न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: आनंद पवार Updated Tue, 16 Jul 2024 09: 56 PM IST
भोपाल में पहली बार ट्रेन से दो घायल शावकों को रेस्क्यू किया गया है। भोपाल मंडल ने पहली टाइगर रेस्क्यू स्पेशल ट्रेन चलाई। दोनों शावकों को मिडघाट से रेस्क्यू कर रानी कमलापति रेलवे स्टेशन लाया गया। यहां से दोनों को वन विहार में इलाज के लिए शिफ्ट किया गया। शावकों के लिए पहली बार ‘टाइगर रेस्क्यू स्पेशल ट्रेन’ चलाई – फोटो : अमर उजाला
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सीहोर जिले के बुधनी मिडघाट पर घायल दो शावकों को 24 घंटे बाद वन विभाग की टीम ने रेलवे की मदद से रेस्क्यू किया। महाप्रबंधक शोभना बंदोपाध्याय के निर्देश पर टाइगर रेस्क्यू स्पेशल ट्रेन चलाई गई। मंगलवार की सुबह 9: 30 बजे सीहोर जिला प्रशासन ने रेलवे से शासकों को रेस्क्यू करने अपील की। इसके बाद रेल प्रशासन ने ‘टाइगर रेस्क्यू स्पेशल ट्रेन’ चलाई। यह ट्रेन वरिष्ठ मंडल परिचालन प्रबंधक और कलेक्टर सीहोर एवं उनकी टीम के साथ रानी कमलापति स्टेशन से 12: 25 बजे रवाना हुई और 1: 55 पर बुधनी पहुंची, जहां ट्रेन के इंजन को भी रिवर्स करना था।
2: 50 बजे ट्रेन दुर्घटना स्थल पर पहुंची, जहां फॉरेस्ट और जिला प्रशासन की टीम और चीफ कंजरवेटिव ऑफिसर, डीएफओ, एसडीएम सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे। ट्रेन सेक्शन में रुकी और दो घायल शावकों को कोच में चढ़ाया गया। ट्रेन 3: 10 बजे घटनास्थल से रवाना हुई। इस रेस्क्यू स्पेशल ट्रेन का संचालन महिला ट्रेन मैनेजर के निर्देशानुसार किया जा रहा था। ट्रेन 3: 45 पर रानी कमलापति स्टेशन पर पहुंची और शावकों को सकुशल उतार कर फॉरेस्ट और जिला प्रशासन के अधिकारियों को सौंप दिया गया। जहां से दोनों घायलों शावकों को भोपाल वन विहार इलाज के लिए शिफ्ट किया गया। वहीं, मृत शावक को बुधनी रेंज ले जाया गया। जहां डॉक्टरों की मौजूदगी में पीएम कर अंतिम संस्कार किया गया।
बता दें, सोमवार को बाघिन के साथ जा रहे तीन शावक ट्रेक क्रॉस कर रहे थे। बुधनी मिडघाट पर बाघिन ट्रैक पार कर गई, लेकिन तीनों शावक ट्रेन की चपेट में आ गए। इसमें एक शावक की मौके पर मौत हो गई। दो शावक घायल हो गए। इसकी सूचना वन विभाग को रेलवे कर्मचारियों की तरफ से दी गई। दोनों घायल शावक कमर की चोट के कारण हिल डुल नहीं पा रहे थे। घटनास्थल मिडघाट और चौका स्टेशन सेक्शन के बीच स्थित दो टनल के बीच था, जहां किसी भी प्रकार का वाहन पहुंच पाना संभव नहीं था। फॉरेस्ट और जिला प्रशासन शावकों को बचाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे थे, लेकिन सफलता नहीं मिल रही थी। इस बीच, बाघिन भी आसपास ही घूम रही थी, जिससे शावकों को उठाना असंभव प्रतीत हो रहा था। इसके बाद कलेक्टर सीहोर ने भोपाल डीआरएम देवाशीष त्रिपाठी से सहयोग की अपील की।
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