धार भोजशाला – फोटो : अमर उजाला
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इंदौर में भोजशाला मामले की सुनवाई इंदौर खंडपीठ में सोमवार को हुई। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने 98 दिन के सर्वे के बाद रिपोर्ट 15 जुलाई को बंद लिफाफे में प्रस्तुत की थी, लेकिन सुनवाई के दौरान बंद लिफाफा नहीं खुला। हाईकोर्ट ने कहा कि पहले सुप्रीम कोर्ट का इस मामले में डायरेक्शन मिल जाए। फिर रिपोर्ट पर बहस होगी।
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भोजशाला परिसर में 98 दिन चले सर्वे के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने अपनी सर्वे रिपोर्ट 15 जुलाई को हाई कोर्ट में प्रस्तुत की। एक पक्ष को उम्मीद थी कि कोर्ट सोमवार को इन लिफाफों को खोलेगी।
इसके बाद ही अधिकृत रूप से पता चलेगा कि रिपोर्ट में क्या है, लेकिन रिपोर्ट पर चर्चा नहीं हुई। दोनो पक्षों के वकील आनलाइन जुडे। मुस्लिम पक्ष के वकील सलमान खुर्शीद ने रिपोर्ट पढ़ने के लिए चार सप्ताह का समय मांग है। अब अगस्त माह में भोजशाला केस में सुनवाई हो सकती है।
हिंदू देवी-देवताओं की मिली मूर्ति
एएसआई को वहां की खुदाई के दौरान देवी-देवताओं की कई मूर्तियां मिली हैं। इसके अलावा स्तंभों की जांच भी स्पष्ट कह रही है कि ये मंदिर के स्तंभ हैं। सर्वे में भोजशाला के परमारकालीन होने की भी पुष्टि हुई है।
हाई कोर्ट ने एएसआई को आदेश दिया था कि वह सर्वे रिपोर्ट कोर्ट के पटल पर रखने के साथ ही इस रिपोर्ट की एक-एक प्रति मामले से जुड़े सभी पक्षकारों को उपलब्ध करवाए। सोमवार को कुछ पक्षकारों ने रिपोर्ट नहीं मिलने की बात भी कही।
सुप्रीम कोर्ट में भी होनी है सुनवाई
भोजशाला मामले में हिंदू फ्रंट फार जस्टिस की ओर से प्रस्तुत आवेदन पर सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई होनी है। मप्र हाई कोर्ट ने 11 मार्च 2024 को एएसआई को आदेश दिया था कि वह भोजशाला का सर्वे कर रिपोर्ट प्रस्तुत करें।
मौलाना कमालुद्दीन वेलफेयर सोसायटी ने इस आदेश को चुनौती देते हुए एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत की थी।इसकी सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक अप्रैल 2024 को आदेश दिया था कि सर्वे पर रोक नहीं है लेकिन हाई कोर्ट इस सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर कोई आदेश जारी नहीं करेगा। हिंदू फ्रंट फार जस्टिस एक अप्रैल के इस अंतरिम आदेश को निरस्त करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है।
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