jabalpur-news:-कलेक्टर-ने-व्यक्तिगत-उपस्थिति-माफ-करने-सीधे-हाईकोर्ट-को-लिखा-पत्र,-कोर्ट-ने-जताई-नाराजगी
विस्तार वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें कलेक्टर ने व्यक्तिगत उपस्थिति माफ करने के लिए अतिरिक्त कलेक्टर के माध्यम से सीधे हाईकोर्ट को पत्र भेज दिया। याचिका की सुनवाई के दौरान अतिरिक्त कलेक्टर सुनवाई के दौरान कुर्सी से खड़े होकर लिफाफा दिखाने लगे। जस्टिस जीएस अहलूवालिया एकलपीठ ने लिफाफा बुलाकर पत्र को पढ़ा तो इसे अक्षम्य आचरण मानते हुए शाम 4 बजे कलेक्टर को व्यक्तिगत रूप से तलब किया था। सूचना के लिए संपर्क स्थापित नहीं होने के कारण कलेक्टर न्यायालय में उपस्थित नहीं हो सकीं। एकलपीठ ने उनकी व्यक्तिगत उपस्थिति को माफ करते हुए सीधे न्यायालय को पत्र लिखने के मामले में मुख्य सचिव को कार्रवाई के लिए निर्देश जारी करने के संबंध में ओपन कोर्ट में चेतावनी दी। एकलपीठ ने पूर्व में पारित आदेश का पालन नहीं करने पर उपस्थित अतिरिक्त कलेक्टर तथा तहसीलदार के खिलाफ निलंबन आदेश जारी करने की चेतावनी दी। Trending Videos याचिकाकर्ता प्रदीप अग्रवाल की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि नर्मदापुरम जिले के सिवली मामला तहसीलदार के समक्ष सम्पति विवाद का प्रकरण दायर किया गया था। इस संबंध में हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। हाईकोर्ट ने आदेश जारी किए थे कि सम्पति हक के लिए संबंधित न्यायालय के समक्ष दावा पेश करें। हाईकोर्ट ने तहसीलदार को नामांतरण के संबंध में आदेश जारी किए थे। हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपील को खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट तथा हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद भी तहसीलदार ने एमपीएलआर कोड की धारा 178 का पालन नहीं करते हुए सम्पति बटवारा के आदेश जारी कर दिए। इसके खिलाफ दायर अपील की सुनवाई करते हुए अतिरिक्त कलेक्टर ने भी तहसीलदार को आदेश को यथावत रखा था। जिसके खिलाफ उक्त याचिका दायर की गई। याचिका की सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने कलेक्टर, अतिरिक्त कलेक्टर तथा तहसीलदार को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के आदेश जारी किए थे। याचिका पर शुक्रवार की सुबह 10.30 बजे हुए सुनवाई के दौरान अतिरिक्त कलेक्टर देवेन्द्र कुमार सिंह तथा तहसीलदार राजेश खजूरिया व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए। सरकार की तरफ से बताया गया कि जिले में प्राकृतिक आपदा की स्थिति होने के कारण कलेक्टर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित नहीं हो सकीं। सरकार की तरफ से कलेक्टर की व्यक्तिगत उपस्थिति माफ करने के लिए एकलपीठ से प्रार्थना की गई। इसी दौरान अतिरिक्त कलेक्टर कुर्सी से खड़े होकर एक लिफाफा दिखाने लगे। एकलपीठ ने सरकारी अधिवक्ता से लिफाफा बुलाकर खोला तो देखा कि व्यक्तिगत उपस्थिति माफी के लिए सीधे न्यायालय को संबोधित करते हुए पत्र लिखा था। एकलपीठ ने कलेक्टर के आरचरण को नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा था कि उन्हें प्रोटोकॉल तक नहीं मालूम है। एकलपीठ ने आदेश में कहा था कि लिफाफा खुला हुआ था, जिसका तात्पर्य है कि सरकारी अधिवक्ता ने पत्र को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने से मना किया था। सीधे न्यायालय को पत्र लिखना अक्षम्य आचरण है। इस संबंध में स्पस्टीकरण पेश करने के लिए एकलपीठ ने कलेक्टर नर्मदापुरम को शाम 4 बजे तलब किया था। याचिका पर शाम 4 बजे हुए सुनवाई के दौरान एकलपीठ को बताया गया कि जिला कलेक्टर 15 किलोमीटर नीचे स्थित दुर्गम इलाके में हैं। इसके कारण उसने संपर्क नहीं हो पाया है। एकलपीठ ने सरकार के आग्रह पर कलेक्टर नर्मदापुरम सोनिया मीना की व्यक्तिगत उपस्थिति माफ करने हुए उक्त चेतावनी के साथ आदेश सुरक्षित रख लिया। 

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कलेक्टर ने व्यक्तिगत उपस्थिति माफ करने के लिए अतिरिक्त कलेक्टर के माध्यम से सीधे हाईकोर्ट को पत्र भेज दिया। याचिका की सुनवाई के दौरान अतिरिक्त कलेक्टर सुनवाई के दौरान कुर्सी से खड़े होकर लिफाफा दिखाने लगे। जस्टिस जीएस अहलूवालिया एकलपीठ ने लिफाफा बुलाकर पत्र को पढ़ा तो इसे अक्षम्य आचरण मानते हुए शाम 4 बजे कलेक्टर को व्यक्तिगत रूप से तलब किया था। सूचना के लिए संपर्क स्थापित नहीं होने के कारण कलेक्टर न्यायालय में उपस्थित नहीं हो सकीं। एकलपीठ ने उनकी व्यक्तिगत उपस्थिति को माफ करते हुए सीधे न्यायालय को पत्र लिखने के मामले में मुख्य सचिव को कार्रवाई के लिए निर्देश जारी करने के संबंध में ओपन कोर्ट में चेतावनी दी। एकलपीठ ने पूर्व में पारित आदेश का पालन नहीं करने पर उपस्थित अतिरिक्त कलेक्टर तथा तहसीलदार के खिलाफ निलंबन आदेश जारी करने की चेतावनी दी।

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याचिकाकर्ता प्रदीप अग्रवाल की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि नर्मदापुरम जिले के सिवली मामला तहसीलदार के समक्ष सम्पति विवाद का प्रकरण दायर किया गया था। इस संबंध में हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। हाईकोर्ट ने आदेश जारी किए थे कि सम्पति हक के लिए संबंधित न्यायालय के समक्ष दावा पेश करें। हाईकोर्ट ने तहसीलदार को नामांतरण के संबंध में आदेश जारी किए थे। हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपील को खारिज कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट तथा हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद भी तहसीलदार ने एमपीएलआर कोड की धारा 178 का पालन नहीं करते हुए सम्पति बटवारा के आदेश जारी कर दिए। इसके खिलाफ दायर अपील की सुनवाई करते हुए अतिरिक्त कलेक्टर ने भी तहसीलदार को आदेश को यथावत रखा था। जिसके खिलाफ उक्त याचिका दायर की गई। याचिका की सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने कलेक्टर, अतिरिक्त कलेक्टर तथा तहसीलदार को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के आदेश जारी किए थे।

याचिका पर शुक्रवार की सुबह 10.30 बजे हुए सुनवाई के दौरान अतिरिक्त कलेक्टर देवेन्द्र कुमार सिंह तथा तहसीलदार राजेश खजूरिया व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए। सरकार की तरफ से बताया गया कि जिले में प्राकृतिक आपदा की स्थिति होने के कारण कलेक्टर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित नहीं हो सकीं। सरकार की तरफ से कलेक्टर की व्यक्तिगत उपस्थिति माफ करने के लिए एकलपीठ से प्रार्थना की गई। इसी दौरान अतिरिक्त कलेक्टर कुर्सी से खड़े होकर एक लिफाफा दिखाने लगे। एकलपीठ ने सरकारी अधिवक्ता से लिफाफा बुलाकर खोला तो देखा कि व्यक्तिगत उपस्थिति माफी के लिए सीधे न्यायालय को संबोधित करते हुए पत्र लिखा था। एकलपीठ ने कलेक्टर के आरचरण को नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा था कि उन्हें प्रोटोकॉल तक नहीं मालूम है। एकलपीठ ने आदेश में कहा था कि लिफाफा खुला हुआ था, जिसका तात्पर्य है कि सरकारी अधिवक्ता ने पत्र को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने से मना किया था। सीधे न्यायालय को पत्र लिखना अक्षम्य आचरण है। इस संबंध में स्पस्टीकरण पेश करने के लिए एकलपीठ ने कलेक्टर नर्मदापुरम को शाम 4 बजे तलब किया था।

याचिका पर शाम 4 बजे हुए सुनवाई के दौरान एकलपीठ को बताया गया कि जिला कलेक्टर 15 किलोमीटर नीचे स्थित दुर्गम इलाके में हैं। इसके कारण उसने संपर्क नहीं हो पाया है। एकलपीठ ने सरकार के आग्रह पर कलेक्टर नर्मदापुरम सोनिया मीना की व्यक्तिगत उपस्थिति माफ करने हुए उक्त चेतावनी के साथ आदेश सुरक्षित रख लिया। 

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