mp-news:-प्रदेश-में-दुकान-पर-नेमप्लेट-लगाने-का-कोई-आदेश-नहीं,-सरकार-की-सफाई-चाहें-तो-स्वेच्छा-से-लगा-सकते-है
मंत्रालय - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us सुप्रीम कोर्ट के दुकानों पर नेम प्लेट लगाने पर रोक के आदेश के बीच राज्य सरकार ने स्पष्टीकरण दिया है। सरकार ने कहा कि प्रदेश में नेमप्लेट लगाने को लेकर कोई आदेश नहीं है। यदि स्वेच्छा से लगाना है तो लगा सकते हैं। यूपी, उत्तराखंड व मध्य प्रदेश के कावड़ यात्रा के मार्ग में दुकानदारों को अपने नाम की नेमप्लेट लगाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पहचान बताने की जरूरत नहीं है। शीर्ष कोर्ट ने कहा दुकान संचालकों को अपना नाम लिखने को मजबूर नहीं किया जा सकता, बल्कि उन्हें यह बताना चाहिए कि खाद्य सामग्री में क्या चीजें इस्तेमाल की गई हैं।  Trending Videos इस बीच मध्य प्रदेश में भी सरकार ने स्पष्टीकरण दिया कि प्रदेश में नेमप्लेट लगाने को लेकर कोई आदेश नहीं है। यदि कोई दुकान संचालक स्वेच्छा से अपना नाम लिखना चाहता है तो लिख सकता है। मध्य प्रदेश में भी उत्तर प्रदेश की तर्ज पर दुकानों के सामने दुकानदारों के नाम लिखने के मुद्दे पर सियासत के बीच नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने स्पष्ट किया कि प्रदेश में दुकानों के सामने नाम लिखने को लेकर कोई आदेश नहीं जारी किया गया है। यदि कोई स्वेच्छा से अपना नाम लिखना चाहता है तो लिख सकता है।  बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने नेमप्लेट विवाद को लेकर सोमवार को उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी किया है। इस मामले में शुक्रवार तक जवाब मांगा है।  विधायक मेंदोला ने की थी मांग इंदौर से भाजपा विधायक रमेश मेंदोला ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखकर मध्य प्रदेश में भी उत्तरप्रदेश की तर्ज पर कावड़ यात्रा के मार्ग में आने वाली दुकानों के संचालकों के नाम लिखने का आदेश जारी करने की मांग की थी। इसके बाद उज्जैन महापौर मुकेश टेटवाल ने दुकान मालिकों को बोर्ड पर अपने नाम और फोन नंबर लिखने के निर्देश दिए थे। इसमें टेटवाल ने मेयर इन काउंसिल के फैसले का हवाला दिया था। इसमें दावा किया गया था कि प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया था। वहीं, विभाग ने कहा कि मध्य प्रदेश आउटडोर विज्ञापन मीडिया नियम 2017 के अंतर्गत दुकानों पर बोर्ड लगाए जा सकते हैं। इन बोर्डस पर नाम लिखने की कोई बाध्यता नहीं है।  कोर्ट का आदेश भाजपा सरकार के मुंह पर तमाचा  उधर, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जिस तत्परता से आदेश दिया है वह ऐतिहासिक है। धर्म के काम में अधर्म फैलाने की कोशिश कर रही भाजपा की सरकार के असंवैधानिक आचरण के मुंह पर तमाचा है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी कहा करते थे कि जो शांति स्थापित करे, वही सरकार है, लेकिन इस मामले में तो प्रदेशों की चुनी हुई सरकारें षडयंत्रपूर्वक अपने प्रदेशों के संवेदनशील हिस्सों में सांप्रदायिक घृणा को बढ़ावा दे रही थीं। आरिफ मसूद ने किया सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत  वहीं, सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार का फैसला देश को नफरत की तरफ धकेलने का था। उन्होंने कहा कि यह मोहब्बत से जोड़ने का आदेश नहीं था। मसूद ने कहा कि भाजपा ने अपनी साख बचाने के लिए इस तरह का आदेश निकाला था।

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सुप्रीम कोर्ट के दुकानों पर नेम प्लेट लगाने पर रोक के आदेश के बीच राज्य सरकार ने स्पष्टीकरण दिया है। सरकार ने कहा कि प्रदेश में नेमप्लेट लगाने को लेकर कोई आदेश नहीं है। यदि स्वेच्छा से लगाना है तो लगा सकते हैं। यूपी, उत्तराखंड व मध्य प्रदेश के कावड़ यात्रा के मार्ग में दुकानदारों को अपने नाम की नेमप्लेट लगाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पहचान बताने की जरूरत नहीं है। शीर्ष कोर्ट ने कहा दुकान संचालकों को अपना नाम लिखने को मजबूर नहीं किया जा सकता, बल्कि उन्हें यह बताना चाहिए कि खाद्य सामग्री में क्या चीजें इस्तेमाल की गई हैं। 

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इस बीच मध्य प्रदेश में भी सरकार ने स्पष्टीकरण दिया कि प्रदेश में नेमप्लेट लगाने को लेकर कोई आदेश नहीं है। यदि कोई दुकान संचालक स्वेच्छा से अपना नाम लिखना चाहता है तो लिख सकता है। मध्य प्रदेश में भी उत्तर प्रदेश की तर्ज पर दुकानों के सामने दुकानदारों के नाम लिखने के मुद्दे पर सियासत के बीच नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने स्पष्ट किया कि प्रदेश में दुकानों के सामने नाम लिखने को लेकर कोई आदेश नहीं जारी किया गया है। यदि कोई स्वेच्छा से अपना नाम लिखना चाहता है तो लिख सकता है। 

बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने नेमप्लेट विवाद को लेकर सोमवार को उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी किया है। इस मामले में शुक्रवार तक जवाब मांगा है। 

विधायक मेंदोला ने की थी मांग
इंदौर से भाजपा विधायक रमेश मेंदोला ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखकर मध्य प्रदेश में भी उत्तरप्रदेश की तर्ज पर कावड़ यात्रा के मार्ग में आने वाली दुकानों के संचालकों के नाम लिखने का आदेश जारी करने की मांग की थी। इसके बाद उज्जैन महापौर मुकेश टेटवाल ने दुकान मालिकों को बोर्ड पर अपने नाम और फोन नंबर लिखने के निर्देश दिए थे। इसमें टेटवाल ने मेयर इन काउंसिल के फैसले का हवाला दिया था। इसमें दावा किया गया था कि प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया था। वहीं, विभाग ने कहा कि मध्य प्रदेश आउटडोर विज्ञापन मीडिया नियम 2017 के अंतर्गत दुकानों पर बोर्ड लगाए जा सकते हैं। इन बोर्डस पर नाम लिखने की कोई बाध्यता नहीं है। 

कोर्ट का आदेश भाजपा सरकार के मुंह पर तमाचा 
उधर, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जिस तत्परता से आदेश दिया है वह ऐतिहासिक है। धर्म के काम में अधर्म फैलाने की कोशिश कर रही भाजपा की सरकार के असंवैधानिक आचरण के मुंह पर तमाचा है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी कहा करते थे कि जो शांति स्थापित करे, वही सरकार है, लेकिन इस मामले में तो प्रदेशों की चुनी हुई सरकारें षडयंत्रपूर्वक अपने प्रदेशों के संवेदनशील हिस्सों में सांप्रदायिक घृणा को बढ़ावा दे रही थीं।

आरिफ मसूद ने किया सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत 
वहीं, सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार का फैसला देश को नफरत की तरफ धकेलने का था। उन्होंने कहा कि यह मोहब्बत से जोड़ने का आदेश नहीं था। मसूद ने कहा कि भाजपा ने अपनी साख बचाने के लिए इस तरह का आदेश निकाला था।

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