्थलों पर जाते हैं तो वहां कई अप्रत्यक्ष लाभ होते हैं।
– श्रीकांत कलमकर, वाइल्ड वारियर्स
दुनिया की सबसे बड़ी संस्था ने कभी यह प्रतिबंध नहीं देखे
बारिश में प्रतिबंध लगाकर प्रशासन ने लाखों लोगों को प्रकृति से दूर किया है। इससे दुर्घटनाएं नहीं रुकेंगी। सही तरीका यह है कि आप सुरक्षा बढ़ाएं। हम दुनिया की सबसे प्रमुख संस्था हैं, हमने इस तरह का प्रतिबंध कभी नहीं देखा है।
– पीयूष कोठारी, यूथ होस्टल
ग्रामीण लोगों का रोजगार छीन लिया
इंदौर प्रशासन को मेघालय में जाकर देखना चाहिए। वहां पर सरकार ने प्राकृतिक स्थलों को डवलप किया और ग्रामीण लोगों को उससे जोड़ा। वहां पर अब रोजगार बढ़ रहा है। ग्राम पंचायतों की आय बढ़ रही है। इस तरह की योजना पर हमें भी काम करना चाहिए।
– मनीष जैन, संस्था प्रकृति
प्रशासन को सुरक्षा बढ़ाना चाहिए
प्रशासन का यह निर्णय सही नहीं है। यही सीजन रहता है पर्यटन का। लोग प्राकृतिक स्थलों पर नहीं जाएंगे तो क्या होटल और माल्स में जाएंगे। प्रशासन सुरक्षा करता और सुविधाएं देता, प्रतिबंध लगाना कितना सही है। शनिवार और रविवार दो दिन व्यवस्थाएं करिए। जागरूकता लाएं, हर जगह बोर्ड लगाएं। सुरक्षाकर्मी तैनात करें। लोगों को प्रकृति से दूर करें यह गलत है।
– आनंद भावे, सामाजिक कार्यकर्ता
कई राज्यों ने पर्यटन स्थलों को विकसित कर रोजगार दिए
यह प्रतिबंध पूरी तरह से गलत है। कोविड के बाद से प्राकृतिक स्थलों पर जाने का बूम आया है। लाखों लोगों की भीड़ जा रही है। हम सबका साथ सबका विकास की बातें करते हैं और आज यहां के रोजगार खत्म कर रहे हैं। उत्तराखंड, हिमाचल और सिक्किम में अर्थव्यवस्था सिर्फ पर्य़टन से चलती है। वहां के लोग रात में लाइट नहीं जलाते, हार्न नहीं बजाते। आप इस तरह के कड़े नियम करिए पर प्रतिबंध लगाना सही नहीं है।
– अनंत चंद्रावत, आरओआर, सदस्य
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