bhopal-news:-मनमानी-पर-उतरा-औकाफ-ए-शाही,-कब्रिस्तान-किरायादारी-के-बाद-अब-प्राचीन-मस्जिद-में-बदलाव
प्राचीन मस्जिद में बदलाव - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us औकाफ ए शाही की अलाली, लचरता और मनमर्जी चरम पर है। पिछले दिनों नियमों को बला ए ताक पर रखकर कब्रिस्तान की किरायादारी कर दी गई। मामला अभी सुलझा ही नहीं है। अब पुराना शहर स्थित पुरातन मस्जिद के वजूद को निशाना बना दिया गया है। नए मामले में आश्चर्यजनक बात यह भी है कि मस्जिद में की जा रही तोड़फोड़ और नवीनीकरण की जानकारी औकाफ ए शाही के जिम्मेदारों को नहीं है। मामला पुराना शहर स्थित पुरातन मस्जिद जीनत उल मसाजिद से जुड़ा है। मस्जिद की उन जालियों को मस्जिद उखाड़ फेंका गया है, जिनको शाहजहां बेगम ने ख्वातीन (औरतों) के परदे के इंतजाम के लिए लगाया था, जिससे की ईमाम की आवाज औरतों तक पहुंच जाए और बेपर्दगी भी न हो। किसके आदेश पर हुआ बदलाव सूत्रों का कहना है औकाफ ए शाही ने बेगमात के दौर की व्यवस्था को बदलने की तैयारी इस आधार पर की है कि मस्जिद में अब औरतें नमाज पढ़ने नहीं आती हैं। इसके चलते इस व्यवस्था की जरूरत नहीं है। जबकि नियमानुसार किसी प्राचीन इमारत में किसी तरह के बदलाव का अधिकार औकाफ ए शाही को नहीं है। मनमानी पर उतारू औकाफ पिछले दिनों नियमों से बाहर जाकर औकाफ ए शाही ने बड़ा बाग स्थित शाही कब्रिस्तान की किरायादारी एक निजी कंस्ट्रक्शन कंपनी को कर दी है। पुरानी कमेटी के आई निर्णय को बदलने की बजाए नई कमेटी ने इस फैसले को निरंतर कर दिया। अब जीनत उल मसाजिद में किए जाने बदलाव की तरफ बढ़ गया है। नियमनुसार शाही औकाफ को इस काम के लिए मप्र वक्फ बोर्ड से विधिवत अनुमति ली जाना चाहिए थी। बोर्ड में मर्ज हो सकता है शाही औकाफ शाही औकाफ की व्यवस्था ज्यादा पुरानी नहीं है। यह पूर्व में मप्र वक्फ बोर्ड के अधीन हुआ करता था। केंद्र और राज्य सरकार इस व्यवस्था को पुनः पहले की तरह करने पर विचार कर रहा है। इसकी संभावनाओं को तलाशने कुछ समय पहले राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की सदस्य शहजादी खान भी आई थीं। जिन्होंने सारे हालात पर विस्तृत रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी है। शाही औकाफ की पुरानी और नई कमेटी द्वारा की जा रही लगातार गलतियों के चलते इस बात की उम्मीदें बढ़ गई हैं कि मप्र वक्फ बोर्ड इस विलय पर जल्दी फैसला ले ले। जिम्मेदार खामोश जीनत उल मसाजिद में चल रहे तोड़फोड़ और बदलाव कार्य को लेकर औकाफ ए शाही के जिम्मेदार कुछ कहने को तैयार नहीं हैं। मामले पर बात करने के लिए नई कमेटी के सदस्य शादाब रहमान को कॉल किया तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। इनका कहना... शाही औकाफ की अव्यवस्थाओं को लेकर पूर्व में भी कई नोटिस दिए गए हैं। जीनत उल मस्जिद मामले की जानकारी जुटाई जा रही है। इसके आधार पर आगामी कार्रवाई की जाएगी। ...डॉ. सनव्वर पटेल, अध्यक्ष, मप्र वक्फ बोर्ड

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प्राचीन मस्जिद में बदलाव – फोटो : अमर उजाला

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औकाफ ए शाही की अलाली, लचरता और मनमर्जी चरम पर है। पिछले दिनों नियमों को बला ए ताक पर रखकर कब्रिस्तान की किरायादारी कर दी गई। मामला अभी सुलझा ही नहीं है। अब पुराना शहर स्थित पुरातन मस्जिद के वजूद को निशाना बना दिया गया है। नए मामले में आश्चर्यजनक बात यह भी है कि मस्जिद में की जा रही तोड़फोड़ और नवीनीकरण की जानकारी औकाफ ए शाही के जिम्मेदारों को नहीं है।

मामला पुराना शहर स्थित पुरातन मस्जिद जीनत उल मसाजिद से जुड़ा है। मस्जिद की उन जालियों को मस्जिद उखाड़ फेंका गया है, जिनको शाहजहां बेगम ने ख्वातीन (औरतों) के परदे के इंतजाम के लिए लगाया था, जिससे की ईमाम की आवाज औरतों तक पहुंच जाए और बेपर्दगी भी न हो।

किसके आदेश पर हुआ बदलाव
सूत्रों का कहना है औकाफ ए शाही ने बेगमात के दौर की व्यवस्था को बदलने की तैयारी इस आधार पर की है कि मस्जिद में अब औरतें नमाज पढ़ने नहीं आती हैं। इसके चलते इस व्यवस्था की जरूरत नहीं है। जबकि नियमानुसार किसी प्राचीन इमारत में किसी तरह के बदलाव का अधिकार औकाफ ए शाही को नहीं है।

मनमानी पर उतारू औकाफ
पिछले दिनों नियमों से बाहर जाकर औकाफ ए शाही ने बड़ा बाग स्थित शाही कब्रिस्तान की किरायादारी एक निजी कंस्ट्रक्शन कंपनी को कर दी है। पुरानी कमेटी के आई निर्णय को बदलने की बजाए नई कमेटी ने इस फैसले को निरंतर कर दिया। अब जीनत उल मसाजिद में किए जाने बदलाव की तरफ बढ़ गया है। नियमनुसार शाही औकाफ को इस काम के लिए मप्र वक्फ बोर्ड से विधिवत अनुमति ली जाना चाहिए थी।

बोर्ड में मर्ज हो सकता है शाही औकाफ
शाही औकाफ की व्यवस्था ज्यादा पुरानी नहीं है। यह पूर्व में मप्र वक्फ बोर्ड के अधीन हुआ करता था। केंद्र और राज्य सरकार इस व्यवस्था को पुनः पहले की तरह करने पर विचार कर रहा है। इसकी संभावनाओं को तलाशने कुछ समय पहले राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की सदस्य शहजादी खान भी आई थीं। जिन्होंने सारे हालात पर विस्तृत रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी है। शाही औकाफ की पुरानी और नई कमेटी द्वारा की जा रही लगातार गलतियों के चलते इस बात की उम्मीदें बढ़ गई हैं कि मप्र वक्फ बोर्ड इस विलय पर जल्दी फैसला ले ले।

जिम्मेदार खामोश
जीनत उल मसाजिद में चल रहे तोड़फोड़ और बदलाव कार्य को लेकर औकाफ ए शाही के जिम्मेदार कुछ कहने को तैयार नहीं हैं। मामले पर बात करने के लिए नई कमेटी के सदस्य शादाब रहमान को कॉल किया तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।

इनका कहना…
शाही औकाफ की अव्यवस्थाओं को लेकर पूर्व में भी कई नोटिस दिए गए हैं। जीनत उल मस्जिद मामले की जानकारी जुटाई जा रही है। इसके आधार पर आगामी कार्रवाई की जाएगी।
…डॉ. सनव्वर पटेल, अध्यक्ष, मप्र वक्फ बोर्ड

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