indore-news:-पहले-पेपर-आउट-होते-और-अब-लीक-हो-रहे-हैं,-दोषी-छात्रों-को-कठोर-कानूनी-सजा-के-साथ-आर्थिक-दंड-भी-मिले
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर Published by: अर्जुन रिछारिया Updated Sun, 14 Jul 2024 10: 24 AM IST अभ्यास मंडल ने उच्च शिक्षा व प्रतियोगी परीक्षा में आ रही विसंगतियां एवं विद्यार्थीयों का भविष्य विषय पर परिचर्चा आयोजित की INDORE - फोटो : न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर विस्तार वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें अभ्यास मंडल ने प्रेस क्लब में एक परिचर्चा आयोजित की। जिसका विषय था - उच्च शिक्षा एवं प्रतियोगी परीक्षा में आ रही विसंगतियां एवं विद्यार्थियो का भविष्य। इस ज्वलन्त मुद्दे पर विभिन्न शिक्षाविदों, एडवोकेट, समाजसेवी और छात्रों ने बेबाकी के साथ अपने विचार व्यक्त किए।   शिक्षाविद एवं पर्यावरणविद डाॅ. एस एल गर्ग ने कहा कि जब कोई अयोग्य व्यक्ति गलत साधनों और संसाधनों का इस्तेमाल कर आगे बढ़ता हैं तो बड़ी तकलीफ होती है। जब तक बुराइयों का पलडा भारी रहेगा तब तक समाज में तमाम तरह की विसंगतियां बढ़ती ही रहेगी, जिसमें परीक्षा का लीक होना आदि शामिल हैं। रिचेकिंग और पुनर्मूल्यांकन के माध्यम से नंबर बढाने का खेल वर्षो से चल रहा हैं। मेडिकल के छात्र टीचर को पैसे देकर नंबर बढवाते हैं तो वहीं राजनेता भी अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर नंबर बडवाते हैं। आवश्यकता हैं कि हर क्षेत्र में सुचिता हो। शिक्षाविद पियूष केथुलकर ने कहा कि जिन छात्रों को कम्प्यूटर और तकनीक का ज्ञान नहीं उन्हें ट्रेनिंग की आवश्यकता हैं और यह बात शिक्षकों पर भी लागू होती हैं । कम्प्यूटर ज्ञान का अभाव होने पर छात्र इंस्ट्रक्शन को समझ नहीं पाते। टेक्निकल ऑब्सरवेर और प्रशासनिक अधिकारी की मानिटरिंग में गम्भीरता जरुरी हैं। इसके लिए हमें इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करना होगा। एडवोकेट जयेश बदनानी ने कहा कि उच्च शिक्षा की परीक्षा में पेपर लीक कराना एक तरह की एजुकेशन स्मगलिंग हैं, ऐसे अधिकारियों के लिए कठोर आथिर्क दण्ड और कठोर कानूनी सजा दोनों के प्रावधान हैं। मध्यप्रदेश में भी ऐसे कानून न् केवल बने बल्कि उनको प्रभावित तरिके से लागू भी किया जाए ताकि कोई अपराधि इस तरह के अपराध नहीं कर सके। सरकार के काम में भी पारदर्शिता होना जरुरी।  एडवोकेट कुणाल भंवर ने कहा कि बीते वर्षो में 64 पेपर लीक हुए जो शिक्षा वयवस्था पर कलंक हैं। अगर स्कूली परिक्षाओं में इस विसंगती को समाप्त कर दें, तो उच्च शिक्षा परिक्षा में पेपल लीक नहीं होंगे। देश में कोचिंग इंडस्ट्री 58 हजार करोड की हैं, जो 4 साल बाद 1 लाख करोड को पार कर जाएगी। इसलिए पेपर लीक कराने वालों को कठोर कानूनी सजा के साथ आथिर्क दण्ड देना भी जरुरी।  साइबर एक्सपर्ट सन्नी वाधवानी ने मोबाइल और लैपटॉप पर डैमो देकर बताया कि किसी भी परीक्षा की पीडीएफ फाइल को ओपन किया जा सकता हैं। भले ही उसका पासवर्ड कितना भी कठिन क्यूं न हो, इसलिए जागरुक होना जरुरी हैं। शिक्षाविद डाॅ. रुपेश कुंभज ने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं हैं, लेकिन आज ये व्यवसाय बन गई हैं।  शिक्षा का निजीकरण बंद करना होगा और सरकारी कॉलेजों को बढावा देना होगा। उधोगपति और राजनेताओ के बच्चे सरकारी कॉलेजों में पढ़ेंगे तो शिक्षा का स्तर भी सुधरेगा। शिक्षाविद डाॅ. राजीव झालानी ने कहा कि शिक्षा के प्रति अविश्वास सबसे अधिक घातक हैं। जो इस बात का प्रमाण हैं कि विद्यार्थि येन केन प्रकारेण डिग्री हासिल करना चाहते हैं। ऐसे छात्र ही शिक्षा का स्तर गिरा रहे हैं। सरकारी नियम कायदे भी छात्रों के लिए परेशानियों का सबब बन रहे हैं। शिक्षाविद डाॅ. जितेन्द्र तलरेजा ने कहा कि निजी विश्वविद्यालयों को स्वायेत्ता मिलना चाहिए ताकि वे अपना पाठ्यक्रम बना सके, ताकि वे अपना सिलेबस बना सके। हर छात्र की पढाई का मकसद केवल नौकरी नहीं होकर स्वयं का रोजगार भी होना चाहिए। पर्यावरणविद डाॅ. ओ पी जोशी ने कहा की पेपर आउट होते थे अब लीक होते हैं। जिन परिक्षाओं में लाखों कि संख्या में छात्र शामिल होते हैं। उन्हें विभिन्न स्थरों पर आयोजित किया जाना चाहिए। एडवोकेट आशीष श्रीवास्तव ने कहा कि अगर कठोर कानून होंगे, तो विसंगतियां कम होगी। छात्रा ग्रीष्मा त्रिवेदी ने कहा कि वेलफेयर सर्विस के नाम पर फीस लेना छात्रों के साथ अन्याय हैं। परिचर्चा का संचालन डाॅ. पल्लवी आढाव और डाॅ. स्वप्निल व्यास ने किया। आभार माना मालासिंह ठाकुर ने। कार्यक्रम में अध्यक्ष रामेश्वर गुप्ता, वैशाली खरे, डाॅ. मनीषा गौर, शफी शेख, अशोक कोठारी, प्रवीण जोशी, , हरेराम वाजपेयी, पी सी शर्मा सहित बड़ी संख्या में शिक्षक एवं विद्यार्थी उपस्थित थे। रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर Published by: अर्जुन रिछारिया Updated Sun, 14 Jul 2024 10: 24 AM IST

अभ्यास मंडल ने उच्च शिक्षा व प्रतियोगी परीक्षा में आ रही विसंगतियां एवं विद्यार्थीयों का भविष्य विषय पर परिचर्चा आयोजित की INDORE – फोटो : न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर

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अभ्यास मंडल ने प्रेस क्लब में एक परिचर्चा आयोजित की। जिसका विषय था – उच्च शिक्षा एवं प्रतियोगी परीक्षा में आ रही विसंगतियां एवं विद्यार्थियो का भविष्य। इस ज्वलन्त मुद्दे पर विभिन्न शिक्षाविदों, एडवोकेट, समाजसेवी और छात्रों ने बेबाकी के साथ अपने विचार व्यक्त किए।  

शिक्षाविद एवं पर्यावरणविद डाॅ. एस एल गर्ग ने कहा कि जब कोई अयोग्य व्यक्ति गलत साधनों और संसाधनों का इस्तेमाल कर आगे बढ़ता हैं तो बड़ी तकलीफ होती है। जब तक बुराइयों का पलडा भारी रहेगा तब तक समाज में तमाम तरह की विसंगतियां बढ़ती ही रहेगी, जिसमें परीक्षा का लीक होना आदि शामिल हैं। रिचेकिंग और पुनर्मूल्यांकन के माध्यम से नंबर बढाने का खेल वर्षो से चल रहा हैं। मेडिकल के छात्र टीचर को पैसे देकर नंबर बढवाते हैं तो वहीं राजनेता भी अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर नंबर बडवाते हैं। आवश्यकता हैं कि हर क्षेत्र में सुचिता हो। शिक्षाविद पियूष केथुलकर ने कहा कि जिन छात्रों को कम्प्यूटर और तकनीक का ज्ञान नहीं उन्हें ट्रेनिंग की आवश्यकता हैं और यह बात शिक्षकों पर भी लागू होती हैं । कम्प्यूटर ज्ञान का अभाव होने पर छात्र इंस्ट्रक्शन को समझ नहीं पाते। टेक्निकल ऑब्सरवेर और प्रशासनिक अधिकारी की मानिटरिंग में गम्भीरता जरुरी हैं। इसके लिए हमें इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करना होगा। एडवोकेट जयेश बदनानी ने कहा कि उच्च शिक्षा की परीक्षा में पेपर लीक कराना एक तरह की एजुकेशन स्मगलिंग हैं, ऐसे अधिकारियों के लिए कठोर आथिर्क दण्ड और कठोर कानूनी सजा दोनों के प्रावधान हैं। मध्यप्रदेश में भी ऐसे कानून न् केवल बने बल्कि उनको प्रभावित तरिके से लागू भी किया जाए ताकि कोई अपराधि इस तरह के अपराध नहीं कर सके। सरकार के काम में भी पारदर्शिता होना जरुरी। 

एडवोकेट कुणाल भंवर ने कहा कि बीते वर्षो में 64 पेपर लीक हुए जो शिक्षा वयवस्था पर कलंक हैं। अगर स्कूली परिक्षाओं में इस विसंगती को समाप्त कर दें, तो उच्च शिक्षा परिक्षा में पेपल लीक नहीं होंगे। देश में कोचिंग इंडस्ट्री 58 हजार करोड की हैं, जो 4 साल बाद 1 लाख करोड को पार कर जाएगी। इसलिए पेपर लीक कराने वालों को कठोर कानूनी सजा के साथ आथिर्क दण्ड देना भी जरुरी। 

साइबर एक्सपर्ट सन्नी वाधवानी ने मोबाइल और लैपटॉप पर डैमो देकर बताया कि किसी भी परीक्षा की पीडीएफ फाइल को ओपन किया जा सकता हैं। भले ही उसका पासवर्ड कितना भी कठिन क्यूं न हो, इसलिए जागरुक होना जरुरी हैं। शिक्षाविद डाॅ. रुपेश कुंभज ने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं हैं, लेकिन आज ये व्यवसाय बन गई हैं। 

शिक्षा का निजीकरण बंद करना होगा और सरकारी कॉलेजों को बढावा देना होगा। उधोगपति और राजनेताओ के बच्चे सरकारी कॉलेजों में पढ़ेंगे तो शिक्षा का स्तर भी सुधरेगा। शिक्षाविद डाॅ. राजीव झालानी ने कहा कि शिक्षा के प्रति अविश्वास सबसे अधिक घातक हैं। जो इस बात का प्रमाण हैं कि विद्यार्थि येन केन प्रकारेण डिग्री हासिल करना चाहते हैं। ऐसे छात्र ही शिक्षा का स्तर गिरा रहे हैं। सरकारी नियम कायदे भी छात्रों के लिए परेशानियों का सबब बन रहे हैं। शिक्षाविद डाॅ. जितेन्द्र तलरेजा ने कहा कि निजी विश्वविद्यालयों को स्वायेत्ता मिलना चाहिए ताकि वे अपना पाठ्यक्रम बना सके, ताकि वे अपना सिलेबस बना सके। हर छात्र की पढाई का मकसद केवल नौकरी नहीं होकर स्वयं का रोजगार भी होना चाहिए। पर्यावरणविद डाॅ. ओ पी जोशी ने कहा की पेपर आउट होते थे अब लीक होते हैं। जिन परिक्षाओं में लाखों कि संख्या में छात्र शामिल होते हैं। उन्हें विभिन्न स्थरों पर आयोजित किया जाना चाहिए। एडवोकेट आशीष श्रीवास्तव ने कहा कि अगर कठोर कानून होंगे, तो विसंगतियां कम होगी। छात्रा ग्रीष्मा त्रिवेदी ने कहा कि वेलफेयर सर्विस के नाम पर फीस लेना छात्रों के साथ अन्याय हैं।

परिचर्चा का संचालन डाॅ. पल्लवी आढाव और डाॅ. स्वप्निल व्यास ने किया। आभार माना मालासिंह ठाकुर ने। कार्यक्रम में अध्यक्ष रामेश्वर गुप्ता, वैशाली खरे, डाॅ. मनीषा गौर, शफी शेख, अशोक कोठारी, प्रवीण जोशी, , हरेराम वाजपेयी, पी सी शर्मा सहित बड़ी संख्या में शिक्षक एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।

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