bhopal:-पीएचई-विभाग-के-अधिकारियों-का-कारनामा,-अपात्र-को-दे-दिया-सेकंड-क्लास-अधिकारी-का-प्रभार
पीएचई विभाग का कारनामा, इनसेट में संजय सक्सेना - फोटो : सोशल मीडिया विस्तार वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई)विभाग के अधिकारियों की मनमानी जारी है। जहां विभाग में पात्रता रखने वाले अधिकारियों का प्रमोशन नहीं हो रहा है, वहीं अपात्रों को बड़े पदों पर बैठाया जा रहा है। ऐसा ही मामला राजधानी स्थित पीएचई विभाग के उपखंड भोपाल का सामने आया है। यहां कार्यभारित सब इंजीनियर संजय सक्सेना को सेकंड क्लास अधिकारी सहायक यंत्री का प्रभार दे दिया गया है, जबकि विभाग में कई नियमित सब इंजीनियर मौजूद हैं, जिन्हें यह प्रभार दिया जा सकता था। इन्हें दरकिनार कर अधिकारियों की मेहरबानी से संजय सक्सेना को उपकृत किया गया है। साथ ही सक्सेना को लग्जरी गाड़ी के साथ सारी सुविधाएं भी दी जा रही हैं। नियमों के विरुद्ध दिया गया प्रभार लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधिकारियों द्वारा संजय सक्सेना को सहायक यंत्री का प्रभार दिया गया है, जबकि नियम के अनुसार सहायक यांत्रिक का प्रभार किसी नियमित सब इंजीनियर को दिया जा सकता है। संजय सक्सेना कार्यभारित सब इंजीनियर हैं, इसलिए वे इस पद की पात्रता नहीं रखते हैं। नियमित सब इंजीनियरों ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि पात्रता रखने वाले नियमित अधिकारियों को दरकिनार कर कार्यभारित को प्रभाव दिया गया है। यह सरासर गलत है। हालांकि मामले में कोई खुलकर सामने आने को तैयार नहीं है। 20 वर्षों से एक ही जगह जमे हैं सक्सेना गौरतलब है कि संजय सक्सेना कार्यभारित उप यंत्री पद पर गत 20 वर्षों से उपखंड भोपाल में जमे हुए हैं। अधिकारियों से अच्छी पकड़ होने के चलते उनका ट्रांसफर नहीं किया गया है। खास बात यह है कि लगातार भंडारण शाखा, हैंडपंप संधारण, खनन कार्य जैसे मलाई वाले विभागों का प्रभार संजय सक्सेना के पास रहा है। यही वजह है कि सक्सेना अधिकारियों के चहेते हैं इसलिए नियमों को ताक पर रखकर उन्हें उपकृत किया गया है।  जिम्मेदार अधिकारी नहीं दे पाए जवाब संजय सक्सेना की गलत तरीके से की गई नियुक्ति मामले में जब अधिकारियों से बात की गई तो अधिकारी जवाब देने से बचते नजर आए। चीफ इंजीनियर आरके हिरोडिया ने कहा कि जब अधिकारियों की कमी होती है तो किसी को भी प्रभार दे दिया जाता है, लेकिन जब उन्हें बताया गया कि विभाग में पहले से कई पात्रता रखने वाले नियमित सब इंजीनियर मौजूद हैं तो उन्होंने आगे कुछ भी बोलने से मना कर दिया और बोले जिसने नियुक्ति दी है उनसे बात करिए। इधर कार्यपालन यंत्री के मंजू सिंह से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने मामला सुनते ही फोन काट दिया और मैसेज में कहा कि अभी मैं बात नहीं कर सकती।

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पीएचई विभाग का कारनामा, इनसेट में संजय सक्सेना – फोटो : सोशल मीडिया

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लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई)विभाग के अधिकारियों की मनमानी जारी है। जहां विभाग में पात्रता रखने वाले अधिकारियों का प्रमोशन नहीं हो रहा है, वहीं अपात्रों को बड़े पदों पर बैठाया जा रहा है। ऐसा ही मामला राजधानी स्थित पीएचई विभाग के उपखंड भोपाल का सामने आया है। यहां कार्यभारित सब इंजीनियर संजय सक्सेना को सेकंड क्लास अधिकारी सहायक यंत्री का प्रभार दे दिया गया है, जबकि विभाग में कई नियमित सब इंजीनियर मौजूद हैं, जिन्हें यह प्रभार दिया जा सकता था। इन्हें दरकिनार कर अधिकारियों की मेहरबानी से संजय सक्सेना को उपकृत किया गया है। साथ ही सक्सेना को लग्जरी गाड़ी के साथ सारी सुविधाएं भी दी जा रही हैं।

नियमों के विरुद्ध दिया गया प्रभार
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधिकारियों द्वारा संजय सक्सेना को सहायक यंत्री का प्रभार दिया गया है, जबकि नियम के अनुसार सहायक यांत्रिक का प्रभार किसी नियमित सब इंजीनियर को दिया जा सकता है। संजय सक्सेना कार्यभारित सब इंजीनियर हैं, इसलिए वे इस पद की पात्रता नहीं रखते हैं। नियमित सब इंजीनियरों ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि पात्रता रखने वाले नियमित अधिकारियों को दरकिनार कर कार्यभारित को प्रभाव दिया गया है। यह सरासर गलत है। हालांकि मामले में कोई खुलकर सामने आने को तैयार नहीं है।

20 वर्षों से एक ही जगह जमे हैं सक्सेना
गौरतलब है कि संजय सक्सेना कार्यभारित उप यंत्री पद पर गत 20 वर्षों से उपखंड भोपाल में जमे हुए हैं। अधिकारियों से अच्छी पकड़ होने के चलते उनका ट्रांसफर नहीं किया गया है। खास बात यह है कि लगातार भंडारण शाखा, हैंडपंप संधारण, खनन कार्य जैसे मलाई वाले विभागों का प्रभार संजय सक्सेना के पास रहा है। यही वजह है कि सक्सेना अधिकारियों के चहेते हैं इसलिए नियमों को ताक पर रखकर उन्हें उपकृत किया गया है। 

जिम्मेदार अधिकारी नहीं दे पाए जवाब

संजय सक्सेना की गलत तरीके से की गई नियुक्ति मामले में जब अधिकारियों से बात की गई तो अधिकारी जवाब देने से बचते नजर आए। चीफ इंजीनियर आरके हिरोडिया ने कहा कि जब अधिकारियों की कमी होती है तो किसी को भी प्रभार दे दिया जाता है, लेकिन जब उन्हें बताया गया कि विभाग में पहले से कई पात्रता रखने वाले नियमित सब इंजीनियर मौजूद हैं तो उन्होंने आगे कुछ भी बोलने से मना कर दिया और बोले जिसने नियुक्ति दी है उनसे बात करिए। इधर कार्यपालन यंत्री के मंजू सिंह से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने मामला सुनते ही फोन काट दिया और मैसेज में कहा कि अभी मैं बात नहीं कर सकती।

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