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शहर काज़ी वकार सादिक - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us तीन माह से अधिक समय से चल रहे कमाल मौला मस्जिद सर्वे समाप्त हो गया है। लेकिन इस दौरान पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा की गई प्रक्रिया पर सवाल खड़े हुए हैं। मुस्लिम समुदाय इस बात को बार बार रेखांकित कर रहा है कि सर्वे के दौरान अदालत द्वारा दी गई गाइड लाइन का पालन नहीं किया गया है। जिसके चलते यह सर्वे ओचित्यहीन और अमान्य जैसा है। कमाल मौला मस्जिद का सर्वे जो 22 मार्च से चल रहा था वो 27 जून को समाप्त हो गया सर्वे समाप्त होने के बाद पहला शुक्रवार हैं मुस्लिम समाज ने हमेशा की तरह कमाल मौला मस्जिद में नमाज़ अदा की ओर शहर मे अमन शांति के लिए और अच्छी बारिश के लिए दुआ भी की गई। नमाज़ के बाद शहर काज़ी वकार सादिक ने मीडिया से चर्चा की। शहर काज़ी ने बताया कि हमने पूर्व में जो कहा था, हम उस बात पर क़ायम हैं। अगर सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के अनुसार पुरातत्व विभाग सर्वे करता तो यकीनन वह बधाई के पात्र थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का खुला उलंघन किया गया। दूसरी बात हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि इमारत को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होना चाहिए, लेकिन पुरातत्व विभाग ने इमारत का काफी नुकसान किया। कमरे को लेकर जो तरह तरह की अफवाहें फैल रहीं हैं, इस पर शहर काज़ी ने कहा कि 1997 में हमने यह कमरा खाली कर दिया था उसके बाद से यह पुरातत्व विभाग के पास है। 2023 में भी यहां पर चोरी चुपके रात के अंधेरे में मूर्ति रखने की घटना हुई थी। ऐसी घटना यह लोग करते रहते हैं। जिससे इनका अधिकार साबित हो जाए। पूरे कमरे का फर्श सबूत था। मात्र एक फर्श निकाला गया और इसमें से तरह तरह की मूर्ति निकालना बता दिया गया। यह बहुत बडी शंका पैदा करता है। यहां पर सारे लोगों की मिलीभगत से चीज़े लाकर रख दी गई और उसी को निकालना बता दिया गया। काजी वकार ने कहा कि करीब डेढ़ सौ साल पुराने बड़े बड़े ओटले तोड़ दिए गए और आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि उन ओटलो में से शराब की बोतलें भी निकली, जो 1996 की हैं। अब यह किसने लाकर रख दीं। मुस्लिम गार्ड तो कोई रहता नहीं हैं वहां पर। जब यह लोग शराब की बोतलें रख सकते हैं तो यह लोग कुछ भी कर सकते हैं। आगे शहर काज़ी ने कहा कि यह पूरा लावारिस खाना बना रखा है। जमीन हमारी हैं लेकिन यहां हमें कुछ करने नहीं दिया जाता है। एएसआई अब गार्डन का काम कर रही है। जब जमीन हमारी हैं तो उसे हम से परमिशन लेना चाहिए। शहर काज़ी ने बताया कि एक समय पुरातत्व विभाग का मुख्यालय भी यही स्थित था तो आसपास जीराबाद, बेटमा वगैरा जहां भी एएसआई खुदाई कार्य था, तो सारा मैटेरियल यहीं डंप कर देता था। अब वही निकल रहा है। आगे शहर काज़ी ने कहा कि एएसआई यहां सर्वे करने आई है या कब्जा करने आई है। उसने जगह जगह मैटेरियल पटक रखा है। एएसआई का नियम भी हैं कि अगर कहीं से कुछ निकलता हैं तो उसे म्यूजियम में रखा जायेगा तो हम यही निवेदन करते है की यह सब मैटेरियल आप अपने साथ ले जाए। आखरी में शहर के लोगों को शहर काज़ी ने बधाई दी कि सबने संयम से काम लिया और कानून व्यवस्था बनाई रखी। उन्होंने मीडिया का भी धन्यवाद किया कि एक दो को छोड़कर सभी ने अपना फर्ज अच्छे से निभाया।

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शहर काज़ी वकार सादिक – फोटो : अमर उजाला

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तीन माह से अधिक समय से चल रहे कमाल मौला मस्जिद सर्वे समाप्त हो गया है। लेकिन इस दौरान पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा की गई प्रक्रिया पर सवाल खड़े हुए हैं। मुस्लिम समुदाय इस बात को बार बार रेखांकित कर रहा है कि सर्वे के दौरान अदालत द्वारा दी गई गाइड लाइन का पालन नहीं किया गया है। जिसके चलते यह सर्वे ओचित्यहीन और अमान्य जैसा है।

कमाल मौला मस्जिद का सर्वे जो 22 मार्च से चल रहा था वो 27 जून को समाप्त हो गया सर्वे समाप्त होने के बाद पहला शुक्रवार हैं मुस्लिम समाज ने हमेशा की तरह कमाल मौला मस्जिद में नमाज़ अदा की ओर शहर मे अमन शांति के लिए और अच्छी बारिश के लिए दुआ भी की गई। नमाज़ के बाद शहर काज़ी वकार सादिक ने मीडिया से चर्चा की। शहर काज़ी ने बताया कि हमने पूर्व में जो कहा था, हम उस बात पर क़ायम हैं। अगर सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के अनुसार पुरातत्व विभाग सर्वे करता तो यकीनन वह बधाई के पात्र थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का खुला उलंघन किया गया।

दूसरी बात हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि इमारत को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होना चाहिए, लेकिन पुरातत्व विभाग ने इमारत का काफी नुकसान किया। कमरे को लेकर जो तरह तरह की अफवाहें फैल रहीं हैं, इस पर शहर काज़ी ने कहा कि 1997 में हमने यह कमरा खाली कर दिया था उसके बाद से यह पुरातत्व विभाग के पास है। 2023 में भी यहां पर चोरी चुपके रात के अंधेरे में मूर्ति रखने की घटना हुई थी। ऐसी घटना यह लोग करते रहते हैं। जिससे इनका अधिकार साबित हो जाए। पूरे कमरे का फर्श सबूत था। मात्र एक फर्श निकाला गया और इसमें से तरह तरह की मूर्ति निकालना बता दिया गया। यह बहुत बडी शंका पैदा करता है। यहां पर सारे लोगों की मिलीभगत से चीज़े लाकर रख दी गई और उसी को निकालना बता दिया गया।

काजी वकार ने कहा कि करीब डेढ़ सौ साल पुराने बड़े बड़े ओटले तोड़ दिए गए और आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि उन ओटलो में से शराब की बोतलें भी निकली, जो 1996 की हैं। अब यह किसने लाकर रख दीं। मुस्लिम गार्ड तो कोई रहता नहीं हैं वहां पर। जब यह लोग शराब की बोतलें रख सकते हैं तो यह लोग कुछ भी कर सकते हैं। आगे शहर काज़ी ने कहा कि यह पूरा लावारिस खाना बना रखा है। जमीन हमारी हैं लेकिन यहां हमें कुछ करने नहीं दिया जाता है। एएसआई अब गार्डन का काम कर रही है। जब जमीन हमारी हैं तो उसे हम से परमिशन लेना चाहिए।

शहर काज़ी ने बताया कि एक समय पुरातत्व विभाग का मुख्यालय भी यही स्थित था तो आसपास जीराबाद, बेटमा वगैरा जहां भी एएसआई खुदाई कार्य था, तो सारा मैटेरियल यहीं डंप कर देता था। अब वही निकल रहा है। आगे शहर काज़ी ने कहा कि एएसआई यहां सर्वे करने आई है या कब्जा करने आई है। उसने जगह जगह मैटेरियल पटक रखा है।

एएसआई का नियम भी हैं कि अगर कहीं से कुछ निकलता हैं तो उसे म्यूजियम में रखा जायेगा तो हम यही निवेदन करते है की यह सब मैटेरियल आप अपने साथ ले जाए। आखरी में शहर के लोगों को शहर काज़ी ने बधाई दी कि सबने संयम से काम लिया और कानून व्यवस्था बनाई रखी। उन्होंने मीडिया का भी धन्यवाद किया कि एक दो को छोड़कर सभी ने अपना फर्ज अच्छे से निभाया।

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