न्यूज डेस्क, अमर उजाला, खंडवा Published by: दिनेश शर्मा Updated Wed, 17 Jul 2024 05: 42 PM IST
देवशयनी एकादशी पर खंडवा के ओंकारेश्वर में अलग ही माहौल देखने को मिला। एक रात पहले से ही हजारों महिलाएं यहां पहुंचने लगी थीं। अलसुबह से महिलाओं ने नर्मदा नदी के पवित्र जल में स्नान किया। इसके बाद भगवान ओंकारेश्वर ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग महादेव के दर्शन कर ओंकार पर्वत की परिक्रमा लगाई। इधर मोरटक्का पुल पर एक बस बिगड़ने से लंबा जाम लग गया। घंटों तक मुसाफिर परेशान होते रहे।
गौरतलब है कि बुधवार को देवशयनी ग्यारस एकादशी पर्व पर हजारों महिलाओं ने ओंकारेश्वर, कोटीतीर्थघाट, नागरघाट, केवलरामघाट, ब्रम्हपुरीघाट के गोमुखघाट पर नर्मदा नदी स्नान किया। देवशयनी एकादशी के पर्व पर महिलाओं ने जागरण कर भगवान भोलेनाथ, माता पार्वती के भजनों पर जमकर नृत्य किया। प्रातः काल सभी महिलाएं खंडवा-इंदौर मार्ग से खेड़ीघाट नर्मदा के अनेक घाटों पर स्नान करने पहुंचीं। महिलाओं ने नर्मदा स्नान करने के बाद तट पर जबरेश्वर महादेव के दर्शन करने के पश्चात भगवान श्री राधा कृष्ण मंदिर में पूजा पाठ कर मंदिर में श्रीफल अर्पित किए एवं अपने परिवार की खुशी के लिए मन्नत मांगी।
भगवान श्रीकृष्ण-राधा की पूजा करने पहुंचती हैं वर्ष में एक बार महिलाएं
उल्लेखनीय है कि देवशयनी एकादशी के पर्व से दिन पहले ही महिलाएं निमाड़ एवं मालवा के गांव एवं शहरों से ओंकारेश्वर, मोरटक्का, नर्मदा तट खेड़ीघाट, ओम्कारेश्वर के अनेक धर्मशाला में पहुंचकर रात्रि विश्राम कर जागरण करती हैं। प्रातः काल नर्मदा स्नान करने के बाद भगवान शंकर माता पार्वती की पूजा करती हैं, फिर राधा कृष्ण मंदिरों में श्रीफल अर्पित किए जाते हैं। मंदिर के पुजारी को तिलक लगाने के पश्चात भगवान से अच्छी बरसात एवं अपने परिवार की खुशहाली होने का वरदान मांगती हैं। नर्मदा स्नान करने के बाद तट पर दीप बत्ती भी लगाती हैं। यह परंपरा बड़ी पुरानी है। मध्य प्रदेश के निमाड़ एवं मालवा में महिलाएं आज भी इसका पालन करती चली आ रही हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि 25 हजार से अधिक महिलाएं एक साथ नर्मदा नदी के घाटों पर स्नान करने ओंकारेश्वर नर्मदा के तटों पर पहुंची हैं। एकादशी के दिन कुछ भी ग्रहण नहीं करती हैं।
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शास्त्रों के अनुसार आषाढ़ माह की एकादशी को सभी भगवान चार माह के लिए विश्राम करने चले जाते हैं जो कि दीपावली के बाद देवउठनी एकादशी को जागते हैं। देवशयनी एकादशी को भारत के संत-महात्मा साधु-सन्यासी चार माह का चतुर्मास अपने-अपने आश्रमों मंदिर मठों में करते हैं। नर्मदा नदी की 3300 किलोमीटर की परिक्रमा भी देवशयनी एकादशी से चार माह के लिए बंद हो जाती है। महिलाएं भगवान को शयन से पहले विदा करने नर्मदा के घाटों पर एकत्रित होती हैं एवं पूजा पाठ आरती करने के पश्चात अपने-अपने घरों को लौटती हैं। 75 वर्षीय महिला शकुंतला बाई ने बताया कि वर्ष में एक बार यह पर्व महिलाओं द्वारा बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। राधा कृष्ण की पूजा होती है। महिलाएं अपने परिवार की सुख, अच्छी बरसात एवं गांव में शांति के लिए उपवास रखकर पूरे दिन कुछ भी नहीं खाती हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। पीढ़ी दर पीढ़ी हमारे पूर्वजों द्वारा हमें भी मिली है, जिसे हम निभाते चले आ रहे हैं। आगे हमारे परिवार के लोग भी परंपरा को कायम रखेंगे।
जाम से लोग परेशान
खंडवा-इंदौर-इच्छापुर सड़क मार्ग पर पड़ने वाली नर्मदा नदी के मोरटक्का पर बने पुल पर बुधवार को जाम लग गया। बस खराब होने से कई घंटे यातायात जाम रहा। इधर मोरटक्का नर्मदा तट पर करीबन 15 हजार महिलाएं नर्मदा स्नान करने रात्रि में ही पहुंची थीं, लेकिन वहां पर रात्रि में विद्युत की व्यवस्था नहीं होने के कारण महिलाओं को काफी परेशानी सामना करना पड़ा।
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