सांकेतिक तस्वीर – फोटो : अमर उजाला
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सात दिनों की लगातार जांच के बाद जबलपुर की टीम ने शुक्रवार को एक करोड़ 32 लाख की गड़बड़ी जुन्नारदेव बीईओ कार्यालय में उजागर की है। पूर्व बीईओ एमआई खान और संकुल में पदस्थ बाबू ने मिलकर ये करोड़ों का घोटाला यहां किया। इतना ही नहीं आरोपियों ने कोरोना में मृत कर्मचारियों को भी नहीं बख्सा। जो राशि मृतक कर्मचारी की पत्नी को मिलना था, वो राशि अपने रिश्तेदारों के खाते में डाल ली। जांच में आरोपियों के विरुद्ध दर्जनों अनियमितता सामने आई है। जांच टीम ने दस्तावेजों को जब्त करते हुए प्रकरण की तमाम रिपोर्ट जबलपुर ले गई।
इस मामले में शुक्रवार को जबलपुर वित्त विभाग के संयुक्त संचालक रोहित सिंह कौशल ने प्रेस कांफ्रेंस लेते हुए पूरे मामले का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि पूर्व बीईओ की लॉग इन आईडी से पूरा फर्जीवाड़ा यहां चार साल तक किया गया। इस घोटाले में मुख्य भूमिका पूर्व बीईओ एमआई खान और पालाचौरई संकुल में पदस्थ सहायक ग्रेड-3 तौसिफ खान की है। जबलपुर वित्त विभाग की टीम को जुन्नारदेव में तकरीबन 1 करोड़ 44 लाख के घोटाले का अंदेशा था। इसमें से 1 करोड़ 32 लाख के घोटाले की पुष्टी हो चुकी है। इस मामले की जांच आगे भी जारी रहेगी।
क्या-क्या निकली गड़बड़ी
सहायक ग्रेड-3 तौसीफ खान द्वारा 31.30 लाख रुपये का गबन किया गया है। तौसिफ ने ये राशि अपनी पत्नी सबीना खान, बहन साहिबा खान सहित रिश्तेदारों और करीबियों के खाते में डाली। कोविड के दौरान मृतक सरकारी कर्मचारी पुरुषोत्तम विश्वकर्मा की पत्नी कुसुम विश्वकर्मा को प्राप्त होने वाली शासकीय राशि अशासकीय व्यक्ति शोएब खान को 1 लाख 82 हजार व इमरान खान 1 लाख 67 हजार को हस्तांतरित की गयी है। आरोपियों ने जो अतिथि शिक्षक थे, उनके भी खाते में राशि डाली। बाबू ने अपनी बीबी और बहन को भी अतिथि शिक्षक बताकर लाखों की राशि हस्तांतरित कर ली।
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