नर्सिंग विद्यार्थियों संग दिग्विजय सिंह – फोटो : अमर उजाला
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एक साल पहले सरकारी नर्सिंग कॉलेज में प्रवेश के लिए परीक्षा ली गई थी। लेकिन उसका परिणाम अभी तक नहीं आया है। इसे लेकर छात्र-छात्राएं राजधानी भोपाल में प्रदर्शन कर चुके हैं। अब पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह परेशान हो रहे छात्रों के पक्ष में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखकर परीक्षा परिणाम जल्द से जल्द जारी करने का आग्रह किया है। उन्होंने मुख्यमंत्री को अनुरोध करते हुए लिखा कि वे संबंधितों को समुचित निर्देश प्रदान करने का कष्ट करें, ताकि कॉलेजों में प्रवेश मिल सके और निर्धारित अवधि में छात्राएं अपना कोर्स पूरा कर सकें।
दिग्विजय सिंह ने लिखा कि प्रिय डॉ. मोहन यादव जी, मध्यप्रदेश में हुए नर्सिंग घोटाले की जांच की चपेट में अब दूसरी परीक्षाएं भी आने लगी हैं। मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन मंडल ने गत वर्ष जुलाई में सम्पन्न चार वर्षीय नर्सिंग कोर्स की परीक्षा का विगत एक वर्ष से परिणाम घोषित नहीं किया है। परिणाम स्वरूप 60 हजार से अधिक परीक्षार्थी अपने भविष्य को लेकर सशंकित है। वे रिजल्ट घोषित करने की मांग को लेकर मंडल के दफ्तर की और मंत्री बंगले के चक्कर लगा रही है।
66000 अभ्यार्थियों ने परीक्षा दी थी यह परीक्षा
पूर्व मुख्यमंत्री सिंह ने लिखा है कि नर्सिंग छात्राओं के प्रतिनिधिमंडल ने अवगत कराया है कि मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन मण्डल द्वारा शासकीय नर्सिंग कॉलेज में प्रवेश के लिये सत्र वर्ष 2022-23 हेतु प्रवेश परीक्षा में विलंब करते हुए ये परीक्षा जुलाई 2023 में आयोजित कराई गई थी। परंतु परीक्षा परिणाम आज दिनांक तक जारी नही किए गए हैं। सत्र वर्ष 2022-23 के कुल 1860 पदों में से 810 पद संचालक चिकित्सा शिक्षा (डीएमई) और 1050 पद संचालक स्वास्थ्य सेवाएं (डीएचएस) के लिए भर्ती कराई गई थी। इसमें 66,000 अभ्यार्थियों ने परीक्षा दी थी। इसमें अनारक्षित वर्ग से 400 रुपये एवं आरक्षित वर्ग से 200 रुपये शुल्क लिया गया था। इस प्रकार कर्मचारी चयन मंडल को करोड़ों रुपये राशि भर्ती परीक्षा के शुल्क के रूप में प्राप्त हुई और जुलाई 2023 में इसकी परीक्षा कराई गई। विगत एक वर्ष से अभ्यार्थी इंतजार कर रहे हैं। कर्मचारी चयन मंडल इसके परिणाम घोषित नहीं कर रहा है।
18 नर्सिंग कॉलेजों में 1050 पद रह गए खाली
दिग्विजय सिंह ने आगे कहा कि इसमें डीएमएस से सम्बद्ध 18 नर्सिंग कॉलेजों में 1050 पद खाली रह गये और नर्सिंग का कोई भी कोर्स संचालित नहीं हो सके। इसी प्रकार डीएमई से सम्बद्ध 06 मेडिकल कॉलेजों में भी 810 पदों पर नर्सिंग का कोर्स करने के लिये प्रवेश नहीं हो सका। वैसे तो जो ये वर्ष 2022-23 का सत्र था, जो विलंब करके 2023 में किया गया। जुलाई 2023 में परीक्षा के बाद एक साल बाद 2024 में अभी तक परिणाम नहीं घोषित किया गया है। परिणाम नहीं आने से 66,000 अभ्यर्थी नियमित डीएमई और डीएचएस के चक्कर लगा रहे हैं। परन्तु उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। इनका भविष्य धूमिल हो रहा है। ये अभ्यार्थी विगत तीन वर्ष से लाल फीताशाही का शिकार बन रहे हैं।
शासन द्वारा संचालित 24 नर्सिंग कॉलेजों को नहीं मिली मान्यता
दिग्विजय सिंह ने आगे लिखा कि नर्सिंग काउंसिल ने शासन द्वारा संचालित 24 नर्सिंग कॉलेजों के लिए मान्यता नहीं दी। नर्सिंग घोटाला निजी कॉलेजों के मान्यता के संबंध में हुआ था। लेकिन इसकी गाज शासन के कॉलेजों पर भी पड़ गई। मप्र में चल रही नए पुराने 666 कॉलेजों में भारी अनियमितता पाये जाने के बाद उच्च न्यायालय से सीबीआई की जांच चल रही है। इन जांचों के चलते शासन द्वारा संचालित नर्सिंग कॉलेज को शून्य वर्ष घोषित किया गया है। इस तरह के निर्णय से एक तरफ तो नर्सिंग कोर्स का संचालन रूक गया, वहीं हजारों बच्चों को अपने भविष्य की चिंता सता रही है।
नर्सिंग कॉलेजों से शिक्षित और प्रशिक्षित नर्सें नहीं मिलने से प्रदेश के अस्पताल और मेडिकल कॉलेजों का भी काम प्रभावित हो रहा है। अतः मेरा आपसे अनुरोध है कि उपरोक्त नर्सिंग परीक्षा का परिणाम शीघ्र जारी करने के संबंध में संबंधितों को समुचित निर्देश प्रदान करने का कष्ट करें, ताकि कॉलेजों में प्रवेश मिल सके और निर्धारित अवधि में छात्राएं अपना कोर्स पूरा कर सकें। सहयोग के लिए मैं आपका आभारी रहूंगा।
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