अमर उजाला, न्यूज डेस्क, उज्जैन Published by: उज्जैन ब्यूरो Updated Fri, 21 Jun 2024 09: 40 PM IST
भगवान जगन्नाथ की यात्रा भले ही आगामी 7 जुलाई को धूमधाम से निकल जाएगी लेकिन इसके पहले इस्कॉन मंदिर पर ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को एक ऐसा विशेष अनुष्ठान होगा जिसके बाद भगवान से जगन्नाथ बलदेव और सुभद्रा महारानी बीमार हो जाएंगे। इस्कॉन में होगी भगवान की ऐसी पूजा जिससे भगवान होंगे बीमार
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भगवान जगन्नाथ की यात्रा भले ही आगामी 7 जुलाई को धूमधाम से निकाली जाएगी, लेकिन इसके पहले इस्कॉन मंदिर पर ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को एक ऐसा विशेष अनुष्ठान होगा जिसके बाद भगवान से जगन्नाथ बलदेव और सुभद्रा महारानी बीमार हो जाएंगे और फिर 14 दिन तक उनका उपचार चलने के बाद वे 15 दिन भक्तों को दर्शन देंगे और रथ यात्रा के रूप में शहर में निकलेंगे।
जेष्ठ शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को ‘स्नान यात्रा’ या सहस्त्रधारा स्नान के रूप में जाना जाता है। जगन्नाथ रथ यात्रा से पूर्व होने वाले इस अनुष्ठान को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। जो इस बार 22 जून को इस्कॉन मंदिर में मनाया जाएगा। इस्कॉन मंदिर के पीआरओ पंडित राघव दास ने बताया कि 22 जून को इस अनुष्ठान की शुरुआत सुबह 4: 30 बजे से होगी। इसमें प्रातः मंगल आरती 7: 25 पर दर्शन आरती एवं गुरु पूजा, 8: 00 बजे भगवान जगन्नाथ के आविर्भाव की कथा, 8: 50 पर पांडू विजय, 9.30 पर अभिषेक एवं पूजन, 11: 30 पर जगन्नाथ जी का वापस आगमन दोपहर 1: 00 बजे विशेष गजवेश दर्शन और दोपहर 2: 00 बजे प्रसादी का आयोजन होगा।
दास ने बताया कि इस अनुष्ठान के दौरान भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र की पूरी भक्ति और समर्पण के साथ पूजा की जाती है। यह समारोह पूरी भव्यता के साथ पारंपरिक तरीके से मनाया जाता है और यह इस्कान मंदिर के सबसे प्रत्याशित अनुष्ठानों में से एक है। जिसमे बड़ी संख्या मे श्रद्धालु यहां आते हैं और इस अनोखे आयोजन के साक्षी बनते हैं। स्थान यात्रा महोत्सव के दौरान भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ सहस्त्रधारा स्नान करेंगे। मान्यता है कि पूर्णिमा स्नान में ज्यादा नहाने के कारण भगवान बीमार हो जाते हैं, इसलिए उनका उपचार किया जाता है। इस दौरान उन्हें कई औषधीयां दी जाती है। इसके बाद पूरे 14 दिन तक भगवान के दर्शन नहीं किए जा सकेंगे। इस दौरान जगन्नाथ मंदिर के कपाट भी बंद रहेंगे। 15वें दिन मंदिर के कपाट खोले जाएंगे और फिर जगन्नाथ रथ यात्रा का प्रारंभ होगा।
विशेष सामग्री तो होता है भगवान का स्नान
ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि पर भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र को गर्भगृह से स्नान मंडप तक लाया जाता है। देवताओं को स्नान कराने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला जल इस्कान मंदिर के अंदर मौजूद कुएं से लिया जाता है। स्नान समारोह से पहले, पुजारियों द्वारा कुछ पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं। जगन्नाथ मंदिर के तीन मुख्य देवताओं को स्नान कराने के लिए सुगंधित जल के घड़ों का उपयोग किया जाता है। सुंगधित फूल, चंदन, केसर, कस्तूरी को स्नान जल में मिलाया जाता है। स्नान की रस्म पूरी होने के बाद भगवान को’सादा बेश’ पहनाया जाता है। दोपहर में,भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र की मूर्तियों को फिर से ‘हाथी बेश’ यानी भगवान गणेश के रूप में तैयार किया जाता है।
इस्कॉन में होगी भगवान की ऐसी पूजा जिससे भगवान होंगे बीमार फिर 14 दिन तक किया जाएगा उनका उपचार
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