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हाईकोर्ट जस्टिस एके पालीवाल की एकलपीठ ने अपने अहम आदेश में कहा है कि वार्षिक वेतनवृद्धि तथा निर्धारित अवधि में वेतन वृद्धि पाने वाला व्यक्ति स्थायी कर्मचारी है। एकलपीठ ने उक्त आदेश के साथ मोटर व्हीकल एक्ट के तहत मुआवजा में बढ़ोतरी के आदेश जारी किए हैं।
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याचिकाकर्ता अंजुम अंसारी की तरफ से एमएसीटी भोपाल द्वारा निर्धारित मुआवजा राशि में बढ़ोतरी किए जाने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ता कर तरफ से कहा गया था कि भविष्य में संभावना को देखते हुए एमएसीटी ने 10 प्रतिशत राशि निर्धारित की है। उनके पति स्थायी कर्मचारी थीे, नियम अनुसार भविष्य की संभावना को देखते हुए 15 प्रतिशत का निर्धारण किया जाना चाहिए था।
अनावेदक की तरफ से तर्क दिया गया कि याचिकाकर्ता का पति राजीव गांधी तकनीकी विश्वविद्यालय से संबद्ध निजी कॉलेज में सहायक प्रोफेसर के पद पर पदस्थ था। निजी कॉलेज में कार्यरत व्यक्ति स्थायी कर्मचारी की श्रेणी में नहीं आता है। शासकीय सेवा में कार्यरत व्यक्ति स्थायी कर्मचारी के श्रेणी में आते हैं। आमने-सामने की टक्कर हुई थी, इसलिए सहभागी लापरवाही की राशि भी काटी जानी चाहिए थी।
एकलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की पीठ द्वारा नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम प्रणय सेठी के संबंध में पारित आदेश का हवाला देते हुए कहा कि वार्षिक वेतन वृद्धि तथा निर्धारित अवधि में वेतन वृद्धि पाने वाला व्यक्ति स्थायी कर्मचारी की श्रेणी में आता है। एकलपीठ ने उक्त आदेश के साथ मुआवजा राशि में दो लाख 72 हजार रुपये की बढ़ोतरी के आदेश जारी किए हैं।
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