damoh:-मां-को-खोने-के-बाद-परिजनों-के-चेहरे-में-नवजात-ढूंढ-रहे-अपनी-मां,-परिजन-चाह-रहे-दोषियों-पर-हो-कार्रवाई
परिजनों की गोद में नवजात मासूम - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us दमोह जिला अस्पताल में सीजर के बाद हुई चार महिलाओं की मौत ने अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही उजागर कर दी है। इसकी वजह चार मासूम बच्चों के सिर से उनकी मां का साया छीन लिया। ये नवजात बच्चे अपने परिजनों के चेहरों में मां को खोज रहे हैं। वहीं, एक और महिला जबलपुर में जिंदगी और मौत से लड़ रही है। वाकई यह मंजर दिल को झकझोर देने वाला है। Trending Videos वहीं, इन बच्चों के पिता अपनी पत्नियों के फोटो देखकर उन्हें याद कर रहे हैं तो कोई वीडियो देखकर। परिवार के लोग उन्हें ढांढस बंधा रहे हैं। साथ ही दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। हालांकि, कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर ने परिजनों को भरोसा दिलाया है कि जांच हो रही है दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी। मोबाइल में देख रहे पत्नी की फोटो पटेरा ब्लॉक के नया गांव निवासी दुर्गेश कोरी अपनी पत्नी हर्षना की मौत को भुला नहीं पा रहे। पत्नी की मौत के बाद परिवार के लोग उनकी नवजात बेटी को दुलार करने में जुटे हैं। पिता दुर्गेश अपनी पत्नी के जाने के गम में डूबा है, वह दिन भर मोबाइल लेकर अपनी पत्नी के वीडियो और फोटो देखकर उसे याद करता रहता है। परिवार के लोगों ने उसे समझाने का प्रयास किया, यहां तक की उसके मोबाइल से पत्नी से जुड़े ज्यादातर वीडियो डिलीट कर दिए हैं। लेकिन उसके पास जो वीडियो बचे हैं, अब वह केवल उन्हें देखता रहता है। दुर्गेश का कहना है कि जिन्होंने उसकी पत्नी की जान ली है, उसकी बेटी से मां का साया छीना है, ऐसे दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। कलेक्टर सुधीर कोचर इस मामले में काफी गंभीर है। वह साफ कर चुके हैं कि लापरवाही हुई है, जांच चल रही है। जैसे ही रिपोर्ट आएगी, तत्काल दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी। वहीं, अस्पताल प्रबंधन चार महिलाओं की मौत के मामले को लापरवाही मानने नहीं तैयार नहीं है। जबकि पूरा दमोह जिला इस घटना से दुखी है और दोषियों पर कार्रवाई के लिए लगातार सोशल मीडिया पर मांग की जा रही है। इसके अलावा कांग्रेस नेता भी रविवार को इस मामले में कार्रवाई की मांग को लेकर अस्पताल चौराहे पर प्रदर्शन करने वाले हैं। हालांकि, जांच में सब कुछ साफ हो जाएगा। शुक्रवार को सागर से आए ज्वाइंट डायरेक्टर ने सर्किट हाउस पर सीजर मामले से जुड़े डॉक्टर और कर्मचारियों के बयान लिए हैं। शनिवार को भी जांच की गई है और उसके बाद रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी जाएगी। इन महिलाओं की हुई मौत दमोह के बटियागढ़ ब्लॉक के बकायन गांव निवासी सचिन चौरसिया की पत्नी लक्ष्मी चौरसिया हाईकोर्ट जबलपुर में पदस्थ थीं। जिला अस्पताल दमोह में नॉर्मल डिलीवरी के लिए आईं थी, रात में कहा गया सीजर होगा। सब ठीक हो गया शिशु भी स्वस्थ था, लेकिन कुछ देर बाद लक्ष्मी को पेट में तेज दर्द हुआ और कुछ ही देर में लक्ष्मी की मौत हो गई। हटा ब्लॉक के हिंडोरिया गांव की निशा परवीन का भी पहला बच्चा होना था। सीजर तक सब ठीक था, बच्चा होने के कुछ घंटों बाद यूरिन पास होना बंद हो गया। उन्हें बताया गया किडनी फेल हो गई। गंभीर हालत में उन्हें जबलपुर मेडिकल कालेज ले जाकर डाइलेसिस कराया गया। 18 दिन संघर्ष के बाद निशा परवीन ने भी दम तोड़ दिया। इनके परिजन भी अस्पताल पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं। दमोह के हटा तहसील निवासी हुमा का भी पहला प्रसव था। सीजर तक सब ठीक था। लेकिन उनकी भी यूरिन पास होना बंद हो गया। उन्हें भी बताया गया कि किडनी फेल हो गई। गंभीर हालत में दमोह से जबलपुर मेडिकल कालेज रेफर किया गया, जहां डाइलेसिस होते रहे और बीस दिन इलाज के बाद हुमा ने भी दम तोड़ दिया। दमोह के पटेरा ब्लॉक के नया गांव निवासी हर्षना कोरी को भी पहला प्रसव हुआ पर चन्द घंटे में ही उनकी तबियत बिगड़ गई। दमोह के आईसीयू में एडमिट किया गया और सुबह होने से पहले हर्षना ने भी दम तोड़ दिया। इस तरह चार जुलाई को जिला अस्पताल में हुए सीजर ऑपरेशन में अब तक चार महिलाओं की मौत हो चुकी है।

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परिजनों की गोद में नवजात मासूम – फोटो : अमर उजाला

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दमोह जिला अस्पताल में सीजर के बाद हुई चार महिलाओं की मौत ने अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही उजागर कर दी है। इसकी वजह चार मासूम बच्चों के सिर से उनकी मां का साया छीन लिया। ये नवजात बच्चे अपने परिजनों के चेहरों में मां को खोज रहे हैं। वहीं, एक और महिला जबलपुर में जिंदगी और मौत से लड़ रही है। वाकई यह मंजर दिल को झकझोर देने वाला है।

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वहीं, इन बच्चों के पिता अपनी पत्नियों के फोटो देखकर उन्हें याद कर रहे हैं तो कोई वीडियो देखकर। परिवार के लोग उन्हें ढांढस बंधा रहे हैं। साथ ही दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। हालांकि, कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर ने परिजनों को भरोसा दिलाया है कि जांच हो रही है दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।

मोबाइल में देख रहे पत्नी की फोटो
पटेरा ब्लॉक के नया गांव निवासी दुर्गेश कोरी अपनी पत्नी हर्षना की मौत को भुला नहीं पा रहे। पत्नी की मौत के बाद परिवार के लोग उनकी नवजात बेटी को दुलार करने में जुटे हैं। पिता दुर्गेश अपनी पत्नी के जाने के गम में डूबा है, वह दिन भर मोबाइल लेकर अपनी पत्नी के वीडियो और फोटो देखकर उसे याद करता रहता है। परिवार के लोगों ने उसे समझाने का प्रयास किया, यहां तक की उसके मोबाइल से पत्नी से जुड़े ज्यादातर वीडियो डिलीट कर दिए हैं। लेकिन उसके पास जो वीडियो बचे हैं, अब वह केवल उन्हें देखता रहता है।

दुर्गेश का कहना है कि जिन्होंने उसकी पत्नी की जान ली है, उसकी बेटी से मां का साया छीना है, ऐसे दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। कलेक्टर सुधीर कोचर इस मामले में काफी गंभीर है। वह साफ कर चुके हैं कि लापरवाही हुई है, जांच चल रही है। जैसे ही रिपोर्ट आएगी, तत्काल दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी। वहीं, अस्पताल प्रबंधन चार महिलाओं की मौत के मामले को लापरवाही मानने नहीं तैयार नहीं है।

जबकि पूरा दमोह जिला इस घटना से दुखी है और दोषियों पर कार्रवाई के लिए लगातार सोशल मीडिया पर मांग की जा रही है। इसके अलावा कांग्रेस नेता भी रविवार को इस मामले में कार्रवाई की मांग को लेकर अस्पताल चौराहे पर प्रदर्शन करने वाले हैं। हालांकि, जांच में सब कुछ साफ हो जाएगा। शुक्रवार को सागर से आए ज्वाइंट डायरेक्टर ने सर्किट हाउस पर सीजर मामले से जुड़े डॉक्टर और कर्मचारियों के बयान लिए हैं। शनिवार को भी जांच की गई है और उसके बाद रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी जाएगी।

इन महिलाओं की हुई मौत
दमोह के बटियागढ़ ब्लॉक के बकायन गांव निवासी सचिन चौरसिया की पत्नी लक्ष्मी चौरसिया हाईकोर्ट जबलपुर में पदस्थ थीं। जिला अस्पताल दमोह में नॉर्मल डिलीवरी के लिए आईं थी, रात में कहा गया सीजर होगा। सब ठीक हो गया शिशु भी स्वस्थ था, लेकिन कुछ देर बाद लक्ष्मी को पेट में तेज दर्द हुआ और कुछ ही देर में लक्ष्मी की मौत हो गई।

हटा ब्लॉक के हिंडोरिया गांव की निशा परवीन का भी पहला बच्चा होना था। सीजर तक सब ठीक था, बच्चा होने के कुछ घंटों बाद यूरिन पास होना बंद हो गया। उन्हें बताया गया किडनी फेल हो गई। गंभीर हालत में उन्हें जबलपुर मेडिकल कालेज ले जाकर डाइलेसिस कराया गया। 18 दिन संघर्ष के बाद निशा परवीन ने भी दम तोड़ दिया। इनके परिजन भी अस्पताल पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं।

दमोह के हटा तहसील निवासी हुमा का भी पहला प्रसव था। सीजर तक सब ठीक था। लेकिन उनकी भी यूरिन पास होना बंद हो गया। उन्हें भी बताया गया कि किडनी फेल हो गई। गंभीर हालत में दमोह से जबलपुर मेडिकल कालेज रेफर किया गया, जहां डाइलेसिस होते रहे और बीस दिन इलाज के बाद हुमा ने भी दम तोड़ दिया।

दमोह के पटेरा ब्लॉक के नया गांव निवासी हर्षना कोरी को भी पहला प्रसव हुआ पर चन्द घंटे में ही उनकी तबियत बिगड़ गई। दमोह के आईसीयू में एडमिट किया गया और सुबह होने से पहले हर्षना ने भी दम तोड़ दिया। इस तरह चार जुलाई को जिला अस्पताल में हुए सीजर ऑपरेशन में अब तक चार महिलाओं की मौत हो चुकी है।

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