aiims-news:-एम्स-में-एलोपैथी-के-साथ-होम्योपैथी-उपचार-पर-जोर,-क्रॉनिक-स्कैल्प-सोरायसिस-जैसी-बीमारियों-का-इलाज
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: संदीप तिवारी Updated Mon, 15 Jul 2024 07: 54 PM IST भोपाल स्थित एम्स में में एलोपैथी के साथ होम्योपैथी उपचार पर जोर दिया जा रहा है। होम्योपैथी इलाज से कई जटिल बीमारियों को ठीक भी किया जा रहा है।  एम्स के निदेशक डॉ.अजय सिंह - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us राजधानी भोपाल स्थित एम्स में मरीजों के इलाज मे नई तकनीकी का प्रयोग किया जा रहा है।  जहां एक तरफ एलोपैथी इलाज का विस्तार किया जा रहा है, वहीं एम्स की दूसरी विंग होम्योपैथी में भी उपचार पर जोर दिया जा रहा हैं। कई जटिल बीमारियों का इलाज यहां किया जा रहा है और मरीजों को राहत भी मिल रही है। एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रोफेसर (डॉ) अजय सिंह लोगों के संपूर्ण स्वास्थ्य को लेकर काफी सजग हैं। उनका मानना है कि एकीकृत स्वाथ्य पद्धति को अपनाकर लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जा सकती हैं।  होम्योपैथी इलाज से कई क्रोनिक बीमारियों का सफलतापूर्वक इलाज एम्स भोपाल के आयुष विभाग में होम्योपैथी के द्वारा इलाज से कई क्रोनिक बीमारियों का सफलतापूर्वक इलाज किया जा रहा है। हाल ही में स्कैल्प सोरायसिस से परेशान एक 21 वर्षीय युवक का सफलतापूर्वक इलाज किया गया। वह मरीज पिछले एक साल से अपने सिर पर लगातार पपड़ियां (प्लाक) जैसे घावों से पीड़ित था, और सिर से लगातार बाल भी झड़ते जा रहे थे। उसने इस बीमारी के इलाज के लिए कई जगह डाक्टरों को दिखाया लेकिन कहीं भी उसे रहत नहीं मिली। आखिरकार, मरीज एम्स भोपाल के आयुष विभाग की होम्योपैथिक ओपीडी पहुंचा। डॉ आशीष कुमार दीक्षित ने रोगी के सिर की जांच करने पर पाया कि लम्बे समय तक सिर पर पपड़ी जमने से घाव हो गए जिसके कारण उसके बाल भी झड़ गए थे।  दो  महीने चले इलाज के बाद आया सुधर लगभग 2 महीने चले इलाज के बाद मरीज कि स्थिति में आशातीत सुधर हुआ और रोगी के सिर से पपड़ी (प्लाक) पूरी तरह से समाप्त हो गयी तथा नए बाल फिर से वापस आ गए। रोगी का उपचार अभी भी चल रहा है। दवा के अलावा, रोगी को सिर की अच्छी स्वच्छता बनाए रखने और हाइड्रेटेड रहने की सलाह दी गई। स्कैल्प सोरायसिस एक आम त्वचा विकार डॉ दीक्षित ने बताया कि यह रोग क्रोनिक होता है। स्कैल्प सोरायसिस एक आम त्वचा विकार है, जिसकी विशेषता स्कैल्प पर मोटी, पपड़ीदार पट्टिकाएं होती हैं, जो माथे, गर्दन के पीछे और कानों के आस-पास तक फैल सकती हैं। यह खुजली, बेचैनी और शर्मिंदगी का कारण बन सकता है, जो व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है। गंभीर मामलों में, यह बालों के झड़ने और द्वितीयक संक्रमण का कारण बन सकता है।  किया जाना चाहिए मल्टीडिसिप्लिनरी शोध  एम्स के डायरेक्टर डॉ अजय सिंह ने कहा है कि सम्बंधित बीमारी के प्रबंधन हेतु, होमियोपैथी में और अधिक प्रमाणों की आवश्यकता है। अतः इस ओर मल्टीडिसिप्लिनरी शोध की जानी चाहिए। यह मामला पुरानी त्वचा संबंधी स्थितियों और उनकी प्रणालीगत अभिव्यक्तियों के प्रबंधन में होम्योपैथिक उपचारों की क्षमता को रेखांकित करता है।   रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: संदीप तिवारी Updated Mon, 15 Jul 2024 07: 54 PM IST

भोपाल स्थित एम्स में में एलोपैथी के साथ होम्योपैथी उपचार पर जोर दिया जा रहा है। होम्योपैथी इलाज से कई जटिल बीमारियों को ठीक भी किया जा रहा है।  एम्स के निदेशक डॉ.अजय सिंह – फोटो : अमर उजाला

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राजधानी भोपाल स्थित एम्स में मरीजों के इलाज मे नई तकनीकी का प्रयोग किया जा रहा है।  जहां एक तरफ एलोपैथी इलाज का विस्तार किया जा रहा है, वहीं एम्स की दूसरी विंग होम्योपैथी में भी उपचार पर जोर दिया जा रहा हैं। कई जटिल बीमारियों का इलाज यहां किया जा रहा है और मरीजों को राहत भी मिल रही है। एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रोफेसर (डॉ) अजय सिंह लोगों के संपूर्ण स्वास्थ्य को लेकर काफी सजग हैं। उनका मानना है कि एकीकृत स्वाथ्य पद्धति को अपनाकर लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जा सकती हैं। 

होम्योपैथी इलाज से कई क्रोनिक बीमारियों का सफलतापूर्वक इलाज
एम्स भोपाल के आयुष विभाग में होम्योपैथी के द्वारा इलाज से कई क्रोनिक बीमारियों का सफलतापूर्वक इलाज किया जा रहा है। हाल ही में स्कैल्प सोरायसिस से परेशान एक 21 वर्षीय युवक का सफलतापूर्वक इलाज किया गया। वह मरीज पिछले एक साल से अपने सिर पर लगातार पपड़ियां (प्लाक) जैसे घावों से पीड़ित था, और सिर से लगातार बाल भी झड़ते जा रहे थे। उसने इस बीमारी के इलाज के लिए कई जगह डाक्टरों को दिखाया लेकिन कहीं भी उसे रहत नहीं मिली। आखिरकार, मरीज एम्स भोपाल के आयुष विभाग की होम्योपैथिक ओपीडी पहुंचा। डॉ आशीष कुमार दीक्षित ने रोगी के सिर की जांच करने पर पाया कि लम्बे समय तक सिर पर पपड़ी जमने से घाव हो गए जिसके कारण उसके बाल भी झड़ गए थे। 

दो  महीने चले इलाज के बाद आया सुधर
लगभग 2 महीने चले इलाज के बाद मरीज कि स्थिति में आशातीत सुधर हुआ और रोगी के सिर से पपड़ी (प्लाक) पूरी तरह से समाप्त हो गयी तथा नए बाल फिर से वापस आ गए। रोगी का उपचार अभी भी चल रहा है। दवा के अलावा, रोगी को सिर की अच्छी स्वच्छता बनाए रखने और हाइड्रेटेड रहने की सलाह दी गई।

स्कैल्प सोरायसिस एक आम त्वचा विकार
डॉ दीक्षित ने बताया कि यह रोग क्रोनिक होता है। स्कैल्प सोरायसिस एक आम त्वचा विकार है, जिसकी विशेषता स्कैल्प पर मोटी, पपड़ीदार पट्टिकाएं होती हैं, जो माथे, गर्दन के पीछे और कानों के आस-पास तक फैल सकती हैं। यह खुजली, बेचैनी और शर्मिंदगी का कारण बन सकता है, जो व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है। गंभीर मामलों में, यह बालों के झड़ने और द्वितीयक संक्रमण का कारण बन सकता है। 

किया जाना चाहिए मल्टीडिसिप्लिनरी शोध 
एम्स के डायरेक्टर डॉ अजय सिंह ने कहा है कि सम्बंधित बीमारी के प्रबंधन हेतु, होमियोपैथी में और अधिक प्रमाणों की आवश्यकता है। अतः इस ओर मल्टीडिसिप्लिनरी शोध की जानी चाहिए। यह मामला पुरानी त्वचा संबंधी स्थितियों और उनकी प्रणालीगत अभिव्यक्तियों के प्रबंधन में होम्योपैथिक उपचारों की क्षमता को रेखांकित करता है।
 

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